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विश्व जागृति मिशन प्रमुख कथावाचक सुधांशु महाराज ने कहा कि प्रयागराज के महाकुंभ में करीब 60 करोड़ भक्त पहुंचे हैं या पहुंचने वाले हैं। इसे केवल स्नान नहीं बल्कि सनातन के प्रति लोगों की एक जुटता को देखा जाना चाहिए। इसमें सनातन संस्कृति का उदय देख सकते हैं। हमारी संस्कृति ऐसी है जिसने दुनिया के सताए हुए लोगों को अपनाया। सहिष्णुता और अनेकता में एकता हमारी संस्कृति का एक रूप है। हमने दूसरों की अशिष्टता को बर्दाश्त किया। एक हजार वर्षों का वह समय भी देखा जब हम गुलाम रहे मगर इसके बावजूद यह सनातन संस्कृति बची हुई है। उन्होंने कहा कि जैसे मस्जिदों के साथ मदरसे, चर्च के साथ मिशनरी स्कूल हैं, वैसे ही मंदिरों के साथ गुरुकुल होने चाहिए। सुधांशु महाराज गुरुग्राम के सेक्टर नौ ए स्थित गौरी शंकर मंदिर प्रागंण में आयोजित सनातन धर्म जागृति भक्ति सत्संग महोत्सव के तीसरे दिन पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 11 देशों में विश्व जागृति मिशन के 86 शाखाएं हैं। एक चेतना जागृत करने के लिए पवित्र ग्रंथों के विचारों का सत्संग करते रहे हैं। देश भर में 24 मंदिरों की स्थापना के माध्यम से व्यक्ति की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि को स्थापित करने का प्रयास रहा है। ध्यान, साधना और तीर्थ का महत्व समझाया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे लोगों पर नियंत्रण रखने की जरूरत है, जो सनातन संस्कृति पर चोट पहुंचा रहे। समाज को जोड़े रखना जरूरी है परंतु नीति निर्धारकों को दूर तक सोचना होगा कि विकास के साथ विनाश करने वालों पर नियंत्रण रखा जा सके। घर में वेलकम सज्जनों के लिए लिखा जाता है दुर्जनों के लिए नहीं। बच्चों को सनातन संस्कृति के मूल तत्व से जोड़ने की जरुरत है।
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VIDEO : गुरुग्राम में सनातन धर्म जागृति भक्ति सत्संग महोत्सव, सुधांशु महाराज बोले- कुंभ ने सनातनियों को एकजुट किया