हरियाणा में लोकसभा चुनावों में भाजपा की पतली हालत को मौका समझकर कांग्रेस इस बार हर हाल में सत्ता में आना चाहती है। कांग्रेस टिकट बंटवारे को लेकर फूंक फूंककर कदम उठा रही है | बताया जा रहा है कि कांग्रेस हर विधानसभा सीटों पर एक नहीं, दो से तीन सर्वे कर
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इसके अलावा दो बार लगातार चुनाव हारने वाले और किसी मुकदमे या कानूनी पचड़े में फंसने वाले नेताओं को भी इस बार टिकट मिलना मुश्किल है। कांग्रेस ऐसे नेताओं को भी टिकट नहीं देने पर विचार कर रही है। जिनकी पिछले चुनाव में जमानत जब्त हुई थी। लेकिन कांग्रेस के ऐसे प्रत्याशी जिनका पिछले चुनाव में हार का अंतर 500-5000 रहा उन्हें पार्टी फिर से मौका देने पर मंथन कर रही है।
कांग्रेस प्रत्याशी की कहां-कहां हुई जमानत जब्त
साल 2019 में अंबाला कैंट, अंबाला शहर, शाहबाद, इंद्री, जींद, यमुनानगर, नीलोखेड़ी, पानीपत ग्रामीण, भिवानी, बरवाला, सोहना, बादशाहपुर, टोहाना, जुलाना, उकलाना, उचाना, नारनौंद, हांसी, दादरी, अटेली, नांगल चौधरी, गुरुग्राम, पटौदी, नरवाना, फतेहाबाद, रानिया, सिरसा सीट पर कांग्रेस प्रत्यशियों की जमानत जब्त हुई थी। ऐसे में इन कांग्रेस नेताओं की टिकट पर अब खतरा मंडराने लगा है |
पटौदी में किस पर दाव खेलेगी पार्टी ?
बात करे पटौदी विधानसभा सीट की तो साल 2019 में पटौदी विधानसभा चुनाव में अलग अलग पार्टियों के 11 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। जहां विजेता प्रत्याशी को छोड़कर सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी। सभी उम्मीदवारों को कुल 1,37194 वोट पड़े थे। कोई भी प्रत्याशी इसके 16.66% वोट यानि 22,857 वोट नहीं ले पाया। जिसके चलते सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई। कांग्रेस के प्रत्याशी सुधीर चौधरी को केवल 18,994 वोट ही मिले। सुधीर चौधरी लगातार दो बार चुनाव तो हार ही चुके है, साथ ही पिछले चुनाव में अपनी जमानत बचा पाने में भी विफल रहे। ऐसे में सुधीर चौधरी के पास टिकट के लिए अब सर्वे रिपोर्ट का आधार बचा है।
हरियाणा कांग्रेस पार्टी।
कांग्रेस के यहां से पूर्व विधायक रामबीर सिंह जो कि साल 2000 में इनेलो से इस सीट पर विधायक चुने गए थे। साल 2005 में कांग्रेस से विधायक रहे भूपेंद्र सिंह की बेटी पर्ल चौधरी पिछले चुनाव मे निर्दलीय ताल ठोकने वाले प्रदीप जाटौली और अटेली से निर्दलीय प्रत्याशी रही सुनीता वर्मा समेत 37 अन्य उम्मीदवार और है। अगर इनमें से कोई भी पार्टी के नियमों और सर्वे की कसौटी पर खरा उतरता है, तो पार्टी उस पर दांव खेल सकती है। क्योंकि पार्टी सत्ता की दहलीज तक पहुंचने के लिए जिताऊ उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारने की कोशिश करेगी |
किसे कहते है जमानत जब्त ?
हर चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार को एक तय रकम चुनाव आयोग में जमा करनी होती है। इसे ही जमानत राशि कहा जाता है। चुनाव आयोग के मुताबिक, जब कोई उम्मीदवार सीट पर पड़े कुल वोटों का 1/6 यानी 16.66% वोट हासिल नहीं कर पाता तो उसकी जमानत जब्त कर ली जाती है। मान लीजिए किसी सीट पर 1 लाख वोट पड़े हैं और वहां 5 उम्मीदवारों को 16,666 से कम वोट मिले हैं, तो उन सभी की जमानत जब्त कर ली जाएगी।