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हरियाणा के स्कूलों में किताबें पहुंचने में अभी देरी: 10 अप्रैल के बाद पूरी होगी सप्लाई; सिलेबस बदलना वजह, 13.97 लाख बच्चों को इंतजार – Haryana News Chandigarh News Updates

हरियाणा के स्कूलों में किताबें पहुंचने में अभी देरी:  10 अप्रैल के बाद पूरी होगी सप्लाई; सिलेबस बदलना वजह, 13.97 लाख बच्चों को इंतजार – Haryana News Chandigarh News Updates

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हरियाणा के सरकारी स्कूलों में किताबें पहुंचने में अभी समय लगेगा। अधिकारी इसकी वजह सिलेबस में बदलाव को बता रहे हैं। वहीं प्रिंटिंग कंपनियों ने भी जल्दी किताबें देने को लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है कि 10 अप्रैल के बाद ही सभी विषयों की किताबों

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7 अप्रैल से स्कूलों में कक्षाएं भी लगनी शुरू हो जाएंगी। इसके बाद भी अभी 50 प्रतिशत जिलों में आधी अधूरे विषयों की किताबें ही पहुंच पाई हैं। हालांकि किताबों को लेकर शिक्षा विभाग के मुख्यालय के अफसर हर जिले का हर घंटे अपडेट ले रहे हैं। हरियाणा के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 13.97 लाख बच्चों को इन किताबों का वितरण किया जाना है।

शिक्षण सत्र एक अप्रैल से शुरू हो चुका

हरियाणा में एक अप्रैल से नए शिक्षण सत्र 2025-26 की शुरुआत हो चुकी है। सेशन शुरू होने से पहले ही शिक्षा विभाग शिक्षकों पर 100% रजिस्ट्रेशन के लक्ष्य के साथ दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए थे। बाकायदा 1 अप्रैल से प्रवेश उत्सव चलाने को लेकर लंबी-चौड़ी गाइड लाइन भी जारी की जा चुकी है। बावजूद इसके अभी तक विभाग स्कूलों में बच्चों के लिए किताबें तक मुहैया नहीं करवा पाया है। इसे लेकर राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ हरियाणा ने सरकार और विभाग से जल्द से जल्द किताबें मुहैया करवाने का आग्रह किया है।

सूबे में लागू हो चुकी नई शिक्षा नीति

हरियाणा में केंद्र की नई शिक्षा नीति लागू हो चुकी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन में पूर्व प्राथमिक से 18 वर्ष तक की आयु के प्रत्येक बच्चे को शिक्षा को मुख्यधारा में लाना प्रमुख कार्य रखा गया है। राज्य में 6 से 14 आयु तक के बच्चों के 100 फीसदी नामांकन, ठहराव बनाए रखना, अवस्थांतर करवाना, उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाना शिक्षा का अधिकार अधिनियम में अनिवार्य है।

पिछले साल समय से पहुंची थी किताब

राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ हरियाणा के राज्य महासचिव राजेश शर्मा का कहना है कि पिछले शैक्षणिक सत्र 2024-25 में एक अप्रैल तक लगभग सभी सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक की किताबें पहुंच गई थी। शिक्षकों ने भी बच्चों को समय रहते किताबें वितरित कर दी थी। शिक्षा विभाग के उस प्रयास की बदौलत बच्चों ने किताबों के साथ समय रहते पढ़ाई शुरू कर दी थी। जिसके चलते विभाग को अच्छे परिणाम भी देखने को मिले हैं, लेकिन इस बार विभाग समय से पहले और समय रहते किताबें मुहैया करवाने से चूक गया है।

रिजल्ट के साथ ही मिलनी थी किताबें

विभागीय पत्र के मुताबिक सभी राजकीय स्कूलों में दाखिला प्रक्रिया एक अप्रैल से आरंभ की जानी है। एक अप्रैल को सभी राजकीय स्कूलों में वार्षिक परीक्षा परिणाम घोषित किए जाएं। इसी दिन बच्चों को नई अगली कक्षा की पुस्तकों का वितरण अनिवार्य रूप से किया जाए। पांचवीं पास करने वाले विद्यार्थी का उसी दिन अगली कक्षा में नामांकन किया जाए। किसी भी बालक को किसी भी अवस्था में स्कूल उसे दाखिले से वंचित न करें।

चौथी-पांचवीं कक्षा के सिलेबस में बदलाव के कारण देरी

इस बार शिक्षण सत्र में शिक्षा विभाग चौथी और 5वीं कक्षा के सिलेबस में बदलाव किया गया है। हालांकि अभी तक आधिकारिक रूप से शिक्षकों और अभिभावकों को इसकी जानकारी नहीं दी गई है। क्योंकि अभी तक स्कूलों में किताबें नहीं पहुंची है। यह सब किताबें देखने के बाद ही पता चलेगा कि बदलाव हुआ है या नहीं। अगर हुआ है तो क्या-क्या बदलाव हुआ है।

सबसे ज्यादा ड्रॉप आउट 9वीं में

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शिक्षा विभाग ने दाखिलों के संबंध में जो पत्र जारी किया है, उसके मुताबिक 8वीं कक्षा पास करने वाले विद्यार्थियों का दाखिला भी इसी प्रकार किया जाए, क्योंकि सबसे ज्यादा ड्रॉपआउट 9वीं कक्षा में होता है। विशेषकर लड़‌कियां इससे अधिक प्रभावित होती है। यह भी कहा है कि चंडीगढ़ की तर्ज पर अधिकतर राजकीय स्कूलों को दोहरी पारी में चलाया जाए। इसके लिए जिला स्तरीय अधिकारियों को अधिकृत कर दिया जाए। समुचित निर्देश जारी किए जाएं।

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