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पाकिस्तानी सेना
Pakistan Army Truth: हर देश के पास अपनी एक सेना होती है लेकिन पाकिस्तान के बारे में कहा जाता है कि यहां सेना के पास एक देश है। ये वो सेना है जो कभी कोई जंग नहीं जीता पाई लेकिन इसके जनरलों के सीने पर चमकते दमकते मेडल्स की भरमार नजर आती है। भारत से अलग होकर एक नया देश बनने के बाद से पाकिस्तान की सेना ने अपने लोगों को भारत विरोधी चूरन खूब चटाया है और कश्मीर को हमेशा एक इमोश्लन टूल की तरह इस्तेमाल किया है। पाकिस्तानी सेना के अंदरूनी हालात बदहाल हैं, ये सेना लड़ने के अलावा बाकी सबकुछ करती है। डायपर से लेकर ड्रग्स तक का धंधा ये आर्मी करती है। पाकिस्तानी सेना की कारगुजारियों पर विस्तार से नजर आगे डालेंगे लेकिन उससे पहले यहां बात करते हैं कि आखिर जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले से पाकिस्तान का क्या लिंक है जिसका इशारा खुद वहां के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने हाल ही में किया था।
असीम मुनीर ने उगला था जहर!
सबसे पहले आपको बताते हैं कि पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर ने कहा क्या था। आसीम मुनीर ने 16 अप्रैल को कहा था कि कश्मीर पर हमारा (पाकिस्तानी सेना) और सरकार का रुख बिल्कुल स्पष्ट है। हम इसे नहीं भूलेंगे। मुनीर ने कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस बताते हुए इस बात पर जोर दिया था हिंदू और मुसलमान पूरी तरह से अलग हैं, जीवन के हर पहलू में भिन्न हैं। 16 अप्रैल को मुनीर ने इस तरह का बयान देते हैं और 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हो जाता है जिसमें हिंदुओं को टारगेट कर उनकी हत्या की जाती है।
संकट में असीम मुनीर
अब बात पाकिस्तानी सेना की हरकतों पर। हमने आपको पहले ही बताया था कि पाकिस्तान की सेना कश्मीर को हमेशा एक इमोश्लन टूल की तरह इस्तेमाल करती रही है। एक बार फिर पकिस्तानी आर्मी ने पहलगाम में आतंकी हमला कर ऐसा ही किया है और अपने अंदरूनी हालातों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए बर्बर और कायराना हरकत की है। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है कि पाकिस्तान में अफसरों और सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर के बीच संबंध ठीक नहीं हैं।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर
पाकिस्तानी सेना में बगावत
हाल ही में‘द गार्डियंस ऑफ ऑनर’ शीर्षक से लिखी एक चिट्ठी लीक हुई थी जिसके बाद पाकिस्तानी फौज में मचा घमासान जगजाहिर हो गया था। इस चिट्ठी में सेना के निचले और मध्य दर्जे के अफसरों ने असीम मुनीर की काबिलियत पर ही सवाल उठा दिए थे। मुनीर पर अक्षमता, भ्रष्टाचार, राजनीतिक उत्पीड़न और आर्थिक कुप्रबंधन जैसे गंभीर आरोप तक लगाए गए थे। चिट्ठी में मुनीर से इस्तीफा मांगा गया था और चेतावनी दी गई थी अगर उन्होंने पद नहीं छोड़ा तो हालात मुश्किल बना दिए जाएंगे। सेना के भीतर बगावत की आशंका ने पाकिस्तान की स्थिरता पर गंभीर खतरा पैदा किया है। कहा तो यह भी जा रहा है कि हालात 1971 जैसे बदतर हो गए हैं जब पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए थे। अब ऐसे में साफ है कि पाकिस्तान की सेना के भीतर हालात किस कदर खराब हैं।
सेना के कंट्रोल में नहीं बलूचिस्तान
बलूचिस्तान में अलगाववाद की जड़ें बेहद पुरानी है। बलूचिस्तान के लोग खुद को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मानते हैं और आज की तारीख में हालात ऐसे हैं कि पाकिस्तानी सेना यहां से अपना कंट्रोल खोती जा रही है। हाल ही में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन हाईजैक मामले को भला कौन भूल सकता है। इतना ही नहीं तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP), बलूच विद्रोही गुट और अन्य संगठन पाकिस्तानी सेना के गले की फांस बन गए हैं। अब ऐसे में पाकिस्तानी सेना के पास कश्मीर एक ऐसा टूल है जो जनता को गुमराह करने का सबसे आसान माध्यम है और पाकिस्तान की फौज ने हरकत भी ऐसी ही की है।
सियासी फौज
