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6 जून को स्पेस स्टेशन पहुंचने के बाद क्रू के साथ बुच विल्मोर और सुनीता विलियम्स।
भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स स्पेस में फंसे हुए दो महीने से ज्यादा का समय बीत गया है। अब खबर आ रही है कि उन्हें आंख में तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक लंबे समय से जीरो ग्रैविटी में रहने की वजह से उन्हें यह समस्या हुई है।
विलियम्स को स्पेसफ्लाइट एसोसिएटेड न्यूरो-ऑकुलर सिंड्रोम (SANS) हुआ है। इस बीमारी में आंखों के लिए जरूरी पोषक तत्व उन तक नहीं पहुंच पाते हैं। इससे नजर धुंधली हो जाती है और आंख के आकार में परिवर्तन आ जाता है। फिलहाल उनके रेटिना, कॉर्निया और लेंस के स्कैन किए गए हैं और इलाज किया जा रहा है।
सुनीता विलियम्स के अलावा एस्ट्रोनॉट बुच विल्मोर भी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में फंसे हुए हैं। दोनों अंतरिक्ष 6 जून को अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचे थे।
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इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में सुनीता विलियम्स और बुश विलमोर। तस्वीर 9 जुलाई 2024 की है।
एयरक्राफ्ट में खराबी के कारण 2 महीने से स्पेस में फंसे हैं
सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुश विलमोर अमेरिकी एयरक्राफ्ट कंपनी बोइंग और नासा के संयुक्त क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन पर गए थे। ये मिशन 8 दिन तक चलना था। उन्हें 13 जून को वापस आना था, लेकिन स्पेसक्राफ्ट में खराबी के कारण वो वापस नहीं आ सके।
फिलहाल दोनो 2 महीने से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में हैं। नासा लगातार दोनों की वापसी के लिए तरीके खोजने में लगा है। हाल ही में अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने कहा कि, दोनों की वापसी में फरवरी 2025 तक का वक्त लग सकता है।
स्पेसक्राफ्ट के थ्रस्टर्स से हीलियम गैस का रिसाव हो रहा है
ब्रिटिश न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक लॉन्च के बाद 25 दिनों में स्पेसक्राफ्ट के कैप्सूल में 5 हीलियम लीक हुए। 5 थ्रस्टर्स काम करना बंद कर चुके थे। इसके अलावा एक प्रॉपेलेंट वॉल्व पूरी तरह बंद नहीं किया जा सका। स्पेस में मौजूद क्रू और अमेरिका के ह्यूस्टन में बैठे मिशन के मैनेजर मिलकर भी इसे ठीक नहीं कर पा रहे हैं।
एक स्पेसक्राफ्ट में कई थ्रस्टर होते हैं। इनकी मदद से स्पेसक्राफ्ट अपना रास्ता और स्पीड बदलता है। वहीं हीलियम गैस होने की वजह से रॉकेट पर दबाव बनता है। उसका ढांचा मजबूत बना रहता है, जिससे रॉकेट को अपनी फ्लाइट में मदद मिलती है।
6 पॉइंट में लैंडिंग का पूरी प्रोसेस
- पृथ्वी के वायुमंडल में रीएंट्री के दौरान, स्पेसक्राफ्ट 28,000 Km/घंटे की गति से धीमा होना शुरू हो जाएगा। इस दौरान क्रू 3.5 g तक भार महसूस कर सकता है। रीएंट्री के बाद पैराशूट सिस्टम की सुरक्षा के लिए स्पेसक्राफ्ट की आगे लगी हीट शील्ड को हटा दिया जाएगा।
- दो ड्रैग और तीन मुख्य पैराशूट स्टारलाइनर की गति को और धीमा कर देंगे। बेस हीट शील्ड डुअल एयरबैग सिस्टम को एक्सपोज करते हुए डिप्लॉय हो जाएगी। 6 प्राइमरी एयरबैग कैप्सूल के बेस पर डिप्लॉय होंगे। ये लैंडिंग के दौरान कुशन की तरह काम करेंगी।
- लैंडिंग के दौरान स्पेसक्राफ्ट की गति करीब 6 किलोमीटर प्रति घंटे की होगी। संभावित लैंडिंग स्थानों में एरिजोना का विलकॉक्स और यूटा का डगवे प्रोविंग ग्राउंड शामिल है। कैलिफोर्निया में एडवर्ड्स एयरफोर्स बेस एक इमरजेंसी लैंडिंग साइट के रूप में उपलब्ध है।
- टचडाउन के बाद, चालक दल पैराशूट हटाएगा, स्पेसक्राफ्ट की बिजली बंद करेगा और मिशन कंट्रोल लैंडिंग और रिकवरी टीमों से सैटेलाइट फोन कॉल के जरिए संपर्क करेगा। रिकवरी टीम स्टारलाइनर के चारों ओर एक टेंट लगाएगी और स्पेसक्राफ्ट में ठंडी हवा पंप करेगी।
- स्टारलाइनर का हैच खुलने और, लैंडिंग के एक घंटे से भी कम समय बीतने के बाद, दोनों एस्ट्रोनॉट्स हेल्थ चेक के लिए मेडिकल व्हीकल में जाएंगे। फिर NASA के विमान तक पहुंचने के लिए हेलिकॉप्टर में उड़ान भरेंगे। ये विमान उन्हें ह्यूस्टन के एलिंगटन फील्ड लेकर जाएगा।
- लैंडिंग और सक्सेसफुल रिकवरी के बाद, NASA स्पेस स्टेशन पर मिशनों के लिए एक ऑपरेशनल क्रू सिस्टम के रूप में स्पेसक्राफ्ट को सर्टिफाई करने का काम पूरा करेगा। सर्टिफिकेशन के बाद मिशन्स की शुरुआत 2025 में होने की उम्मीद है।
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एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुश विलमोर स्पेस स्टेशन में 2 महीने से फंसे हुए हैं। उन्हें 5 जून 2024 को महज 8 दिनों के मिशन पर भेजा गया था, लेकिन स्पेसक्राफ्ट में खराबी के चलते वो धरती पर वापस नहीं आ सके। अब अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने कहा है कि दोनों की वापसी में फरवरी 2025 तक का वक्त लग सकता है।
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