[ad_1]
ट्रीटमेंट प्लांट पर क्षमता से अधिक आने वाले केमिकल युक्त पानी को बिना ट्रीटमेंट किए हुए ड्रेन नंबर 6 में डाला जा रहा है।
सोनीपत के राठधाना रोड स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से क्षमता से अधिक आने वाले केमिकल युक्त पानी को बिना ट्रीटमेंट किए सीधे ड्रेन में छोड़ा जा रहा है। जहां एनजीटी के आदेशों की अवहेलना हो रही है।
.
यह गंभीर मामला तब सामने आया जब भास्कर रिपोर्टर ने मौके पर जाकर पड़ताल की। इस केमिकल युक्त पानी को बिना ट्रीटमेंट किए सीधे ड्रेन में छोड़ दिया जाता है। संबंधित अधिकारी लापरवाह नजर आए। एक अधिकारी तो चार्ज लेने के बाद STP का निरीक्षण करने तक नहीं पहुंचे।
प्लांट की वर्किंग से जुड़े कर्मचारी का कहना है कि हम ज्यादा दूषित पानी को ट्रीट नहीं करते, क्योंकि इससे पानी साफ करने वाले बैक्टीरिया मर जाएंगे, इसलिए सीधा ड्रेन में छोड़ दिया जाता है। प्लांट के कर्मचारियों के अनुसार, 30 एम एलडी क्षमता वाले प्लांट में लगभग 40 एम एलडी पानी पहुंच रहा है। अतिरिक्त 10 एम एलडी केमिकल युक्त पानी को बिना किसी ट्रीटमेंट के सीधे ड्रेन में छोड़ा जा रहा है। NGT के आदेशों का यहां उल्लंघन हो रहा है।
दैनिक भास्कर ने मामले की गंभीरता को समझा। लेकिन सोनीपत का प्रशासन मामले में गंभीर नहीं है। तस्वीर इस बात की साक्षी है। लापरवाह अधिकारी और कर्मचारी पर्यावरण और भूमिगत जल के लिए बिल्कुल भी सजग नहीं है।
पानी को बाइपास ओवरफ्लो पाइप के माध्यम से सीधा ड्रेन-6 में डालते हुए
अधिकारियों को यहां तक बीच जानकारी नहीं है कि एसटीपी में हो क्या रहा है। ऐसे हालात तब हैं, जब दो राज्यों का विवाद इसी मुद्दे पर हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा सख्त आदेश जारी किए गए हैं कि किसी भी एसटीपी पर लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए, अन्यथा कार्रवाई होगी।
भास्कर ने डेढ़ महीने में दो बार देखे हालात
दैनिक भास्कर डिजिटल की टीम ने 30 जनवरी को शाम 5 बजे के आसपास पहली बार STP पर जाकर वहां की कार्यप्रणाली देखी। इस दौरान पाया गया था कि एसटीपी से ओवरफ्लो पाइप के जरिए गंदा और केमिकल युक्त पानी को बिना ट्रीट किए ड्रेन -6 में डाला जा रहा था।
इसके बाद 23 मार्च को दोबारा भी वहां हालात देखे गए। वहां स्थिति में कोई सुधार नहीं पाया गया। मौके पर मौजूद कर्मचारियों ने पहले तो कैमरे पर बोलने से मना कर दिया, लेकिन बाद में स्वीकार किया कि उनके पास कोई विकल्प नहीं है। पानी तो ड्रेन में बिना ट्रीटमेंट छोड़ना उनकी मजबूरी है।

पाइप को नीचे से दबाकर सीधा ट्रेन नंबर 6 में उतारा गया है।
दूषित पानी को ड्रेन में छोड़ने की एक वजह ये भी है
प्लांट के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि प्लांट में आने वाला अतिरिक्त पानी अत्यधिक केमिकल युक्त होता है। यह पानी काला और दूषित होता है। अगर इसे प्लांट में ट्रीट करने का प्रयास किया जाए तो ट्रीटमेंट प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले बैक्टीरिया मर जाएंगे। इसलिए इस पानी को ओवरफ्लो के माध्यम से सीधा ड्रेन-6 में छोड़ दिया जाता है।
समझें कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट क्या होता है और यह कैसे काम करता है

