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हिसार। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए वृक्षों के संरक्षण के साथ-साथ गुरु जम्भेश्वर महाराज के सभी नियमों का पालन करना भी जरूरी है। गुरु जम्भेश्वर महाराज ने जैविक विविधता पर बल दिया और हर जीव की सुरक्षा व संरक्षण का संदेश दिया है। ये बात डॉ. ब्रजेन्द्र सिंह सिंघल ने कही। वे जीजेयू में आयोजित गुरु जम्भेश्वर महाराज धार्मिक अध्ययन संस्थान के सौजन्य से ”गुरु जम्भेश्वर महाराज के नैतिक, आध्यात्मिक एवं पर्यावरणीय चिंतन की वर्तमान युग में प्रासंगिकता” विषय पर हुए दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शुक्रवार को समापन समारोह में बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कह रहे थे। अखिल भारतीय सेवक दल के अध्यक्ष विनोद धारणिया समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने समारोह की अध्यक्षता की।
कार्यक्रम में अखिल भारतीय सेवा दल, मुकाम के अध्यक्ष विनोद धारणिया ने गुरु जम्भेश्वर महाराज के जीवन तथा शिक्षाओं के बारे में बताया। कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि यह सम्मेलन ने केवल समाज के नैतिक व आध्यात्मिक उत्थान में योगदान देगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी उपयोगी रहेगा। अधिष्ठाता प्रो. एनके बिश्नोई ने कहा कि विकास जरूरी है, लेकिन विकास ऐसे किया जाना चाहिए कि पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो।
विभागाध्यक्ष प्रो. किशना राम बिश्नोई ने स्वागत संबोधन किया। आयोजन सचिव डॉ. जय देव बिश्नोई ने सम्मेलन की रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण में योगदान के लिए खाम्भू राम को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। सर्वश्रेष्ठ पेपर प्रस्तुत करने वाले शोधार्थियों ओएसजीयू के विकास ढांडा, राजकीय पॉलिटेक्निक हिसार के दिनेश कुमार, जीजेयू के हिंदी विभाग की नविता, एफजीएम राजकीय महाविद्यालय आदमपुर के कृपा राम, विद्या भारती दिल्ली के आरके बिश्नोई व स्वतंत्र प्रतिभागी राम सरूप को सम्मानित किया गया।
जांभोजी ने जटिल आध्यात्मिक अवधारणाओं को आम लोगों के लिए बनाया सुलभ और व्यावहारिक
हिसार। गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 11 सत्रों में करीब 125 लोगों ने जंभेश्वर महाराज पर शोध प्रस्तुत किए। पेपर प्रस्तुत करने वाला शोधार्थियों ने महाराज जंभेश्वर के बारे में विस्तार से अपने विचार रखे और उनकी शिक्षाओं के बारे में बताया। इस दौरान बताया कि महाराज जंभेश्वर का समाज को पर्यावरण को बचाने में बहुत बड़ा योगदान है। जांभोजी जटिल आध्यात्मिक अवधारणाओं को आम लोगों के लिए सुलभ और व्यावहारिक बनाया है।
रोल ऑफ गुरु इन वन एस लाइफ : ए क्रिटिकल स्टडी ऑफ जम्भवाणी नाम से पेपर प्रजेंट किया। इस पेपर के माध्यम से बताया कि इंसानों की जिंदगी के सफर में एक गुरु की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं। गुरु के होने से इंसान के नैतिक एवं सामाजिक मूल्यों को यथोचित दशा मिलती है और गुरु जंभेश्वर ने इन विषयों पर बहुत सफाई और सरलता से टिप्पणी की है।
– डॉ. दिनेश कुमार, शिक्षक गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक, हिसार।
भारतीय ज्ञान परंपरा में अमूल्य निधि, शबद वाणी : रिसर्च पेपर में बताया कि जंभेश्वर महाराज एक महान आध्यात्मिक महापुरुष थे। उन्होंने जन सामान्य को अध्यात्म का ज्ञान देववाणी (संस्कृत) के स्थान पर लोक भाषा (मरुभाषा) दिया, ताकि जनता उसे आसानी से ग्रहण कर सके। उन्होंने आत्मा, परमात्मा, पुनर्जन्म तथा मोक्ष जैसे गहन गम्भीर विषयों की व्याख्या लोक प्रतीकों तथा लोक उदाहरणों के माध्यम से लोक को अध्यात्म से बड़े ही सरल तरीके से परिचित करा दिया। -डॉ. रामस्वरूप जंवर, जांभाणी साहित्य अकादमी, सदस्य, जोधपुर।
भारतीय ज्ञान परंपराओं के संदर्भ में गुरु जांभोजी का दर्शन : इस पेपर के माध्यम से जांभोजी की शिक्षाओं को व्यापक भारतीय दार्शनिक और आध्यात्मिक परंपराओं के भीतर स्थापित करता है। पेपर के माध्यम से बताया कि कैसे जांभोजी जटिल आध्यात्मिक अवधारणाओं को आम लोगों के लिए सुलभ और व्यावहारिक बनाते हैं। यह अध्ययन परम वास्तविकता जैसे प्रमुख दार्शनिक विषय पर गुरु जांभोजी के विचारों की पड़ताल करता है। इस पेपर का उद्देश्य भारतीय आध्यात्मिकता की आधुनिक समझ को समृद्ध करने में गुरु जांभोजी की शिक्षाओं के महत्व को उजागर करना है। – प्रियंका, पेपर प्रस्तुतकर्ता।
भगवान श्री परशुराम एवं गुरु जंभेश्वर जी : सामाजिक दृष्टिकोण- इस पेपर के माध्यम से भारतीय संस्कृति और ऋषि मुनियों के बारे में बताया गया है। सामाजिक दृष्टि से भगवान परशुराम और जंभेश्वर महाराज में समानता थी। दोनों ही जात-पात वर्ण आश्रम से सम्मान थे। दोनों ने समाज के कल्याण के लिए काम किया है। – परविंद्र शर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर, जगत गुरु नानक देव, पंजाब ओपन यूनिवर्सिटी पटियाला, पंजाब।
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Hisar News: वृक्षों के संरक्षण के साथ गुरु जम्भेश्वर महाराज के सभी नियमों का पालन भी जरूरी