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चीन के इस सुपर मैटेरियल के आगे राफेल और F-35 भी मान जाते हैं हार! 3600°C तक का तापमान झेलने की है क्षमता Today Tech News

चीन के इस सुपर मैटेरियल के आगे राफेल और F-35 भी मान जाते हैं हार! 3600°C तक का तापमान झेलने की है क्षमता Today Tech News

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साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन के वैज्ञानिकों ने चार धातुओं हाफ्नियम, टैंटलम, जिरकोनियम और टंगस्टन को मिलाकर एक अत्यधिक ताप प्रतिरोधी सेरामिक तैयार किया है. यह मैटेरियल 3600°C जैसी अत्यधिक तापमान वाली परिस्थितियों में भी स्थिर रहता है जबकि अमेरिका के फाइटर जेट और SpaceX जैसे स्पेसक्राफ्ट 1300°C के आसपास ही कांपने लगते हैं.

आपके किचन का गैस स्टोव लगभग 200°C तक गर्म होता है और नासा के स्पेस शटल की हीट शील्ड 1300°C तक की गर्मी सह सकती है. लेकिन चीन द्वारा तैयार यह नया सेरामिक उससे भी लगभग तीन गुना ज्यादा गर्मी सह सकता है. इसकी ताकत का राज इसके अंदर बनने वाली ऑक्साइड लेयर में छिपा है जो मैटेरियल को ऑक्सीजन और आग दोनों से बचाती है. खासकर टंगस्टन इसमें अहम भूमिका निभाता है जो ऑक्सीजन के खिलाफ डटकर खड़ा रहता है.

आपके किचन का गैस स्टोव लगभग 200°C तक गर्म होता है और नासा के स्पेस शटल की हीट शील्ड 1300°C तक की गर्मी सह सकती है. लेकिन चीन द्वारा तैयार यह नया सेरामिक उससे भी लगभग तीन गुना ज्यादा गर्मी सह सकता है. इसकी ताकत का राज इसके अंदर बनने वाली ऑक्साइड लेयर में छिपा है जो मैटेरियल को ऑक्सीजन और आग दोनों से बचाती है. खासकर टंगस्टन इसमें अहम भूमिका निभाता है जो ऑक्सीजन के खिलाफ डटकर खड़ा रहता है.

अब तक ऐसे मटेरियल्स की टेस्टिंग के लिए रॉकेट या हाइपरसोनिक टनल का इस्तेमाल होता था, जो काफी महंगा और जोखिम भरा था. लेकिन चीन की टीम ने एक लेजर-बेस्ड हाई-थ्रूपुट सिस्टम तैयार किया है जो मटेरियल को 3800°C तक की गर्मी में फटाफट परख सकता है. बस लेजर मारो, असर देखो और डेटा रिकॉर्ड कर लो.

अब तक ऐसे मटेरियल्स की टेस्टिंग के लिए रॉकेट या हाइपरसोनिक टनल का इस्तेमाल होता था, जो काफी महंगा और जोखिम भरा था. लेकिन चीन की टीम ने एक लेजर-बेस्ड हाई-थ्रूपुट सिस्टम तैयार किया है जो मटेरियल को 3800°C तक की गर्मी में फटाफट परख सकता है. बस लेजर मारो, असर देखो और डेटा रिकॉर्ड कर लो.

इस हथियार का इस्तेमाल कई जगहों पर होगा. हाइपरसोनिक मिसाइलों की नाक पर, स्पेसक्राफ्ट की बाहरी परतों में, जेट इंजनों में और सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में प्लाज़्मा प्रोटेक्शन के लिए. इसका इस्तेमाल भविष्य के उन क्षेत्रों में किया जा सकता है जहां तापमान अत्यधिक होता है और सामान्य मटेरियल काम नहीं आते.

इस हथियार का इस्तेमाल कई जगहों पर होगा. हाइपरसोनिक मिसाइलों की नाक पर, स्पेसक्राफ्ट की बाहरी परतों में, जेट इंजनों में और सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में प्लाज़्मा प्रोटेक्शन के लिए. इसका इस्तेमाल भविष्य के उन क्षेत्रों में किया जा सकता है जहां तापमान अत्यधिक होता है और सामान्य मटेरियल काम नहीं आते.

अमेरिका के एडवांस्ड जेट्स जहां अब तक 1300°C के आसपास ही सीमित हैं चीन का यह नया सेरामिक उनकी तुलना में कई गुना ज़्यादा ताकतवर साबित हो सकता है.

अमेरिका के एडवांस्ड जेट्स जहां अब तक 1300°C के आसपास ही सीमित हैं चीन का यह नया सेरामिक उनकी तुलना में कई गुना ज़्यादा ताकतवर साबित हो सकता है.

Published at : 17 Jun 2025 09:53 AM (IST)

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