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पेरिस ओलंपिक में फाइनल से अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ पहलवान विनेश फोगाट की अपील पर खेल पंचाट यानी कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (सीएएस) ने कहा कि खिलाड़ियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अपने वजन की सीमा के अंदर रहें और इस तरह के मामले में किसी भी परिस्थिति में कोई अपवाद प्रदान नहीं किया जा सकता है। सीएएस के तदर्थ पैनल ने 14 अगस्त को 100 ग्राम अधिक वजन के कारण फाइनल से अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ उनकी अपील को खारिज कर दिया था, इस फैसले पर भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। सीएएस ने सोमवार को एक विस्तृत निर्णय प्रकाशित किया, जिसमें बताया गया कि विनेश की अपील क्यों खारिज कर दी गई।
‘नियम सभी प्रतिभागियों के लिए समान’
इसके मुताबिक, ”खिलाड़ी के लिए समस्या यह है कि वजन सीमा के संबंध में नियम स्पष्ट हैं और सभी प्रतिभागियों के लिए समान हैं। इसके लिए (ऊपरी सीमा) कोई छूट प्रदान नहीं की गई है। यह स्पष्ट रूप से खिलाड़ी की जिम्मेदारी है कि वह उस सीमा से नीचे रहे।” उन्होंने कहा, ”इसमें कोई विवाद नहीं है कि आवेदक का वजन सीमा से अधिक था। उसका मामला यह है कि उसका वजन मात्र 100 ग्राम अधिक था और इसकी छूट मिलनी चाहिए क्योंकि ऐसा पानी पीने और विशेष रूप से मासिक धर्म से पहले के चरण के दौरान हो जाता है।” विनेश को महिलाओं के 50 किग्रा फ्रीस्टाइल फाइनल की सुबह अयोग्य घोषित कर दिया गया था। उनकी अपील पर निर्णय तीन बार स्थगन के बाद सुनाया गया।
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विनेश ने सिल्वर मेडल की मांग की थी
अपनी अपील में विनेश ने मांग की थी कि उन्हें क्यूबा की पहलवान युसनेलिस गुजमैन लोपेज के साथ संयुक्त रजत पदक दिया जाए, जो सेमीफाइनल में उनसे हार गई थीं। भारत की 29 साल की खिलाड़ी के अयोग्य होने के बाद क्यूबा की पहलवान को फाइनल में खेलने का मौका मिला था। इस स्पर्धा का स्वर्ण अमेरिकी सारा एन हिल्डेब्रांट ने जीता था। विनेश ने अयोग्य घोषित होने के बाद खेल से संन्यास का ऐलान कर दिया था। हालांकि, उन्होंने गुजरे शुक्रवार को संन्यास से वापसी का संकेत दिया। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि भविष्य में क्या होगा?
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‘मेरी किस्मत में शायद यही था’
विनेश ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, ”मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि हमने हार नहीं मानी, हमारे प्रयास नहीं रुके, लेकिन घड़ी रुक गई और समय ठीक नहीं था। मेरी किस्मत में शायद यही था।” उन्होंने आगे लिखा, ”हो सकता है कि अलग-अलग परिस्थितियों में, मैं खुद को 2032 तक खेलते हुए देख सकूं, क्योंकि मेरे अंदर संघर्ष और कुश्ती हमेशा रहेगी। मैं भविष्यवाणी नहीं कर सकती कि भविष्य में मेरे लिए रखा है लेकिन मुझे इस यात्रा का इंतजार है। मुझे यकीन है कि मैं जिस चीज में विश्वास करती हूं और सही चीज के लिए हमेशा लड़ती रहूंगी।”
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