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हाईकोर्ट में पंजाब रोडवेज के कर्मियों ने 1986 के स्थान पर 1989 से पे स्केल लागू करने के पंजाब सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। ढाई दशक बाद कर्मियों को न्याय मिला है।
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला
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अपने हक के लिए करीब ढाई दशक की कानूनी लड़ाई लड़ने वाले पंजाब रोडवेज के कर्मियों को आखिरकार इंसाफ मिल गया है। हाईकोर्ट ने पे स्केल 1986 के स्थान पर 1989 से लागू करने के पंजाब सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है।
याचिका दाखिल करते हुए पंजाब रोडवेज के कर्मचारी ओंकार सिंह व अन्य ने बताया कि पंजाब सरकार ने 1986 में लागू होने वाले पे स्केल को 1989 से लागू करने का फैसला लिया था। इस आदेश को राम मूर्ति व अन्य कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 1996 में हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ताओं को 1986 से पे स्केल का लाभ देने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद याचिकाकर्ताओं ने भी इस लाभ के लिए दावा किया था। इस दावे को पंजाब सरकार ने इस आधार पर रद्द कर दिया था कि याचिकाकर्ता राममूर्ति मामले में पक्ष नहीं थे।
याचिकाकर्ताओं ने सन 2000 में इस मामले में हाईकोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट में करीब ढाई दशक तक मामला विचाराधीन रहा और अब हाईकोर्ट ने कर्मचारियों के पक्ष में फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि 1996 में कोर्ट ने इस विषय को लेकर कानूनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी। जब कर्मचारियों के हक में फैसला सुनाया गया था तो यह सभी समकक्ष पर लागू होता है। केवल इस आधार पर दावे को खारिज नहीं किया जा सकता कि उस मामले में याचिकाकर्ता पक्ष नहीं थे। हाईकोर्ट ने अब राममूर्ति मामले में दिए गए लाभ याचिकाकर्ताओं को भी जारी करने का आदेश दिया है।
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