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सोनीपत। जिले में महिलाओं को विधानसभा चुनावों में प्रतिनिधित्व के पर्याप्त मौके नहीं मिले। आज तक के इतिहास पर नजर डालें, तो सोनीपत से महज चार महिलाएं ही विधायक बनी हैं। हालांकि, अलग-अलग राजनीतिक दलों ने कई बार महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया, लेकिन उन्हें मतदाताओं का आशीर्वाद नहीं मिल सका।
सोनीपत की छह विधानसभा सीटों का इतिहास देखें, तो साल 1977 में कांग्रेस की ओर से कैलाना (अब गन्नौर) सीट से शांति राठी पहली महिला विधायक बनी थीं। इसके बाद दो दशक तक कोई महिला सोनीपत से विधानसभा नहीं पहुंच सकी। वर्ष 1996 में चौधरी बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी (हविपा) से कृष्णा गहलावत ने रोहट हलका (अब खरखौदा) से चुनाव जीतकर कैबिनेट मंत्री का पद संभाला। 1999 ओर 2005 में हुए चुनाव में सोनीपत से किसी महिला को विधानसभा में प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका। वर्ष 2009 में भाजपा के टिकट पर सोनीपत सीट से कविता जैन ने जीत दर्ज की थी। साल 2014 में कविता जैन ने अपनी विजय पताका को फहराया और कैबिनेट मंत्री बनीं। हालांकि वर्ष 2019 में कविता जैन तीसरी बार मैदान में उतरीं, लेकिन चुनाव हार गईं। साल 2019 में भाजपा ने गन्नौर से निर्मल चौधरी को प्रत्याशी बनाया था। वह जीत दर्ज करने में कामयाब रहीं।
चार विधायकों में से तीन बनीं मंत्री
बेशक सोनीपत से अब तक चार महिलाएं ही विधायक बन सकी हैं, इसके बावजूद तीन महिलाएं मंत्री बनने में कामयाब रहीं। शांति राठी प्रदेश की कांग्रेस सरकार में शिक्षा मंत्री रहीं। वहीं, कृष्णा गहलावत हविपा की बंसीलाल सरकार में मंत्री बनीं, जबकि कविता जैन भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहीं। गन्नौर विधायक निर्मल चौधरी एकमात्र महिला विधायक रहीं, जो मंत्री नहीं बन पाई।
2019 में भाजपा ने तीन महिलाओं को दिया था टिकट
भाजपा ने वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में छह सीटों में से तीन पर महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया। सोनीपत से कविता जैन, खरखौदा से मीना नरवाल व गन्नौर से निर्मल चौधरी। इनमें निर्मल चौधरी ही जीत दर्ज कर सकीं। साढ़े पांच दशक में सोनीपत से पहली बार किसी राजनीतिक दल ने तीन महिलाओं को विधानसभा के टिकट दिए थे। इसके विपरीत कांग्रेस, इनेलो और जजपा ने सभी छह सीटों पर पुरुष प्रत्याशी ही मैदान में उतारे थे।
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Sonipat News: सोनीपत में महिला शक्ति को नहीं मिले प्रतिनिधित्व के पर्याप्त माैके