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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: अपने अवगुणों पर काम करके उनसे आजाद हो जाएं Politics & News

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12 घंटे पहले

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पं. विजयशंकर मेहता - Dainik Bhaskar

पं. विजयशंकर मेहता

अंग्रेजों से हम स्वतंत्र हो गए, लेकिन अपने ही अवगुणों से गुलाम हो गए। यह स्वतंत्रता अभी आना बाकी है। हमारे अवगुण हमको अशांत कर जाते हैं। अवगुण और दुर्गुण में बारीक-सा अंतर यह है कि अवगुण निजी मामला है। और दुर्गुण सामाजिक है, थोड़ा पसरा हुआ है।

अगर आपको शांति की तलाश है तो अपने ही भीतर उतरना है, बाहर से शांति नहीं आती। इसलिए काम, क्रोध, लोभ, मद, मोह और मत्सर… ये जब बाहर की दुनिया से भीतर आते हैं, तो अवगुण बन जाते हैं।

हम इस समय इनकी जकड़ में हैं। शिक्षा, समाज, व्यापार, धर्म, संस्कृति, मनुष्यता, इन सब पर अवगुणों का प्रभाव है। मुगलों के बाद अंग्रेज हमें जो भय का वातावरण दे गए, वो आज भी कायम है। एक अज्ञात भय सबको डराता है कि कल क्या होगा। जो अवगुणों से घिरा है, वो डरेगा। और जो इससे मुक्त है, वो निर्भय होगा।

हम अपने देश को आजाद तो करा गए, पर अभी भी निर्भय नहीं हो पाए हैं। स्वतंत्रता के इतने वर्ष बाद भी देश की 44 प्रतिशत स्त्रियां घर से बाहर अकेले नहीं निकल पातीं। उनको स्वतंत्रता नहीं है। कुछ जगह तो घर का वातावरण दबावपूर्ण है, और कुछ बाहर का असुरक्षित है। ऐसे में अपने अवगुणों पर काम करिए और उनसे स्वतंत्र हो जाएं।

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