चोरी-छिपे डाला जाता है केमिकल युक्त पानी
मौके पर जाकर देखा तो वहां एक टैंक में शहर का गंदा पानी इकट्ठा होता है और इसी टैंक के माध्यम से दो पाइप सीधे ड्रेन-6 में भेजे गए हैं। पाइप को नीचे से दबाकर सीधा ड्रेन-6 में उतारा गया है। केमिकल युक्त पानी को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में अंदर नहीं लिया जाता। क्योंकि अंदर लेने से बैक्टीरिया मर सकता है।

लेकिन इसका अल्टरनेट ना ढूंढ कर सीधा जुगाड़ किया गया है और केमिकल युक्त पानी को सीधा ड्रेन-6 में चोरी छिपे चला दिया जाता है। हालांकि जब मौके पर हमने पड़ताल करी और वहां पर काम करने वाले कर्मचारियों से पूछा तो उन्होंने मना करते हुए कहा कि कोई भी ऐसा पाइप नहीं है,जिसके माध्यम से केमिकल युक्त पानी बाहर जा रहा हो।

कर्मचारियों से पूछा तो तुरंत गंदे पानी को बंद कर दिया गया
इस दौरान हमने कर्मचारियों को साथ लेकर दिखाया यह पाइप किस जगह जा रहा है और अपने मोबाइल में वीडियो दिखाई तो उन्होंने खुद स्वीकार किया और बोलते हुए कहा, हां यह बाईपास ओवरफ्लो पाइप है। जहां एसटीपी के नाम पर लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं। वहां अधिकारियों से लेकर कर्मचारी इस प्रकार की बड़ी लापरवाही बरत रहें हैं। हालांकि अधिकारियों के बिना आदेश के ऐसा हो नहीं सकता। लेकिन अंत में कर्मचारियों पर गाज डालकर लीपा पोती कर दी जाती है।

निगम कमिश्नर बोले- दौरा नहीं किया
सोनीपत नगर निगम के नए कमिश्नर हर्षित कुमार, जिन्होंने एक महीने पहले ही पदभार संभाला है, ने कहा कि वे अभी तक एसटीपी का निरीक्षण नहीं कर पाए हैं। उन्होंने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जल्द ही व्यक्तिगत निरीक्षण का आश्वासन दिया है।

जिला उपायुक्त क्या बोले-
सोनीपत के उपायुक्त डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि राठधाना में 60 एम एलडी का एसटीपी चल रहा है। जिसका पानी ट्रीटमेंट करने के बाद ड्रेन-6 में छोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा है कि अभी शहर में सर्वे हुआ है तो अभी तक ओवरऑल ट्रीटमेंट कैपेसिटी ठीक है।
उन्होंने कहा कि अगर हमें 100 MLD चाहिए तो हमारे पास 110 MLD की कैपेसिटी है और जिस इलाके में हमें 40 चाहिए, वहां पर 30 है। जहां हमें 50 चाहिए वहां पर 70 एम एलडी की क्षमता है। उन्होंने दावा किया लॉन्ग टर्म प्लानिंग के तहत 4 से 5 एसटी पी की योजना है। एसएमडी बॉडी स्पेशल इसी काम के लिए बनी है।

XEN का दावा- ट्रीटमेंट के बाद छोड़ते हैं पानी
वहीं, नगर निगम एक्सईएन विजय कुमार का कहना हैं कि मेरे हिसाब से ऐसा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा है कि ट्रीट किया हुआ पानी वह देवीलाल पार्क में डालते हैं या फिर कोई आदमी अपने खेत के लिए लेना चाहे तो ले सकता है।लेकिन ड्रेन-6 में वह सीधा नहीं डालते हैं।

पर्यावरण विशेषज्ञ देवेंद्र सूरा का कहना है कि केमिकल युक्त पानी एसटीपी की जैविक प्रक्रिया को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। तेजाब या अमोनिया की अधिक मात्रा बैक्टीरिया की वृद्धि को रोक देती है, जिससे जैविक सफाई की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है। भारी धातुएं जैसे लेड, मर्करी और आर्सेनिक बैक्टीरिया को नष्ट कर सकते हैं। इसके अलावा, तेल और ग्रीस बैक्टीरिया की सतह पर एक परत बना देते हैं, जिससे वे प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पाते।
देवेंद्र सूरा का कहना है कि यह स्थिति चिंताजनक है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो इसके गंभीर पर्यावरणीय परिणाम हो सकते हैं। वे मांग कर रहे हैं कि प्रशासन तत्काल कार्रवाई करे और एसटीपी की क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ औद्योगिक इकाइयों द्वारा छोड़े जा रहे केमिकल युक्त पानी पर भी कड़ी निगरानी रखे।

