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रोहतक। जिले में साल-2023 में हत्या की 58 घटनाएं हुई। इनमें से 54 का खुलासा करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं, साल-2024 में अब तक 32 हत्याएं हो चुकी हैं। इनमें से 25 का पुलिस खुलासा कर चुकी है। फिलहाल तक 11 हत्याओं का खुलासा नहीं हुआ है। इनकी जांच जारी है। संबंधित थाना प्रभारी इन घटनाओं का खुलासा करने के लिए तत्काल जांच में जुट जाएं और आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाएं। इसके लिए सीआईए व साइबर सेल की मदद ली जाए। तल्खी भरे ये निर्देश पुलिस अधीक्षक हिमांशु गर्ग ने दिए हैं। वे बुधवार को अपराध समीक्षा बैठक में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि साल-2023 में हत्या के प्रयास के 59 मामलों में से 54 को हल किया जा चुका है। जबकि साल- 2024 में अभी तक 47 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें से 43 हल हो चुके हैं। हत्या के प्रयास के 9 मामलों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इन अनसुलझे मामलों का जल्द खुलासा किया जाए। इससे पीड़िताें को समय से न्याय दिलाया जा सकेगा। इसके लिए अदालत में भी मजबूत पैरवी की जाए। उन्होंने मारपीट के मामलों की समीक्षा करते हुए कहा कि साल- 2023 में 619 मामले दर्ज हुए थें। इनमें से 593 मामलों को ही हल किया गया है। वहीं, साल-2024 में अभी तक 346 में से 330 मामलों को ही हल किया गया है। इस तरह अभी तक 23 मुकदमों में पीड़िता को तत्काल कार्रवाई करते हुए न्याय दिलाया जाए। बैठक में उप पुलिस अधीक्षक मुख्यालय रवि खुंडिया, उप पुलिस अधीक्षक महम संदीप, उप पुलिस अधीक्षक कलानौर राकेश, उप पुलिस अधीक्षक सिटी विरेंद्र सिंह, उप पुलिस अधीक्षक यातायात अमित, उप जिला न्यायवादी ममता राठी, सभी प्रभारी थाना/चौकी, सभी प्रभारी सीआईए स्टाफ और अन्य पुलिस अधिकारी मौजूद रहे है।
महिला अपराध में कार्रवाई पर संतुष्ट नजर आए एसपी
महिलाओं के खिलाफ अपराध की समीक्षा करते हुए पुलिस अधीक्षक हिमांशु गर्ग अधिकारियों की कार्रवाई से संतुष्ट नजर आए। उन्होंने समीक्षा में पाया कि साल-2023 में दुष्कर्म के 111 मामले दर्ज हुए थे। जबकि इस साल-2024 में अभी तक केवल 44 मामले दर्ज हुए हैं। इन सभी में कार्रवाई हो चुकी है। छेडछाड़ की धाराओं के तहत साल-2023 में 137 और इस वर्ष मात्र 56 मामले दर्ज हुए हैं। ज्यादातर मामलों में आरोपी जेल जा चुके हैं। हालांकि उन्होंने अधिकारियों को चेताया कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध को गंभीरता से लें और तत्काल आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करें। पीडिता को कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाए और काउंसलिंग भी कराई जाए। समय-समय पर पीड़िताओं से संपर्क करते रहे और उनके मुकदमों पर पूरा ध्यान रखें।
मुकदमों में निर्दोष न जाए जेल
पुलिस अधीक्षक ने अपराध समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसी भी तरह के अपराध में निर्दोष जेल न जाए पाए। उन्होंने कहा कि लडाई-झगड़ों के मामलों में केस दर्ज होने के सात दिन में तथ्यों की जांच की जाए। उसके बाद आरोपियों को गिरफ्तार करें। यदि कोई भी मामला 30 दिन से ज्यादा लंबित मिला तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा मादक पदार्थ व अवैध हथियार लेकर चलने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाए। पुलिस अधीक्षक ने सभी थाना/चौकी प्रभारियों को अपराध की रोकथाम के लिए दिन-रात गश्त करने के निर्देश दिए।
पोर्टल पर अपलोड करें शिकायत
पुलिस अधीक्षक कहा कि थानाें में प्राप्त होने वाली सभी शिकायतों को सीसीटीएनएस पोर्टल पर अपलोड करें। शिकयतकर्ताओं को रसीद अवश्य दें। शिकायतों पर तुरंत संज्ञान लेते हुए समय अंतराल पर निपटारा कराने के निर्देश दिए। इसके अलावा पैरोल, शस्त्र लाइसेंस समेत अन्य सभी तरह के सत्यापन दस्तावेज को भी समयावधि से निराकरण कराया जाए। यदि लापरवाही पाई गई तो जिम्मेदार सिपाही से लेकर थानाप्रभारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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जांच अधिकारी अनसुलझी घटनाओं का जल्द करें खुलासा : पुलिस अधीक्षक