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भिवानी। इंग्लैंड में 4 से 14 सितंबर तक आयोजित विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली जैस्मिन लंबोरिया का बुधवार को घर पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान जैस्मिन ने कहा कि उनका सबसे बड़ा सपना वर्ष 2028 के ओलंपिक में देश को पदक दिलाना है। घर लौटने पर शहरवासियों ने उन्हें बधाई दी और फूलमालाओं से स्वागत किया। इससे पहले मंगलवार को दिल्ली एयरपोर्ट पर भी हरियाणा बॉक्सिंग संघ, बॉक्सिंग फेडरेशन और आर्मी की ओर से उनका सम्मान किया गया।
जैस्मिन घर पहुंचने के बाद सिद्ध पीठ बाबा जहर गिरी आश्रम गईं जहां उन्होंने बाबा जहर गिरी और बाबा शंकर गिरी की समाधि पर धोक लगाकर आशीर्वाद लिया। उन्होंने अपनी इस ऐतिहासिक जीत को ईश्वर को समर्पित किया। जैस्मिन का बचपन से ही सिद्ध पीठ बाबा जहर गिरी आश्रम में गहरा विश्वास रहा है और वह हर उपलब्धि के बाद यहां दर्शन-पूजन करने आती रही हैं।
आश्रम में पीठाधीश्वर महंत डॉ. अशोक गिरी महाराज ने पुष्पगुच्छ और स्मृति चिह्न भेंट कर उनका सम्मान किया। उन्होंने कहा कि छोटी काशी भिवानी खेलों की नगरी है और जैस्मिन ने इसका गौरव पूरे विश्व में बढ़ाया है। आने वाले ओलंपिक में जैस्मिन देश को स्वर्ण पदक दिलाएं यही सभी की शुभकामनाएं हैं। इस अवसर पर बाबा भगवान गिरी, बाबा कैलाश गिरी, बाबा दशरथ गिरी, बाबा कामाख्या गिरी, बाबा गणेश गिरी के साथ ही जैस्मिन के माता-पिता और परिजन भी मौजूद रहे।
ये है आगे की योजना
जैस्मिन लंबोरिया ने बताया कि अब वह वर्ष 2026 में होने वाले एशियन खेलों और कॉमनवेल्थ खेलों की तैयारियों पर ध्यान देंगी। इसके लिए अभ्यास जल्द शुरू करेंगी। उन्होंने बताया कि अक्तूबर में भारत में ही वर्ल्ड कप फाइनल के मुकाबले होने हैं जिनके लिए विशेष कैंप लगेगा। उनका मुख्य लक्ष्य वर्ष 2028 के ओलंपिक में देश को पदक दिलाना है।
पांच मुकाबले खेलकर जीता स्वर्ण
जैस्मिन लंबोरिया ने कहा कि इस चैंपियनशिप में उनका मुकाबला ओलंपिक पदक विजेताओं से रहा। स्वर्ण पदक जीतने के लिए उन्हें कुल पांच मुकाबले खेलने पड़े। उन्होंने कहा कि खुशी है कि वह अपने खेल में शत-प्रतिशत देने में सफल रहीं और देश के लिए स्वर्ण पदक हासिल किया। इस जीत तक पहुंचने में ठंडा दिमाग बनाए रखना और बेहतर तकनीक का विशेष योगदान रहा।
ये बोले जैस्मिन के परिजन
जैस्मिन की जीत पर उनके पिता जयबीर, मां जोगेंद्र कौर और चाचा महाबीर ने बताया कि जैस्मिन ने 10वीं कक्षा में मुक्केबाजी का अभ्यास शुरू किया। घर में चाचा संदीप और परविंदर पहले से ही मुक्केबाज थे, जिसके चलते जैस्मिन बचपन से खेल के माहौल में पली-बढ़ीं। वर्ष 2016 में 11वीं कक्षा में पढ़ाई के साथ उन्होंने मुक्केबाजी को पूरा समय देना शुरू कर दिया और आज इस मुकाम तक पहुंचीं। परिजनों ने कहा कि आज बदलते दौर में बेटियों को भी बेटों के बराबर महत्व दिया जाने लगा है और समाज में बेटा-बेटी को समान दृष्टिकोण से देखा जा रहा है।
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2028 ओलंपिक में देश को पदक दिलाना मुख्य लक्ष्य : जैस्मिन लंबोरिया


