[ad_1]
5 मिनट पहलेलेखक: गौरव तिवारी
- कॉपी लिंक
भारत ने मौजूदा समय के सबसे बड़े स्वास्थ्य संकट कोविड-19 से अब लगभग पार पा लिया है। हालांकि गुजरात के लिए साल 2024 अब तक बहुत अच्छा नहीं गुजरा है। साल की शुरुआत में राज्य के लोगों को मंप्स ने परेशान किया। अभी चांदीपुरा वायरस के मामले बढ़ रहे हैं। हाल ही में आई एक स्टडी के मुताबिक, वहां एवियन फ्लू और ब्रुसेलोसिस (माल्टा फीवर) का खतरा बताया जा रहा है।
सेंटर फॉर वन हेल्थ एजुकेशन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट की स्टडी के मुताबिक, राज्य में पक्षियों और जानवरों के जरिए मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियों के लिए संवेदनशीलता बढ़ गई है। इसका मतलब है कि गुजरात में इस तरह की जलवायु और परिस्थिति बन रही है कि अन्य राज्यों के मुकाबले यहां के लोगों को माल्टा फीवर जैसी बीमारियों का जोखिम अधिक है।
पूरी दुनिया में हर साल माल्टा फीवर के लगभग 5 लाख मामले सामने आते हैं। इसके कारण जोड़ों में दर्द की परेशानी हो सकती है। अगर पहले से जोड़ों में दर्द है तो यह समस्या बढ़ सकती है। इसके अलावा हृदय, लिवर और मस्तिष्क से जुड़ी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं।
इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे माल्टा फीवर की। साथ ही जानेंगे कि-
- माल्टा फीवर क्या होता है?
- इसके क्या लक्षण हैं और यह कैसे फैलता है?
- इसका इलाज और बचाव क्या है?
माल्टा फीवर क्या है
यह एक जूनोटिक बीमारी है। इसका मतलब है कि यह जानवरों के जरिए इंसानों में फैलती है। इसे ब्रुसेलोसिस, अनड्यूलेंट फीवर, माल्टा फीवर और मेडिटेरेनियन फीवर जैसे कई नामों से जाना जाता है। यह बीमारी आमतौर पर पॉश्चराइज किए बिना मिल्क प्रोडक्ट्स खाने से फैलती है।
माल्टा फीवर इंसानों को कैसे प्रभावित करता है
माल्टा फीवर के लिए ब्रूसेला नाम का बैक्टीरिया जिम्मेदार है। यह हमारे मुंह, नाक, आंख और त्वचा में कट या दरार के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है। यह हमारे लिम्फ नोड्स या टिश्यूज में पहुंच जाता है, जहां यह धीरे-धीरे बढ़ता रहता है। इसके बाद हमारे हृदय, लिवर, मस्तिष्क और हड्डियों सहित शरीर के लगभग हर हिस्से को संक्रमित कर सकता है। फिर यह इंफ्लेमेशन और डैमेज का कारण बनता है।
माल्टा फीवर के लक्षण क्या हैं
संक्रमण के बाद माल्टा फीवर के लक्षण दिखने में दो से चार सप्ताह या कई बार उससे भी अधिक का समय लग सकता है। इसके लक्षण कई महीनों या वर्षों तक बने रह सकते हैं। इसके लक्षण एक बार ठीक होने के बाद फिर से लौट भी सकते हैं।
इसके क्या लक्षण हैं, ग्राफिक में देखिए।
माल्टा फीवर फैलने के क्या कारण हैं
कई प्रकार के ब्रुसेला बैक्टीरिया माल्टा फीवर का कारण बनते हैं। जिनमें बी. एबॉर्टस (B. abortus), बी. कैनिस (B. canis), बी. मेलिएन्सिस (B. meliensis) और बी. सुइस (B. suis) प्रमुख हैं। इनके वाहक आमतौर पर जानवर होते हैं। यह किन जानवरों के जरिए फैल सकता है, ग्राफिक में देखिए।
माल्टा फीवर कैसे फैलता है
यह बीमारी संक्रमित जानवर के जरिए या पाश्चराइज किए बिना डेयरी प्रोडक्ट्स के माध्यम से फैल सकती है।
