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- Column By Pt. Vijayshankar Mehta Parents Should Start Working On Themselves Before Their Children
पं. विजयशंकर मेहता
यदि आप माता-पिता हैं, तो बच्चों के बिहेवियर पैटर्न के खतरों को समय रहते भाप लें। आजकल बच्चों को लेकर टिप्पणी की जाती है कि इनका स्क्रीन टाइम बढ़ गया है, इसलिए ये चिड़चिड़े हो गए हैं। लेकिन केवल यही कारण नहीं है।
बच्चों के व्यवहार में जो बदलाव आ रहा है, उसके पीछे माता-पिता की मानसिक स्थिति भी हो सकती है। माता-पिता स्वयं पर भी काम करें। ध्यान दें- पहली बात, क्या आपकी संतान ‘घोस्टिंग’ कर रही है, यानी अकारण खामोश है। दूसरी बात, कहीं चिड़चिड़ी तो अधिक नहीं हो गई।
तीसरी बात, उसे घर के मुकाबले बाहर रहना ज्यादा पसंद आने लगा है। और चौथी बात, क्या आपके बच्चे बात-बात पर आपको मना कर रहे हैं, तो सावधान हो जाएं। ये चार कमजोरियां अपने भीतर भी ढूंढें कि क्या उस उम्र में आप ऐसे थे। और इसके साथ तैयारी कीजिए।
माता-पिता और संतान के संबंधों का यह नाजुक दौर है। और इस समय संयुक्त प्रयास करना होंगे। जितना बच्चों को सुधारने की कोशिश करिए, उससे अधिक माता-पिता स्वयं को भीतर से सुधारें।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: बच्चों से पहले माता-पिता खुद पर काम शुरू करें