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सोनीपत। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान अंग्रेजों के लिए खौफ का पर्याय बनने वाले शहीद उदमीराम के गांव लिवासपुर में समस्याओं का अंबार है। गांव में निकासी व्यवस्था से लेकर चौपाल, धर्मशाला जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। गांव के प्रवेश द्वार पर कचरा डालकर बनाए गए डंपिंग प्वाइंट से ग्रामीणों में नाराजगी है। तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में लिवासपुर को आदर्श गांव का दर्जा दिया गया था। हालांकि अब यह नगर निगम का हिस्सा है। गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है और समस्याओं को लेकर सरकार व प्रशासन भी बेखबर है।
ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के संग्राम में लिवासपुर के शहीद उदमीराम ने अहम भूमिका निभाई थी। शहीद का गांव आज विकास को तरस रहा है। गांव में उनके नाम से लगाए गए प्रवेश द्वार से टाइलें उखड़ने लगीं हैं। गांव में निकासी व्यवस्था का अभाव है। ऐसे में दूषित पानी गलियों में भर जाता है। बाहर से आने वाले लोगों व ग्रामीणों को प्रवेश द्वार पर भरे दूषित पानी से गुजरना पड़ रहा है। इसके अलावा शहर का कचरा एकत्रित कर गांव के प्रवेश द्वार के साथ खाली पड़ी जमीन पर डाला जा रहा है। ग्रामीणों के मना करने के बावजूद कर्मचारी गांव की जमीन पर कचरा डाल रहे हैं। इससे गांव में हर समय बीमारियां फैलने का अंदेशा बना रहता है। गंदगी से मक्खी-मच्छर पनपने लगे हैं। बदबू के कारण ग्रामीणों को वहां से आने-जाने में दिक्कत होती है। शहीद उदमीराम सोसायटी विभिन्न समस्याओं को लेकर कई बार प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत करा चुकी है। तीन माह पहले भी अधिकारियों को शिकायत दी गई है, लेकिन आज तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है।
तालाब, चौपाल व धर्मशाला की नहीं व्यवस्था
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में आज तक तालाब की व्यवस्था नहीं की गई है। उन्हें पशुओं को नहलाने व पानी पिलाने में परेशानी झेलनी पड़ रही है। वहीं, ग्रामीणों की मूलभूत सुविधाओं के तहत लिवासपुर में चौपाल, धर्मशाला जैसी कोई सुविधा नहीं है। कई बार मांग के बावजूद प्रशासन लिवासपुर में एक मंदिर का निर्माण नहीं करवा पाया है। इसके बाद ग्रामीणों ने एकत्रित होकर गांव में मंदिर का निर्माण करवाया था।
केमिकलयुक्त पानी डालने का आरोप
ग्रामीणों ने बताया कि लिवासपुर गांव औद्योगिक क्षेत्र के साथ बसा है। समय के साथ यहां अनेक औद्योगिक इकाइयां लगने लगी हैं। आरोप है कि कुछ फैक्टरी संचालक फैक्टरियों से निकलने वाला केमिकलयुक्त पानी गांव की जमीन पर छोड़ रहे हैं। ऐसे में सबमर्सिबल से निकलने वाला भूजल पीने योग्य नहीं रह गया है। केमिकलयुक्त पानी के कारण ग्रामीण बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। अगर उनकी सुनवाई नहीं हुई तो चर्म रोग संबंधी बीमारियां फैल सकती हैं।
शहीद उदमीराम के गांव लिवासपुर में ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर संबंधित अधिकारी से जानकारी ली जाएगी। इसके बाद परेशानियों को जल्द दूर करने का प्रयास किया जाएगा।
– डॉ. मनोज कुमार, उपायुक्त, सोनीपत
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Sonipat News: शहीद उदमीराम का गांव विकास को तरसा, सरकार व प्रशासन बेखबर