- कच्चा दूध पीने या बिना पाश्चराइज किए पनीर, आइसक्रीम जैसे मिल्क प्रोडक्ट्स खाने से संक्रमण का जोखिम होता है।
- संक्रमित जानवर का दूध दूषित हो जाता है। हालांकि पाश्चराइजेशन से या उबालने से दूध में मौजूद बैक्टीरिया मर जाते हैं। इसके बाद किसी संक्रमित जानवर का दूध भी सुरक्षित होता है।
- किसी जानवर के संक्रमित टिश्यूज या शरीर से निकले तरल पदार्थ को छूने से भी माल्टा फीवर हो सकता है।
- असल में यह बैक्टीरिया हमारे नाक, मुंह, आंख और यहां तक कि हमारी त्वचा की किसी दरार या खुली चोट से भी शरीर में प्रवेश कर सकता है।
- अगर बैक्टीरिया हवा के कणों में मौजूद है तो सांस के जरिए हमारे अंदर जा सकता है।
- आमतौर पर किसी संक्रमित जानवर के मांस से ये बैक्टीरिया हवा में चले जाते हैं।
- जो लोग खेत, बूचड़खाने या किसी मांस पैकिंग प्लांट में काम करते हैं तो उन्हें इसका जोखिम अधिक होता है।
- अगर कोई जानवर ब्रुसेला से संक्रमित रहा है तो उसका मांस अच्छे से पकाए बिना खाने से भी संक्रमण का जोखिम होता है।
- यह बहुत रेयर मामलों में प्रेग्नेंसी के जरिए अजन्मे बच्चे तक, ब्रेस्ट फीडिंग के जरिए और सेक्स के माध्यम से भी फैल सकता है।
माल्टा फीवर से क्या कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं
अगर संक्रमण के बाद लंबे समय तक इसका इलाज न हो तो कई कॉम्प्लिकेशंस हो सकते हैं। यह दिल, दिमाग और लिवर को प्रभावित कर सकता है। ग्राफिक में देखिए।
माल्टा फीवर का इलाज क्या है
माल्टा फावर के इलाज में एंटीबायोटिक्स दवाओं की मदद से इलाज किया जाता है। आमतौर पर कम-से-कम दो प्रकार की एंटीबायोटिक दवाओं के संयोजन की मदद से इसका इलाज किया जाता है। माल्टा फीवर के लक्षण कई-कई महीनों तक बने रहते हैं। इसलिए इसके इलाज में कम-से-कम 6 से 8 सप्ताह तक दवाएं लेनी होती हैं।
यह भी हो सकता है कि डॉक्टर पेशेंट की उम्र और हेल्थ कंडीशन के आधार पर हर शख्स का अलग इलाज करें। उदाहरण के तौर पर इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर संक्रमण के कारण शरीर में सूजन अधिक है तो सबसे पहले इसे कम किया जाएगा। इसके बाद अन्य लक्षणों को कंट्रोल करने की कोशिश होगी।
माल्टा फीवर से बचने के क्या उपाय हैं
माल्टा फीवर के लिए जिम्मेदार ब्रुसेला बैक्टीरिया इंसानों तक जानवरों के जरिए फैलता है। इसलिए जानवरों के आसपास काम करते समय सुरक्षात्मक कपड़े पहनकर रहें। अगर संभावित रूप से संक्रमित जानवरों के आसपास हैं तो उस दौरान कुछ खाने-पीने से बचें। चेहरे पर मास्क लगाकर रखें।
- कच्चा दूध न पिएं और पाश्चराइज किए बिना कोई भी मिल्क प्रोडक्ट न खाएं।
- संक्रमण की आशंका होने पर जानवरों के आसपास काम करते समय और बूचड़खाने में काम करने वाले लोगों को PPE किट पहननी चाहिए।
- सुरक्षा के लिए दस्ताने, एप्रन और चश्मा पहन सकते हैं।
- अगर मीट खाते हैं तो यह सुनिश्चित करें कि इसे सुरक्षित तापमान पर पकाकर ही खाएंगे।
- अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं तो इसमें इस्तेमाल होने वाले सभी बर्तनों को अच्छे से धोएं।
[ad_2]
सेहतनामा- गुजरात में मंप्स, चांदीपुरा के बाद ब्रुसेलोसिस का खतरा: यह बीमारी क्या है और कैसे फैलती है, जानें लक्षण, इलाज और बचाव