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धरती के ऊपर सैटेलाइट्स का जाम! 2050 से पहले फुल हो जाएगा अंतरिक्ष, जानें क्या है मामला Today Tech News

धरती के ऊपर सैटेलाइट्स का जाम! 2050 से पहले फुल हो जाएगा अंतरिक्ष, जानें क्या है मामला Today Tech News

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क्या आपने कभी रात को आसमान में टिमटिमाते सितारों को देखकर सोचा है कि वहां ऊपर आखिर चल क्या रहा है? तो जान लीजिए कि वहां सिर्फ सितारे ही नहीं, बल्कि हजारों सैटेलाइट्स भी धरती के चारों ओर चक्कर काट रहे हैं, और इनकी गिनती दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है.

हर 34 घंटे में उड़ान भर रहा है एक रॉकेट
2024 के एक साल में ही करीब 2,800 नए सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे गए. यानी औसतन हर डेढ़ दिन में एक रॉकेट लॉन्च हुआ. मई 2025 तक दुनिया की कक्षा में 11,700 से ज़्यादा सक्रिय सैटेलाइट मौजूद हैं. इसमें सबसे बड़ा योगदान निजी कंपनियों का है, जिनमें सबसे आगे है SpaceX.

Starlink बना आसमान का बादशाह
SpaceX का Starlink प्रोजेक्ट अब तक 7,400 से ज़्यादा सैटेलाइट लॉन्च कर चुका है, जो मौजूदा सभी सक्रिय सैटेलाइट्स का लगभग 60% हिस्सा है. इसका मकसद है दुनिया के हर कोने, खासकर गांव और दूरदराज के इलाकों तक तेज़ इंटरनेट पहुंचाना.

और भी कंपनियां कूद रही हैं इस रेस में
Starlink अकेला नहीं है. Amazon का Project Kuiper, OneWeb और कई चीनी कंपनियां भी अपनी-अपनी सैटेलाइट श्रृंखला बनाने में जुटी हैं. ये सभी धरती को एक डिजिटल नेटवर्क से जोड़ने की होड़ में लगी हैं.

लेकिन क्या अंतरिक्ष सब कुछ झेल पाएगा?
विशेषज्ञों की मानें तो धरती के करीब मौजूद ‘निम्न-पृथ्वी कक्षा’ (LEO), जो सतह से 2,000 किलोमीटर तक फैली है, उसकी एक सीमा है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह क्षेत्र अधिकतम 1 लाख सक्रिय सैटेलाइट्स तक ही सुरक्षित रूप से संभाल सकता है. मौजूदा रफ्तार जारी रही तो 2050 से पहले ही यह सीमा पार हो सकती है.

खाली जगह नहीं, बढ़ रहा है टकराव का खतरा
आज के समय में केवल चालू सैटेलाइट ही नहीं, बल्कि हजारों निष्क्रिय और बेकार सैटेलाइट्स भी धरती की कक्षा में घूम रहे हैं. हार्वर्ड-स्मिथसोनियन के वैज्ञानिक जोनाथन मैकडॉवेल के मुताबिक, कुल मिलाकर करीब 14,900 सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में मौजूद हैं. जैसे-जैसे संख्या बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे टकराव और अंतरिक्ष मलबे (स्पेस डेब्रिस) की समस्या भी गंभीर होती जा रही है.

अंतरिक्ष जाम की ओर बढ़ रहा है
अगर यही हाल रहा, तो वो दिन दूर नहीं जब धरती का ऑर्बिट इतना भर जाएगा कि नए सैटेलाइट के लिए भी जगह नहीं बचेगी. इससे न सिर्फ अंतरिक्ष मिशन खतरे में पड़ेंगे, बल्कि पहले से मौजूद सैटेलाइट्स को भी नुकसान पहुंच सकता है.

आखिर सवाल ये है कि क्या हमें इंटरनेट चाहिए या सुरक्षित अंतरिक्ष?
टेक्नोलॉजी के इस दौर में कनेक्टिविटी ज़रूरी है, लेकिन यह सोचने का समय आ गया है कि क्या हम इस सुविधा के बदले अपनी अंतरिक्ष सुरक्षा को दांव पर लगा रहे हैं?

अब वैज्ञानिक लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि अगर सही समय पर रोका नहीं गया, तो धरती के चारों ओर की खाली जगह भी जल्द ही एक ‘स्पेस ट्रैफिक जाम’ में बदल सकती है.

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