STP में केमिकल युक्त पानी को ओवरफ्लो पानी के दो पाईप के माध्यम से ड्रेन -6 में चोरी छिपे डाला जा रहा था।
सिलसिलेवार पढ़िए…क्या होता है एसटीपी
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) एक ऐसा संयंत्र होता है जो घरों, उद्योगों, होटलों और अन्य स्रोतों से निकलने वाले गंदे पानी को साफ करके इसे दोबारा इस्तेमाल के योग्य बनाता है या सुरक्षित रूप से नदियों में छोड़ता है।एसटीपी का मुख्य उद्देश्य पानी में मौजूद ठोस कचरे, जैविक और रासायनिक गंदगी को हटाना और उसे स्वच्छ बनाना होता है।
कैसे साफ किया जाता है गंदा पानी
गंदे पानी को साफ करने के लिए एसटीपी तीन मुख्य चरणों में काम करता है।
1. प्राथमिक उपचार
सबसे पहले स्क्रीनिंग होती है। जिसमें पानी को जालीदार फिल्टर (स्क्रीन) से गुजारा जाता है, जिससे प्लास्टिक, कचरा, पत्ते और अन्य बड़े ठोस पदार्थ अलग हो जाते हैं।
इसके बाद सेडीमेंट्रेशन (पतन) का प्रोसेस अपनाया जाता है। जिसमें पानी को बड़े टैंकों में रखा जाता है, जहां भारी कण और कीचड़ नीचे बैठ जाते हैं।
इसके बाद तेल और ग्रीस बाहर करना होता है। जिसमें कुछ एसटीपी में तेल और ग्रीस को हटाने के लिए स्कीमिंग टैंक का इस्तेमाल किया जाता है।

2. सेकेंडरी ट्रीटमेंट प्रोसेस –
इस प्रक्रिया में पानी को बैक्टीरिया वाले टैंकों में डाला जाता है, जहाँ यह सूक्ष्मजीव गंदे कार्बनिक पदार्थों को तोड़कर पानी को साफ करते हैं। इसके बाद बैक्टीरिया द्वारा बनाए गए अतिरिक्त ठोस पदार्थों को हटाने के लिए पानी को फिर से एक और अवसादन टैंक में रखा जाता है। 3. तृतीय उपचार फिल्ट्रेशन के तहत पानी को अलग-अलग फिल्टरों से गुजारा जाता है, ताकि बचे हुए सूक्ष्म कणों और रसायनों को हटाया जा सके।
डिसइन्फेक्शन के तहत अंत में, पानी को क्लोरीन, ओजोन या पराबैंगनी (UV) किरणों से ट्रीट किया जाता है, ताकि उसमें मौजूद बैक्टीरिया और वायरस पूरी तरह खत्म हो जाएं।

ड्रेन -6 अकबरपुर बारोटा श्मशान घाट के सामने की तस्वीर

ड्रेन -6 ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी के सामने से होते हुए अकबरपुर बरोटा के सामने की तस्वीर
लेकिन सोनीपत में नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारियों ने केवल सरकार को गुमराह कर रहे हैं बल्कि जिला उपायुक्त को भी गलत गाइड कर रहे हैं।
वहीं हमारी पड़ताल लगातार जारी रही और वहीं 25 मार्च को दोबारा हमारी टीम ने ड्रेन -6 के केमिकल युक्त पानी का कनेक्शन जांचा और पाया कि ड्रेन -6 ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी के सामने से होते हुए अकबरपुर बरोटा के ड्रेन नंबर- 8 के पैरलल लाइन से गंदा पानी जा रहा है।
[ad_2]
सोनीपत STP से केमिकल युक्त पानी ड्रेन में डाला: क्षमता से ज्यादा पहुंच रहा वाटर, जमीन में दबाए गए हैं दो पाइप – Sonipat News
