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पहलगाम हमले के खिलाफ अमेरिका में भी फूटा गुस्सा, हिंदू संगठनों ने दर्ज कराया विरोध Today World News

पहलगाम हमले के खिलाफ अमेरिका में भी फूटा गुस्सा, हिंदू संगठनों ने दर्ज कराया विरोध Today World News

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Image Source : UNITED HINDU GROUPS
अमेरिका में हिंदू संगठनों ने पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में सभाएं कीं।

वॉशिंगटन डीसी: पाकिस्तान समर्थित इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा भारत के पहलगाम में हुए क्रूर नरसंहार के पीड़ितों के सम्मान में अमेरिका में हिंदू संगठनों ने एकजुट होकर 26 और 27 अप्रैल 2025 को देश के प्रमुख शहरों में शांतिपूर्ण सभाएं आयोजित कीं। इन सभाओं में हजारों हिंदू-अमेरिकियों ने हिस्सा लिया और वैश्विक इस्लामिक आतंकवाद को खत्म करने की एकजुट मांग उठाई। संगठनों ने कहा कि 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की छद्म शाखा द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) से जुड़े इस्लामिक आतंकवादियों ने 25 हिंदुओं की नृशंस हत्या कर दी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, आतंकियों ने पर्यटकों की धार्मिक पहचान की जांच के लिए उन्हें कलमा पढ़ने को कहा और उनके कपड़े उतारकर यह पुष्टि की कि उनका खतना किया गया है या नहीं।

अमेरिका के हिंदू संगठनों ने कहा कि हिंदू पहचान की पुष्टि होने पर इन निर्दोष पुरुषों को उनके परिवारों के सामने बेरहमी से मार डाला गया। यह धार्मिक आधार पर लक्षित हिंसा का एक और जघन्य कृत्य है, जो कश्मीर में हिंदुओं पर हमलों की लंबी श्रृंखला का हिस्सा है। इनमें 1990 में लगभग 4 लाख कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार, 2000 में अमरनाथ नरसंहार (32 मृत), और 2002 में कासिम नगर नरसंहार (29 मृत) शामिल हैं।

5 मई को पाकिस्तानी दूतावास के सामने होगा प्रदर्शन

अमेरिका में 13 हिंदू संगठनों, जिनमें अमेरिकन्स फॉर हिंदूज (A4H), कोएलिशन ऑफ हिंदूज ऑफ नॉर्थ अमेरिका (CoHNA), फेडरेशन ऑफ इंडियन्स एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (FIIDS), ग्लोबल हिंदू टेम्पल नेटवर्क (GHTN), ग्लोबल हिंदू हेरिटेज फाउंडेशन (GHHF), कश्मीरी ओवरसीज एसोसिएशन (KOA), हिंदूPACT, हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (HAF), हिंदू मंदिर एम्पावरमेंट काउंसिल (HMEC), हिंदू स्वयंसेवक संघ (HSS), हिंदू द्वेष, द अवंती फाउंडेशन, विश्व हिंदू परिषद ऑफ अमेरिका (VHPA), और अमेरिकन हिंदू फेडरेशन (AHF), वॉयस ऑफ हिंदूज शामिल हैं, ने इन सभाओं का आयोजन किया।

ये सभाएं वाशिंगटन डीसी, न्यूयॉर्क सिटी, एडिसन, ह्यूस्टन, डलास, सैन फ्रांसिस्को, फ्रेमॉन्ट, सैन जोस, सैक्रामेंटो, रिजवुड, पार्सिपनी, लॉन्ग आइलैंड, न्यूइंगटन, वेलिंगटन, कोलंबस, शिकागो, लॉस एंजिल्स, सिएटल, लास वेगास और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले सहित कई शहरों में हुईं। आगामी दिनों में और सभाएं आयोजित की जाएंगी। 1 मई को वॉशिंगटन डीसी में एक सभा होगी, और 5 मई को लॉस एंजिल्स में पाकिस्तानी वाणिज्य दूतावास के सामने एक विरोध प्रदर्शन होगा। हिंदू मंदिर एम्पावरमेंट काउंसिल (HMEC) ने 3 मई को एक वर्चुअल प्रार्थना सभा का आयोजन किया है, जिसमें पूरे अमेरिका के मंदिरों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

सभाओं में गूंजा न्याय का स्वर

सभाओं में प्रतिभागियों ने मोमबत्तियां जलाईं, प्रार्थनाएं कीं, और उन हिंदुओं की याद में एक मिनट का मौन रखा, जिन्हें इस्लामिक जिहादी आतंकियों ने क्रूरता से मार डाला। वे ‘पहलगाम के लिए न्याय’, ‘राज्य प्रायोजित इस्लामिक आतंकवाद बंद करो’, और ‘हिंदुओं की हत्या बंद करो’ जैसे नारे लिखी तख्तियां लेकर आए थे। आयोजकों ने जोर देकर कहा कि यह मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा है, जो क्षेत्रीय या राष्ट्रीय राजनीति से परे है।