पाकिस्तान में सियासत हमेशा से ही सेना के सामने ‘मेमना’ बनी रही है। सेना की राजनीतिक मामलों में दखलंदाजी पुराना मुद्दा है। इसका अपना पूरा इतिहास है कि सेना ने कैसे मौका मिलते ही सत्ता अपने हाथ में ली है। पुराने मामलों का जिक्र तो दूर की बात हो जाएगी हाल के घटनाक्रम में इमरान खान के साथ क्या हुआ इसपर नजर जरूर डाल सकते हैं। खान के साथ सेना का टकराव जिस तरह से हुआ है उससे जनता के बीच यह धारणा बनी है कि सेना लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बड़ी बाधा है। मई 2023 में खान की गिरफ्तारी के बाद सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले की तस्वीरें दुनिया ने देखी हैं। सेना की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठे हैं। बात विश्वास पर आ जाए तो सेना क्या करेगी, वही जो पहलगाम में किया गया है।
बिजनेस करने वाली फौज
पाकिस्तान के आर्थिक हालात बदतर है। ध्यान रखिएगा पाकिस्तान की बात हो रही है पाकिस्तानी सेना की नहीं। मुल्क ही हालत कैसी भी हो, लोगों को खाना मिले या मिले इससे पाकिस्तान फौज को कोई मतलब नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये वो फौज है जो 50 से ज्यादा बड़े बिजनेस भी चलाती है। पाकिस्तान की संसद में रखे गए आधिकारिक दस्तावेज के मुताबिक, आर्मी का कुल बिजनेस करीब 1.5 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक है।
पाकिस्तानी सेना
स्विस बैंक में हैं हजारों करोड़
पाकिस्तान आर्मी पेट्रोल पंप से लेकर बेकरी तक के कारोबार शामिल है। आर्मी से जुड़े अलग-अलग ट्रस्ट वहां पेट्रोल पंप से लेकर बड़े इंडस्ट्रियल पार्क, बैंक, बेकरी, स्कूल-यूनिवर्सिटी, होजरी कंपनी, डेयरी फार्म और सीमेंट प्लांट तक चलाते हैं। क्रेडिट सुईस की अक्टूबर 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, पाक आर्मी के 25 पूर्व अफसरों के स्विस बैंक में अकाउंट हैं। इसमें करीब 80 हजार करोड़ रुपए की अघोषित संपत्ति जमा है।
जमीन की मालिक है सेना
पाकिस्तानी आर्मी के पास पाकिस्तान के 8 शहरों में डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटी (DHA) की कमान है। इनमें इस्लामाबाद, रावलपिंडी, कराची, लाहौर, मुलतान, गुजरांवाला, बहावलपुर, पेशावर और क्वेटा शामिल हैं। कैंट एरिया के साथ प्रमुख शहरों के पॉश एरिया में भी आर्मी जमीन आवंटित करती है। आर्मी के पास करीब 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की जमीन है। ये सेना अफीम का भी भी कारोबार करती है और इसकी पिज्जा चेन भी है।
किसानों की जमीन पर नजर?
ग्रीन पाकिस्तान इनिशिएटिव (GPI) पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तानी सेना का बंजर भूमि को उपजाऊ कृषि भूमि में बदलने का कार्यक्रम है। इसे 2023 में शुरू किया गया था। इसका मकसद तो खाद्य सुरक्षा में सुधार करना है। लेकिन, जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि पाकिस्तानी सेना की नजर जमीनों पर भी रहती है तो अब इस बात की आशंका भी बढ़ गई है कि, हो सकता है यह कोई नया शिगूफा हो और किसानों के हाथ से उनकी जमीन ही चली जाए। पाकिस्तान में अब किसान भी भड़के हुए हैं। किसान कॉरपोरेट खेती का विरोध कर रहे हैं उन जमीनों से बेदखल करने पर तत्काल रोक लगाने की मांग कर रहे हैं जिस पर वो पीढ़ियों से खेती करते आ रहे हैं।
पाकिस्तानी सेना
‘मरता क्या ना करता’
पाकिस्तान पर FATF और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों का दबाव लगातार बना हुआ है। आरोप हैं कि पाकिस्तान इन संगठनों से मिलने वाले धन का उपयोग आतंकी गतिविधियों के लिए करता है जिसमें सेना बड़ी भूमिका निभाती है। वैसे देखा जाए तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जनरल मुनीर की मुश्किलें बढ़ रही हैं। अमेरिका और ब्रिटेन में जनरल के खिलाफ कानूनी दबाव बढ़ा है। अमेरिका ने पाकिस्तान को सैन्य और आर्थिक मदद देने से इनकार कर दिया है और मुनीर पर प्रतिबंध लगाने से जुड़ा बिल भी संसद में पेश किया है। अगर यह बिल पास हो जाता है, तो मुनीर की संपत्ति जब्त हो सकती है और उन पर यात्रा प्रतिबंध लग सकता है। अब ऐसे में इतना तो समझा ही जा सकता है कि ‘मरता क्या ना करता’।
भारत के साथ है दुनिया
इस बीच यहां यह भी बता दें कि, जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर पूरी दुनिया से प्रतिक्रिया देखने को मिली है। इस आतंकवादी हमले में 26 लोग मारे गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सहित दुनिया भर के नेताओं ने जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले की निंदा की है। सभी देशों आतंकी हमले के खिलाफ भारत के साथ एकजुटता जताई है। आतंकी हमले के बाद से भारत भी एक्टिव मोड में है और जो होगा वह भी जल्द ही सामने आ जाएगा।
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