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अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा दुनियाभर के देशों पर लगाए गए टैरिफ का आकलन जारी है। हालांकि, इस बीच ट्रंप ने बहुत सारे देशों पर 90 दिन तक टैरिफ में बढ़ोतरी के फैसले को टाल दिया है। लेकिन चीन पर उन्होंने 145 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। इस बीच दुनियाभर के अर्थशास्त्री इस टैरिफ का दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर का आकलन कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के एक प्रमुख अर्थशास्त्री के अनुसार, अमेरिका द्वारा लगाए गए नए शुल्कों के चलते वैश्विक व्यापार में लगभग 3% की गिरावट देखने को मिल सकती है। इस गिरावट के चलते अमेरिका और चीन जैसे बड़े बाजारों से निर्यात अब भारत, कनाडा और ब्राजील जैसे देशों की ओर स्थानांतरित हो सकता है। यानी भारत को इस टैरिफ वॉर में फायदा मिलने की उम्मीद है।
जिनेवा में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र की कार्यकारी निदेशक पामेला कोक-हैमिल्टन ने शुक्रवार को कहा कि नए व्यापारिक तरीके और आर्थिक एकीकरण में बदलाव के कारण वैश्विक व्यापार में तीन प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।” उन्होंने आगे बताया, “उदाहरण के तौर पर, मेक्सिको से निर्यात जो अब अमेरिका, चीन, यूरोप और अन्य लातिन अमेरिकी बाजारों से हटता दिख रहा है, कनाडा और ब्राजील में निर्यात में मामूली वृद्धि का कारक बन रहा है, और कुछ हद तक भारत को भी लाभ पहुंचा रहा है।”
2029 तक अमेरिकी निर्यात में वार्षिक 3.3 अरब डॉलर की कमी संभव
उन्होंने कहा कि वियतनाम का निर्यात अमेरिका, मेक्सिको और चीन की तुलना में पश्चिम एशिया, उत्तरी अफ्रीका (एमईएनए), यूरोपीय संघ, दक्षिण कोरिया और अन्य बाजारों की ओर अधिक अग्रसर हो रहा है। परिधान उद्योग का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र विकासशील देशों के लिए आर्थिक गतिविधि और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण है। अगर दुनिया के दूसरे सबसे बड़े परिधान निर्यातक बांग्लादेश पर लय टैरिफ लागू होता है तो 37 प्रतिशत का जवाबी शुल्क झेलना पड़ सकता है, जिससे 2029 तक अमेरिकी निर्यात में वार्षिक 3.3 अरब डॉलर की कमी आ सकती है।
उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि विकासशील देशों को वैश्विक संकट—चाहे वह कोविड महामारी, जलवायु परिवर्तन या नीतिगत बदलाव हों—से निपटने के लिए विविधीकरण, मूल्य संवर्धन और क्षेत्रीय एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। “अनिश्चितता के समय में भी, ये देश न केवल संकट का सामना कर सकते हैं, बल्कि दीर्घकालिक तैयारी के अवसर भी तलाश सकते हैं,” उन्होंने कहा कि इन अनुमानों को फ्रांसीसी अर्थशास्त्र अनुसंधान संस्थान सीईपीआईआई के साथ मिलकर तैयार किया गया था, जिसे 90 दिनों के शुल्क विराम की घोषणा और चीन पर अतिरिक्त शुल्क लगाने से पहले के आंकड़ों पर आधारित किया गया है।
उनका अनुमान है कि 2040 तक लागू होने वाले ‘जवाबी’ शुल्क और शुरुआती प्रतिवाद वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को लगभग 0.7 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं। मेक्सिको, चीन, थाईलैंड और दक्षिणी अफ्रीका जैसे देश अमेरिका के साथ-साथ सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
व्यापार युद्ध में चीन भी सक्रिय होगा
इसके अलावा, वाशिंगटन डीसी स्थित एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (एएसपीआई) की उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक वेंडी कटलर ने कहा कि चीन द्वारा अमेरिकी आयात पर शुल्क बढ़ाने की घोषणा यह स्पष्ट कर देती है कि व्यापार युद्ध में चीन भी सक्रिय होगा। उन्होंने कहा, “चीन अब एक लंबी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है। उसने संकेत दिया है कि वह अमेरिका के अतिरिक्त कदमों के जवाब में अपने पास मौजूद अन्य उपाय भी सक्रिय कर सकता है।” कटलर ने आगे बताया कि वर्तमान में अमेरिका में चीनी आयात पर 145 प्रतिशत और चीन में अमेरिकी आयात पर 125 प्रतिशत का भारी शुल्क लगाया जा रहा है, जो दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच वस्तु व्यापार पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है।
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ट्रंप टैरिफ से दुनिया की GDP में 3% की गिरावट आएगी, भारत पर होगा ये असर – India TV Hindi


