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जम्मू कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव
– फोटो : AMAR UJALA
विस्तार
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने पर्यवेक्षकों को उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि आयोग के प्रतिनिधियों के रूप में उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे खुद पेशेवर रूप से रहें और उम्मीदवारों और जनता सहित सभी हितधारकों के लिए उपलब्ध हों। उन्होंने उन्हें भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करने और यह सुनिश्चित करने की भी सलाह दी कि संचार में कोई अंतराल न हो। उन्होंने पर्यवेक्षकों को याद दिलाया कि वे पार्टियों, उम्मीदवारों, मतदाताओं और चुनाव आयोग की समान रूप से नजर में रहेंगे।
जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में लगभग 200 सामान्य पर्यवेक्षक, 100 पुलिस पर्यवेक्षक और इतने ही अन्य पर्यवेक्षक तैनात किए हैं। चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि अधिकारियों को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए संपूर्ण चुनाव प्रणाली का निरीक्षण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में काफी प्रतिस्पर्धा है, इन चुनावों में पर्यवेक्षकों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू ने कहा कि चुनाव के संचालन को बेहतर बनाने के लिए पहुंच, दृश्यता और जवाबदेही आवश्यक है। चुनाव प्राधिकरण के अनुसार, पर्यवेक्षकों को सख्त निर्देश दिया गया था कि वे सभी दलों, उम्मीदवारों और मतदाताओं की शिकायतों के समय पर निवारण के लिए उपलब्ध रहें। इस संबंध में किसी भी शिकायत को आयोग द्वारा गंभीरता से लिया जाएगा।
धरातल पर आयोग की आंख और कान के रूप में, पर्यवेक्षकों को पूरी ईमानदारी के साथ निरंतर सतर्कता बरतने के लिए कहा गया।
कौन बनते हैं पर्यवेक्षक
चुनाव आयोग लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 20बी और संविधान की पूर्ण शक्तियों के तहत पर्यवेक्षकों को तैनात करता है। आईएएस, आईपीएस, आईआरएस और अन्य केंद्रीय सेवाओं के लोगों को पर्यवेक्षक के रूप में तैनात किया जाता है।
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Haryana assembly election: चुनाव आयोग की पर्यवेक्षकों को सलाह, फर्जी खबरों से निपटने के लिए रहे सतर्क