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अमेरिका एनर्जी डिपार्टमेंट (DoE) ने अमेरिकी कंपनी को भारत में संयुक्त तौर पर न्यूक्लियर पावर प्लांट डिजाइन और निर्माण के लिए अंतिम मंजूरी दे दी है। भारत और अमेरिका के बीच 2007 में सिविल न्यूक्लियर डील हुई थी, जिसके तहत ही 26 मार्च को यह मंजूरी दी गई है।
अब तक भारत-अमेरिका सिविल परमाणु समझौते के तहत अमेरिकी कंपनियां भारत को परमाणु रिएक्टर और इक्विपमेंट निर्यात कर सकती थीं, लेकिन भारत में न्यूक्लियर इक्विपमेंट के किसी भी डिजाइन कार्य या मैन्युफैक्चरिंग पर रोक थी।
भारत लगातार इस बात पर डटा हुआ था कि डिजाइन, मैन्युफैक्चरिंग और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर से लेकर हर काम भारत में ही होना चाहिए।
अमेरिकी और भारतीय कंपनियां अब संयुक्त रूप से छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) का निर्माण करेंगी और इसके सभी कम्पोनेंट्स और पार्ट्स का को-प्रोडक्शन भी करेंगी। इसे भारत की एक बड़ी कूटनीति जीत के तौर पर देखा जा रहा है।
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भारत और अमेरिका मिलकर भारत में परमाणु रिएक्टर बनाएंगे: 2007 में हुए समझौते को 18 साल बाद अमेरिकी प्रशासन की मंजूरी मिली