अमेरिका के हिंदू समुदाय की प्रमुख मांगें  

  1. पहलगाम ‘नरसंहार’ को हिंदुओं के खिलाफ धार्मिक आतंकवाद के रूप में मान्यता दी जाए।  
  2. संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को ‘आतंकवाद का राज्य प्रायोजक’ घोषित किया जाए।  
  3. पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ व्यवस्थित हिंसा की संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में जांच की जाए।  
  4. वैश्विक मीडिया हिंदू पीड़ितों की धार्मिक उत्पीड़न को स्वीकार करे और इस्लामिक आतंकवादियों को ‘उग्रवादी’ या ‘विद्रोही’ कहकर उनका महिमामंडन बंद करे।

हिंदू संगठनों के नेताओं का बयान

हिंदूपैक्ट के संस्थापक डॉ. अजय शाह ने कहा, ‘धार्मिक स्वतंत्रता हिंदुओं पर भी लागू होनी चाहिए। मानव गरिमा में हिंदू जीवन भी शामिल हैं। पहलगाम के पीड़ित सिर्फ आंकड़े नहीं, हमारे भाई-बहन हैं। हम उनकी याद रखेंगे और न्याय की मांग करेंगे। पाकिस्तान प्रायोजित हिंदुओं का क्रमिक नरसंहार बंद होना चाहिए।’ VHPA के मुख्य प्रवक्ता श्याम तिवारी ने कहा, ‘हम विश्व नेताओं से इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने और इसे पूरी तरह नष्ट करने की मांग करते हैं।’ CoHNA के अध्यक्ष निकुंज त्रिवेदी ने कहा, ‘पहलगाम कोई अलग-थलग घटना नहीं, बल्कि हिंदुओं के खिलाफ धार्मिक घृणा का हिस्सा है। हम विश्व नेताओं से हिंदूफोबिया की बढ़ती लहर के खिलाफ लड़ने का आह्वान करते हैं।’

HAF की कार्यकारी निदेशक सुहाग शुक्ला ने कहा, ‘यह हिंदू होने की वजह से निर्दोष लोगों पर किया गया सुनियोजित और क्रूर हमला था। परिवारों को निशाना बनाया गया, उनकी धार्मिक पहचान जांची गई और उनकी नृशंस हत्या की गई। यह केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता और मानव गरिमा को महत्व देने वालों के लिए चिंता का विषय है।’ अमेरिकन्स फॉर हिंदूज (A4H) के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ. रोमेश जापड़ा ने कहा, ‘आतंकवाद अगर विश्व से समाप्त नहीं हुआ तो यह मानवता को नष्ट कर देगा। सभी विश्व नेताओं को आतंकवाद को खत्म करने के लिए एक साथ काम करना चाहिए।’

कश्मीरी ओवरसीज ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष उपहार कोट्टू ने कहा, ‘पर्यटन सच्चाई को छिपा नहीं सकता! प्रत्येक हमला हमारे उन घावों को फिर से खोल देता है, जो कभी ठीक नहीं हुए। हमारा दर्द लंबे समय से अनदेखा किया गया है।’  ग्लोबल हिंदू टेम्पल नेटवर्क अमेरिका के अध्यक्ष मोहिंदर गुलाटी ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय संगठनों और वित्तीय संस्थानों ने पाकिस्तान प्रायोजित इस्लामिक आतंकवाद से निपटने में संधियों, सम्मेलनों और नीतियों को लागू करने में विफलता दिखाई है।’ द अवंती फाउंडेशन के संजीव काक ने कहा, ‘पाकिस्तान प्रायोजित जिहादी आतंकियों द्वारा पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों के अत्यंत बर्बर नरसंहार की हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।’ वॉयस ऑफ हिंदूज के प्रवक्ता डॉ. अमित देसाई ने कहा, ‘हम 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हिंदू तीर्थयात्रियों की क्रूर हत्या का शोक मना रहे हैं। यह एक चौंकाने वाला आतंकी कृत्य है। हम न्याय और ऐसी धार्मिक हिंसा के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई की मांग करते हैं।’

पुराने हमलों का भी किया जिक्र

सभाओं में कश्मीर में हिंदुओं के खिलाफ हुए पुराने हमलों, जैसे नरसंहार और पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान में मंदिरों को अपवित्र करने की घटनाओं का जिक्र किया। ये सभाएं न केवल पहलगाम के पीड़ितों को श्रद्धांजलि थीं, बल्कि हिंदुओं के खिलाफ धार्मिक हिंसा और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई की मांग का एक मजबूत संदेश भी थीं। हिंदू समुदाय ने एकजुट होकर यह स्पष्ट किया कि वे अपने लोगों के लिए न्याय और सम्मान की मांग को तब तक जारी रखेंगे, जब तक उनकी आवाज सुनी नहीं जाती।

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