in

विराग गुप्ता का कॉलम: कर्नाटक सरकार ने छेड़ा ज्वलंत मुद्दा, सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को आरक्षण पर 4 जरूरी पहलू Politics & News

विराग गुप्ता का कॉलम:  कर्नाटक सरकार ने छेड़ा ज्वलंत मुद्दा, सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को आरक्षण पर 4 जरूरी पहलू Politics & News

[ad_1]

  • Hindi News
  • Opinion
  • Karnataka Government Raised A Burning Issue, 4 Important Aspects On Reservation For Muslims In Government Contracts

4 घंटे पहले

#
  • कॉपी लिंक

विराग गुप्ता-सुप्रीम कोर्ट के वकील

सुप्रीम कोर्ट के जज सूर्यकांत ने कहा है कि राज्य सरकारें प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी के बड़े दावे कर रही हैं तो फिर 75 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे क्यों है? संविधान में सभी को बराबरी का दर्जा है लेकिन वोट हासिल करने के लिए नेता रेवड़ी और आरक्षण के नाम पर बांट रहे हैं।

कर्नाटक में सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को आरक्षण देने के प्रस्ताव से कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार ने बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया है। इस मामले में कई संवैधानिक सवाल खड़े हो रहे हैं, जिनके जवाब के लिए 4 पहलुओं पर मंथन जरूरी है।

1. कर्नाटक का कानून : कर्नाटक में माल और सेवाओं की सरकारी आपूर्ति के टेंडर के लिए 1999 में कानून बना था। उसमें एससी/एसटी के साथ तीन अन्य श्रेणियों के लिए आरक्षण का प्रावधान है। कानून में संशोधन के लिए विधानसभा में पेश विधेयक के अनुसार श्रेणी-2बी के तहत मुस्लिम समुदाय को सरकारी ठेकों में आरक्षण मिलेगा। यह आरक्षण 2 करोड़ तक के सिविल कार्यों और 1 करोड़ तक के वस्तु/सेवा ठेकों में मिलेगा।

इसके बाद सरकारी ठेकों में सभी वर्गों के लिए कुल 47.45 फीसदी आरक्षण हो जाएगा। शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण के लिए चिनप्पा रेड्डी आयोग की सिफारिशों के अनुसार देवगौड़ा सरकार ने श्रेणी-2बी के तहत मुस्लिमों को 4 फीसदी आरक्षण देने के लिए 1995 में कानून बनाया था। पिछली भाजपा सरकार ने मार्च 2023 में ओबीसी के दायरे से मुस्लिमों को बाहर करते हुए वोक्कालिगा और लिंगायत समुदायों को 2-2 फीसदी आरक्षण बढ़ाने की बात कही। भाजपा सरकार के उस फैसले को चुनौती दी गई, जो दो सालों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

2. ओबीसी का पेंच : केरल, बिहार और तमिलनाडु जैसे कई राज्यों में ओबीसी कोटे से मुस्लिम समुदाय की पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिया जाता है। लेकिन धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने के लिए संविधान में कोई प्रावधान नहीं है। विवाद बढ़ने के बाद राज्य सरकार ने दावा किया कि मुस्लिमों के साथ ईसाई, बौद्ध और जैन- सभी वर्ग टेंडर में आरक्षण के दायरे में आएंगे।

लेकिन सामाजिक कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट में उपलब्ध नोटिफिकेशन के अनुसार श्रेणी-2बी में सिर्फ मुस्लिम समुदाय का ही उल्लेख है। विधानसभा में पेश नए विधेयक के अनुसार मुस्लिम समुदाय को ओबीसी के दायरे में आरक्षण दिया जा रहा है। इस्लाम में जाति प्रथा नहीं होती और सभी को समान माना जाता है। आरक्षण में जाति और धर्म के घालमेल से आगे चलकर कई कानूनी पेंच फंस सकते हैं।

3. अल्पसंख्यक का दायरा : संविधान में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी नौकरियों, विधानसभा और लोकसभा में आरक्षण का प्रावधान है। उसके बाद ओबीसी और ईडब्ल्यूएस वर्ग के तहत अल्पसंख्यक वर्ग के लोग भी आरक्षण के दायरे में आ गए। हिंदू धर्म के व्यापक-दायरे में जैन, बौद्ध और सिख धर्म के अनुयायी भी आते हैं।

मुस्लिम, ईसाई, यहूदी आदि को अल्पसंख्यक माना जाता है, जिनकी धार्मिक और सांस्कृतिक सुरक्षा के लिए संविधान में अनेक प्रावधान हैं। सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका के अनुसार अल्पसंख्यक समुदाय का निर्धारण राज्यों के अनुसार होना चाहिए। 2011 की जनगणना के अनुसार 6 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में हिंदू समुदाय को अल्पसंख्यक वर्ग का दर्जा और अन्य लाभ देने की मांग की गई है। इधर धर्म के अलावा भाषा के आधार पर भी अल्पसंख्यकों का निर्धारण करने की मांग होने लगी है।

4. सुप्रीम कोर्ट का पक्ष : सरकारी ठेकों में लघु और ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए आरक्षण हो सकता है। लेकिन जाति या धर्म के आधार पर आरक्षण से भ्रष्टाचार और पक्षपात बढ़ने के साथ सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। टेंडर में आरक्षण से योग्य व कुशल लोगों से काम करने के अवसर छिन सकते हैं, जो संविधान की समानता और व्यापार की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।

आरक्षण से सरकारी टेंडरों में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा खत्म होने की बात कही जाती है। इस आधार पर चुनौती मिलने पर मुस्लिमों के साथ ही एससी/एसटी और ओबीसी को मिल रहे आरक्षण पर भी सवाल उठ सकता है। ओबीसी के दायरे में मुस्लिमों को शिक्षा और नौकरी में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही लम्बित है। अब सरकारी ठेकों में मुस्लिम समुदाय को आरक्षण से विवाद का दायरा बढ़ सकता है, जिसकी सुनवाई के लिए आगे चलकर सुप्रीम कोर्ट में संविधान पीठ के गठन की मांग हो सकती है।

  • ओबीसी के दायरे में मुस्लिमों को शिक्षा और नौकरी में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही लम्बित है। अब सरकारी ठेकों में भी मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देने से इस विवाद का दायरा और बढ़ सकता है।

(ये लेखक के अपने विचार हैं।)

#

खबरें और भी हैं…

[ad_2]
विराग गुप्ता का कॉलम: कर्नाटक सरकार ने छेड़ा ज्वलंत मुद्दा, सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को आरक्षण पर 4 जरूरी पहलू

Chandigarh : शंभू-खनौरी सीमा पर धरने में बैठे किसानों को हटाने का विरोध, पंजाब में तनाव; मान सरकार को चेतावनी Chandigarh News Updates

Chandigarh : शंभू-खनौरी सीमा पर धरने में बैठे किसानों को हटाने का विरोध, पंजाब में तनाव; मान सरकार को चेतावनी Chandigarh News Updates

VIDEO : पंजाब और हरियाणा के खनौरी बॉर्डर से शुरू हुआ वाहनों का आवागमन  haryanacircle.com

VIDEO : पंजाब और हरियाणा के खनौरी बॉर्डर से शुरू हुआ वाहनों का आवागमन haryanacircle.com