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हरियाणा में चुनाव की घोषणा के बाद संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है। इसकी वजह 6 महीने के भीतर एक बार विधानसभा सेशन बुलाना है। राज्य विधानसभा का अंतिम सेशन 13 मार्च को हुआ था। जिसमें नए बने CM नायब सैनी ने विश्वास मत हासिल किया था। इसके बाद 12 सितंबर तक स
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यह संवैधानिक संकट ऐतिहासिक भी है क्योंकि देश आजाद होने के बाद कभी ऐसी स्थिति नहीं आई। हरियाणा में ही कोरोना के दौरान भी इस संकट को टालने के लिए 1 दिन का सेशन बुलाया गया था।
इस संकट से बचने के लिए अब 2 ही रास्ते बचे हैं।
पहला… मौजूदा BJP सरकार विधानसभा सेशन बुलाए, चाहे वह एक ही घंटे का हो। इससे संवैधानिक अनिवार्यता की शर्त पूरी हो जाएगी।
दूसरा… अगर सरकार सेशन बुलाने से पीछे हटती है तो गवर्नर अपने स्तर पर विधानसभा भंग कर देंगे। फिर सरकार खत्म हो जाएगी। गवर्नर नायब सैनी को ही कार्यवाहक सीएम बनाकर कामकाज जारी रखने को कहेंगे।
संविधान माहिर मानते हैं कि वैसे तो यह महज कागजी औपचारिकता है लेकिन संवैधानिक तौर पर अनिवार्य होने से इसे हर हाल में पूरा करना होगा। ऐसी सूरत में भी सेशन न बुलाया गया हो, ऐसा कोई उदाहरण देश में नहीं है।
3 नवंबर तक इस 14वीं विधानसभा का कार्यकाल
राज्य में इस वक्त 15वीं विधानसभा चल रही है। 16वीं विधानसभा के गठन के लिए चुनाव की घोषणा हो चुकी है। इसका नोटिफिकेशन 3 हफ्ते बाद 15 सितंबर को जारी होगा। इसके लिए 1 अक्टूबर को वोटिंग और 4 अक्टूबर को काउंटिंग होगी। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक है।
संविधान में सेशन बुलाने के क्या नियम…
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 174 (1) में उल्लेख है कि विधानसभा के 2 सत्रों के बीच 6 महीने से ज्यादा का अंतराल नहीं होना चाहिए। इसलिए 12 सितंबर तक विधानसभा का सत्र बुलाना अनिवार्य है। भले ही वह एक दिन की अवधि का ही क्यों न हो।
एडवोकेट हेमंत कुमार के अनुसार, यदि 12 सितंबर से पूर्व कैबिनेट की सिफारिश पर राज्यपाल विधानसभा को समय पूर्व भंग कर देते हैं तो आगामी सत्र बुलाने की आवश्यकता नहीं होगी।
विधानसभा का यह सत्र इसलिए भी जरूरी है क्योंकि राज्यपाल से कुल 5 अध्यादेश (ऑर्डिनेंस) भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 (1) में जारी कराए गए हैं। अगर विधानसभा को समय पूर्व भंग कर दिया जाता है तो इन 5 अध्यादेशों की वैधता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
क्या राज्यसभा चुनाव का इंतजार कर रही सरकार?
चुनाव की घोषणा और सेशन बुलाने के बीच एक और बड़ा मुद्दा दीपेंद्र हुड्डा के इस्तीफे से खाली हुई राज्यसभा सीट का उपचुनाव है। चुनाव आयोग ने इसके लिए नामांकन की आखिरी तारीख 21 अगस्त रखी है। 27 अगस्त तक उम्मीदवार नाम वापस ले सकेंगे। 3 सितंबर को सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक वोटिंग होगी। 8 घंटे वोटिंग के बाद उसी दिन रिजल्ट घोषित कर दिया जाएगा।
एडवोकेट हेमंत कुमार कहते हैं कि अगर राज्यसभा उपचुनाव से पहले विधानसभा भंग हो जाए तो फिर यह चुनाव ही रद्द करना पड़ेगा क्योंकि तब कोई विधायक नहीं रहेगा। इस उपचुनाव में विधायकों ने ही वोटिंग करनी है। हालांकि हरियाणा में सत्र बुलाने की डेडलाइन 12 सितंबर है तो ये उपचुनाव पहले ही हो जाएगा। इसलिए ऐसी स्थिति नजर नहीं आ रही।
राज्यसभा सीट पर विपक्ष से BJP की कमजोर क्रॉस वोटिंग से जीत तय
हरियाणा विधानसभा में भाजपा के पास इस वक्त 41 विधायक हैं। इसके अलावा सहयोगी हलोपा 1 और एक निर्दलीय मिलाकर 43 विधायकों का सीधा समर्थन है।
पूरे विपक्ष को मिलाकर देखें तो कांग्रेस के 29, जजपा के 10, इनेलो के 1 और 4 निर्दलियों को मिलाकर 44 विधायक हैं। हालांकि कांग्रेस की एक विधायक किरण चौधरी भाजपा में शामिल हो चुकी है।
जजपा के 6 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं। ऐसे में उनके भाजपा के हक में क्रॉस वोटिंग तय मानी जा रही है। वहीं पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा कांग्रेस उम्मीदवार खड़ा करने से इनकार कर चुके हैं। जजपा समेत बाकी पार्टियों के पास बहुमत नहीं है।
राज्यसभा सीट को लेकर BJP में इन 3 महिलाओं की प्रबल दावेदारी
राज्यसभा सीट पर BJP महिला चेहरे पर दांव खेल सकती है। भाजपा विधानसभा चुनाव से पहले जातीय संतुलन साधने निकली तो फिर यह महिला SC वर्ग से हो सकती है। भाजपा में फिलहाल 3 महिला नेता राज्यसभा सीट की प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं। इनमें एक जाट चेहरा और 2 SC वर्ग से हैं।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक फिलहाल इन चेहरों में सबसे टॉप पर बंतो कटारिया का नाम चल रहा है। बंतो कटारिया अंबाला के सांसद रहे स्व. रतन लाल कटारिया की पत्नी हैं। दूसरे नंबर पर सुनीता दुग्गल हैं। सुनीता सिरसा से सांसद रह चुकी हैं। तीसरे नंबर पर कांग्रेस से भाजपा में आईं भिवानी के तोशाम की विधायक किरण चौधरी हैं।
कुलदीप बिश्नोई पर भी दांव खेल सकती है BJP
पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई भी राज्यसभा सीट के लिए जोड़ तोड़ कर रहे हैं। कुलदीप बिश्नोई को हाल ही में भाजपा ने प्रदेश चुनाव समिति और प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति में लेकर उनका कद भी बढ़ाया है। भाजपा के पुराने नेता पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु की भी राज्यसभा सीट को लेकर दावेदारी मानी जा रही है। इन 2 चेहरों के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओपी धनखड़ भी दौड़ में हैं, जो राज्य का बड़ा जाट चेहरा हैं।
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