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चंडीगढ़. हरियाणा में राज्यसभा चुनाव के लिए पूर्व दिग्गज कांग्रेस नेता किरण चौधरी (Kiran Choudhary) ने भारतीय जनता पार्टी की तरफ से नामांकन दाखिल किया है. हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुई किरण चौधरी ने बुधवार सुबह 11 बजे के करीब विधानसभा (Haryana Vidhan Sabha Chunav 2024) में नामांकन दाखिल किया. ऐसे में अब उनके निर्विरोध चुने जाने की संभावना प्रबल है. क्योंकि नामांकन का बुधवार को आखिरी दिन है और कांग्रेस ने अब तक अपना प्रत्याशी नहीं दिया है.
जानकारी के अनुसार, हरियाणा में 69 साल की किरण चौधरी की गिनती कांग्रेस के बड़े नेताओं में होती थी. लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया था. वह भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट के तहत तोशाम विधानसभा क्षेत्र से विधायक थीं. लगातार यहां से चार बार विधायक बनती रही हैं. किरण चौधरी के ससुर चौधरी बंसीलाल तीन बार हरियाणा के सीएम रहे. उनकी बेटी बेटी श्रुति चौधरी भी राजनीति में सक्रिय हैं. वह भिवानी-महेंद्रगढ़ से ही बेटी के लिए लोकसभा चुनाव में टिकट चाह रही थी. लेकिन बेटी को टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी.
बंसीलाल के बेटे यानी किरण चौधरी के पति सुरेंद्र सिंह की हेलीकॉप्टर हादसे में मौत हो गई थी. उसके बाद किरण चौधरी ने ससुर और पति की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया. किरण चौधरी ने साल 2005 में पहली बार तोशाम सीट पर चुनाव लड़ा और विधानसभा पहुंची. इसके बाद साल 2009, 2014. 2019 में तक किरण को तोशाम की जनता विधानसभा भेजती रही.
किरण चौधरी पांच बार की विधायक हैं.
किरण का कितना दबदबा?
किरण चौधरी तोशाम से पांच बार की विधायक रहीं हैं तो ऐसे में भाजपा अहीरवाल वोट बैंक को साधना चाहती है. अहम बात है कि किरण चौधरी चौधरी बंसीलाल की बहू हैं और बंसी लाल का खासा प्रभाव हरियाणा में है. इसके अलावा, एक अलग वोट बैंक केवल भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि जाट बेल्ट में है. किरण चौधरी भाजपा को भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा के नौ विधानसभा हलकों में बड़ी मजबूती दिला सकती हैं. इसके अलावा, हिसार-फतेहाबाद समेत पूरे हरियाणा में फायदा होगा. क्योंकि वह हरियाणा के तीन लालों की विरासत लेकर साथ चल रही हैं. यह पहला मौका है, जब, हरियाणा के तीनों लाल बंसीलाल, देवीलाल और भजनलाल के बेटे और बहु कांग्रेस को छोड़ गए हैं. देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला भाजपा में हैं. भजनलाल के बेटे-बहू कुलदीप बिश्नोई, रेणुका बिश्नोई और भव्य बिश्नोई भी भाजपा में हैं. वहीं अब बंसीलाल की बहू और पोती किरण चौधरी और श्रुति चौधरी भी भाजपा में हैं. साथ ही जाट चेहरा होने का भी फायदा भाजपा को मिल सकता है.
किरण के पति भी सिसायत में थे
किरण चौधरी के पति सुरेंद्र सिंह ने अपने पिता चौधरी बंसीलाल की राजनीतिक विरासत को संभाला था. वह 1996 और 1998 में भिवानी से लोकसभा चुनाव जीते थे. हालांकि, इससे पहले 1986-1992 तक राज्यसभा सदस्य भी रहे. किरण की तरह, पति सुरेंद्र सिंह ने तोशाम से दो बार विधायक चुने गए थे. लेकिन 2005 में उनका निधन हुआ तो किरण यहां से मैदान में उतरी. अहम बात है कि किरण के लिए चुनाव नया नहीं था और वह राजनीति में पहले से ही थी. साल 1993 में दिल्ली कैंट से चुनाव में उन्हें हार मिली थी. लेकिन 1998 में वह जीतीं और दिल्ली विधानसभा की उपाध्यक्ष रहीं. 2003 में हार के बाद वह 2004 में राज्यसभा चुनाव भी नहीं जीत पाई थी. 2004 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार में किरण कैबिनेट मंत्री रही. 2014 में वह नेता विपक्ष भी थी.
चंडीगढ़ में नामांकन दाखिल करने पहुंची किरण चौधरी.
क्या बोली किरण चौधरी
चंडीगढ़ में राज्यसभा में नामांकन दाखिल करने के बाद किरण चौधरी ने कहा कि भाजपा प्रदेश हित के लिए काम करती है और हरियाणा के सारे मुद्दे राज्यसभा में उठाऊंगी. उन्होंने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व का धन्यवाद भी किया.
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