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चंडीगढ़ PGI में कैंसर की पहचान AI करेगा: आवाज के बदलते पैटर्न से पता लगेगी बीमारी; 1000 लोगों पर रिसर्च के लिए ₹90 लाख मिले – Chandigarh News Chandigarh News Updates

चंडीगढ़ PGI में कैंसर की पहचान AI करेगा:  आवाज के बदलते पैटर्न से पता लगेगी बीमारी; 1000 लोगों पर रिसर्च के लिए ₹90 लाख मिले – Chandigarh News Chandigarh News Updates

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चंडीगढ़ PGI में वोकल कॉर्ड कैंसर पर रिसर्च की जा रही है। – फाइल फोटो

वोकल कॉर्ड कैंसर (लैरिंजियल कैंसर) की समय रहते पहचान अब सिर्फ आवाज से हो सकेगी। चंडीगढ़ PGI के ईएनटी विभाग की टीम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से एक नई स्टडी करने जा रही है, जिसमें इंसानी आवाज के बदलते पैटर्न से कैंसर की आशंका का पता लगाया जाएग

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इस रिसर्च को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) से 90 लाख रुपए की फंडिंग मिली है और इसे तीन वर्षों में पूरा किया जाएगा। इस रिसर्च में करीब 1 हजार वयस्क लोगों को शामिल किया जाएगा।

16 अप्रैल को मनाए जाने वाले वर्ल्ड वॉयस डे के उपलक्ष्य में डॉ. जयमंती ने बुधवार को यह जानकारी साझा की।

संक्षेप में जानिए, इससे जुड़े 3 सवालों के जवाब…

सवाल नं. 1- कैसे होगी प्रोजेक्ट की स्टडी? जवाब – इस रिसर्च के तहत एक हजार लोगों की आवाज का डेटा जुटाया जाएगा। इसमें 2 समूह होंगे- एक में पूरी तरह स्वस्थ वयस्कों की आवाज का अध्ययन किया जाएगा, वहीं दूसरे समूह में ऐसे मरीज शामिल होंगे, जिन्हें पहले से वॉयस डिसऑर्डर की शिकायत है।

सभी की आवाजें एक खास मोबाइल ऐप में रिकॉर्ड की जाएंगी और फिर उसे AI सॉफ्टवेयर से विश्लेषित किया जाएगा। सॉफ्टवेयर यह जांचेगा कि किस आवाज में कैंसर की संभावना वाले पैटर्न मौजूद हैं।

रिसर्च टीम का मानना है कि यह तकनीक जैसे-जैसे और डेटा इकट्ठा करेगी, इसकी सटीकता भी बढ़ेगी और यह कैंसर की पहचान का आसान और भरोसेमंद तरीका बन सकती है।

सवाल नं. 2- इस रिसर्च की क्यों जरूरत पड़ रही? जवाब – चंडीगढ़ PGI के ईएनटी विभाग की ओपीडी में हर साल करीब 100 मरीज वोकल कॉर्ड कैंसर के इलाज के लिए आते हैं और लगभग 20 मरीजों की सर्जरी होती है। इन केसों को जांचने में कई बार देरी भी होती है। जांच की प्रक्रिया को आसान और तेज बनाने के लिए AI का सहारा लिया जा रहा है।

सवाल नं. 3- कितना मददगार साबित होगा प्रोजेक्ट? जवाब – इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का नेतृत्व ईएनटी डिपार्टमेंट की हेड डॉ. जयमंती बक्शी कर रही हैं। उनका कहना है कि अधिकतर मामलों में कैंसर का समय पर पता नहीं चलने से इलाज में देरी होती है, जिससे यह जानलेवा साबित होता है। ऐसे में अगर सिर्फ आवाज से कैंसर की पहचान संभव हो जाए, तो यह इलाज और बचाव की दिशा में क्रांतिकारी कदम होगा। यह तकनीक भविष्य में अन्य वॉयस डिसऑर्डर की पहचान में भी अहम भूमिका निभा सकती है।

ग्राफिक्स में जानिए, ईएनटी विभाग की प्रो. भानुमति ने क्या बताया…

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