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बरखा दत्त फाउंडिंग एडिटर, मोजो स्टोरी
10 मई की सुबह जम्मू में धमाकों की आवाज से मेरी नींद खुली। तड़के करीब 5 बजे थे। ठीक उसी समय मेरा फोन भी घनघनाया। श्रीनगर में मेरे सहकर्मी जफर इकबाल भी जाग उठे थे। उन्होंने मुझसे कहा, युद्ध शुरू हो गया है। मैं नाइटसूट में ही धमाकों की दिशा में भागी।
मेरा कैमरामैन अभी भी उनींदा था। हमने पाया कि शहर के बीचों-बीच एक घनी बस्ती के ऊपर पाकिस्तानी ड्रोन्स को इंटरसेप्ट कर लिया गया था। जब हम घटनास्थल पर पहुंचे तो मैंने देखा कि एक घर की छत उड़ गई थी। केवल तिरंगा झंडा अभी भी वहां फहरा रहा था। वह भारत की दृढ़ता का प्रतीक था।
वह जिस परिवार का घर था- उसमें एक व्याकुल मां अपने दो छोटे लड़कों के साथ रो रही थी। आंसुओं के जरिए उसने भारत के सशस्त्र बलों को इस बात के लिए धन्यवाद दिया कि वह अभी भी जीवित है। हर जगह मलबा बिखरा पड़ा था, सड़क और कई घरों की दीवारों पर गड्ढे थे और दहशत का माहौल था। कॉलोनी से कुछ ही दूर शंभू मंदिर के ऊपर एक और पाकिस्तानी ड्रोन को इंटरसेप्ट किया गया था। एक रहवासी ने मुझे बताया कि हवाई हमले के सायरनों ने सैकड़ों जानें बचाई थीं।
उसी सुबह मेरे शो पर ब्रिगेडियर संदीप थापर- जो पिछली रात तक यह सोच रहे थे कि पाकिस्तान उकसावे से आगे नहीं बढ़ेगा- ने अपना विचार बदल दिया। उन्होंने कहा, यह अब एक ऑल-आउट वॉर है। लोगों के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि हमारे देश ने अभी-अभी क्या झेला है।
ऑपरेशन सिंदूर के तहत जहां भारत ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर हमले किए थे और यह स्पष्ट किया था कि ये नॉन-एस्केलेटरी हैं, वहीं पाकिस्तान ने खतरनाक तरीके से इसका जवाब दिया। जम्मू और कश्मीर के अलावा पाकिस्तान हमारे पंजाब प्रांत पर भी प्रहार करने के लिए कमर कसे हुए था, क्योंकि भारत के सटीक हमलों ने पाकिस्तान के पंजाब के मुरीदके और बहावलपुर में लश्कर और जैश के मुख्यालयों को नष्ट कर दिया था।
मुरीदके लाहौर से उतना ही दूर है, जितना गुरुग्राम दिल्ली से। पाकिस्तान की सियासत और फौज पर पंजाब का दबदबा है। उसे लगा कि भारत ने उसके नर्व-सेंटर पर हमला कर दिया है। गुजरात और राजस्थान की सीमाओं पर भी ड्रोन भेजने की कोशिश की गई।
अगर भारत की वायु रक्षा प्रणाली पाकिस्तान के हवाई ठिकानों- नूर खान, रहीम यार खान, सरगोधा- को तबाह करने में सक्षम नहीं होती, साथ ही अगर हमने लाहौर और कराची में वायु रक्षा प्रणालियों को नुकसान नहीं पहुंचाया होता, तो यह एक लंबा युद्ध हो सकता था।
ऑस्ट्रिया स्थित वायु युद्ध विशेषज्ञ टॉम कूपर ने मुझे बताया कि अंतिम निर्णायक बिंदु सरगोधा कॉम्प्लेक्स में पाकिस्तान की भूमिगत परमाणु फेसिलिटी के प्रवेश-द्वार पर हमला हो सकता था। पाकिस्तान ऐसी स्थिति में आ गया था, जहां वह अपने परमाणु हथियारों की भी रक्षा नहीं कर सकता था। एक अन्य पाकिस्तानी पत्रकार मोईद पीरजादा ने बताया कि अगर भारत की ओर से हमले 48 घंटों तक जारी रहते, तो पाकिस्तान की वायु सेना ध्वस्त हो सकती थी।
और इसीलिए जो दिन तड़के 5 बजे शुरू हुआ था और ऐसा लग रहा था कि हम एक पूर्णकालिक युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं, शाम 5 बजे अचानक समाप्त हो गया। घोषणा की गई कि पाकिस्तान के डीजीएमओ से एक फोन आने के बाद भारत ने संघर्ष-विराम पर सहमति जताई है।
यहां इस पर जोर देना जरूरी है कि भारत ने संघर्ष-विराम शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है और बार-बार दोहराया है कि यह चल रहे ऑपरेशन में सिर्फ एक विराम है। ट्रम्प चाहे जितनी कोशिशें करें; यह स्पष्ट है कि भारत की सैन्य-बढ़त के बिना यह संघर्ष बहुत लंबा खिंचता। और अगर पाकिस्तान के हवाई ठिकानों को इतना झटका नहीं लगता, तो यह टकराव और भी तेजी से बढ़ सकता था।
पाकिस्तान द्वारा भारत के साथ छद्म-युद्ध की कोशिशें और पाखंडी पश्चिमी दुनिया द्वारा इसे रोकने में नाकामी- दोनों ही चीजें आगे भी कायम रहने वाली हैं। ऐसे में हमें जान लेना चाहिए कि पाकिस्तान के साथ लड़ाई हमें अकेले ही लड़नी होगी। जहां चीन का हाथ पाकिस्तान के कंधे पर होगा, वहीं पश्चिमी देश और उनका मीडिया इस सबसे अनभिज्ञ बने रहने का दिखावा करते रहेंगे।
पाकिस्तान अपने तौर-तरीके नहीं बदलेगा। हमें न केवल एक और संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए, बल्कि यह भी जानना चाहिए कि दुनिया में अपनी शर्तों पर रास्ता बनाने का यही तरीका है कि हम आगे बढ़ें और एकजुट रहें। (ये लेखिका के अपने विचार हैं)
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बरखा दत्त का कॉलम: पाकिस्तान के साथ लड़ाई हमें अकेले ही लड़नी होगी
