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Fatehabad News: झुग्गी-झोपड़ियों में ज्ञान का दीपक जला रहे जाखल शहर के 11 युवा Latest Haryana News

Fatehabad News: झुग्गी-झोपड़ियों में ज्ञान का दीपक जला रहे जाखल शहर के 11 युवा  Latest Haryana News

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श्रीश्याम सेवा केंद्र में शिक्षा ग्रहण करने आए बच्चे, संस्था के सदस्य व अध्यापक। 

जाखल। एक तरफ जहां कुछ युवा नशे का शिकार होकर अपना जीवन बर्बाद रहे हैं, वहीं जाखल शहर के 11 युवा शिक्षा की ऐसी अलख जगा रहे हैं, जो औरों के लिए भी नजीर है। समाज में अनेकों बच्चे घरेलू परिस्थितियों के कारण शिक्षा से वंचित हैं। ऐसे नौनिहालों को शिक्षा का पाठ पढ़ा कर ये युवा उनका भविष्य संवारने का बीड़ा उठाए हुए हैं।

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शहर की श्याम जूता सेवादल संस्था से जुड़े युवा स्कूल की स्थापना कर आर्थिक रूप से अक्षम झुग्गी-झोपड़ियों के निरक्षर नौनिहालों काे शिक्षित करने में लगे हैं। संस्था के इस स्कूल में नर्सरी से दसवीं कक्षा तक के 70 नौनिहालों को निशुल्क शिक्षा मिलती है। साथ ही इन बच्चों के खाने की व्यवस्था भी हर दिन संस्था करती है।

बता दें कि संस्था से जुड़े इन 11 युवाओं ने करीब सात साल पहले शहर में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए स्कूल शुरू किया था। इन युवाओं का उद्देश्य है कि शहर में झुग्गी बस्ती का प्रत्येक बच्चा शिक्षा ग्रहण करें एवं उसे पेटभर खाना मिले। इस उद्देश्य को लेकर सात वर्ष पूर्व शहर में झुग्गी बस्ती के समीप स्थित एक किराये के भवन में स्कूल स्थापित किया। जहां इन बस्ती के बच्चों को प्रति दिन शाम के समय तीन घंटे नियमित रूप से शिक्षित किया जाता है। शहर में वैसे तो बहुत से शिक्षण संस्थान हैं, लेकिन व्यक्तिगत कारणों से ये बच्चे सुबह के समय सरकारी व निजी स्कूल में नहीं जा पाते हैं, इसलिए संस्था के इस स्कूल में ऐसे बच्चों में शिक्षा की अलख जगाई जा रही है। संवाद

विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी तो आमजन के सहयोग से बनाया खुद का स्कूल भवन

श्याम जूता सेवादल संस्था के प्रधान प्रदीप कुमार, उपप्रधान दीपक सिंगला, कोषाध्यक्ष रजत सिंगला, सचिव लव शर्मा, जोनी इन्सां, ध्रुव गोयल, नवीन कुमार, राजन मौर्य, शांटी बंसल, ओम कुमार व कपिल कुमार बताते हैं कि झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चे शिक्षा से वंचित थे। संस्था के सदस्यों ने झुग्गी बस्ती के बच्चों को नगर में जब कूड़ा बीनते एवं भीख मांगते देखा तो उन्होंने अपने स्तर पर इन बच्चों को मुफ्त ट्यूशन देकर इनका भविष्य संवारने की ठानी। इन बच्चों का मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं था। उनके माता-पिता को पढ़ाई की अहमियत नहीं पता थी। इसलिए पहले इन बच्चों के अभिभावकों से बातचीत की तो वे अपने बच्चों को उनके यहां शिक्षा दिलाने को सहमत हो गए। शुरुआत में उन्होंने यह स्कूल कुछ बच्चों की मदद के लिए खोला था, लेकिन देखते ही देखते ये बड़ा हो गया। धीरे-धीरे विद्यार्थियों की संख्या बढ़ती गई। इससे जगह भी कम रह गई। मगर संस्था के इस सराहनीय कार्य में मदद करने के लिए शहरवासी भी आगे आए और उन्होंने संस्था को स्वयं का स्कूल भवन बनाने के लिए आर्थिक सहयोग किया। इससे अब संस्था द्वारा खुद का स्कूल भवन बना लिया गया है।

बच्चों को पढ़ाने के लिए रखे शिक्षक

इन 70 विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए संस्था के सदस्यों ने शिक्षकों की टीम भी रखी हुई है। जो बच्चों को अलग-अलग विषयों का ज्ञान देते हैं। बच्चों को पढ़ाने वाले अध्यापकों में श्वेता शर्मा, हिना रानी, जैस्मिन, कविता, भावना, मानी शामिल हैं। इन शिक्षकों का कहना है कि पहले जो बच्चे कूड़ा बीनने और भीख मांगने से आगे की सोच नहीं पाते थे, वह अब अफसर बनने की सोच रखने लगे हैं। शिक्षा का ज्ञान होने से उनका जीवन बदल रहा है। संस्था सदस्य व शिक्षक कहते हैं कि उन्हें पूरा विश्वास है कि इन बच्चों में से कई आगे चलकर अपना बेहतर भविष्य बनाएंगे।

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