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2020 के बाद कंपनियों की बिक्री 13%, मुनाफा 26% बढ़ा: 10 साल में प्रॉफिट ग्रोथ सेल से 1.5 गुना ज्यादा, कोविड के बाद दोगुनी Business News & Hub

2020 के बाद कंपनियों की बिक्री 13%, मुनाफा 26% बढ़ा:  10 साल में प्रॉफिट ग्रोथ सेल से 1.5 गुना ज्यादा, कोविड के बाद दोगुनी Business News & Hub

नई दिल्ली1 घंटे पहले

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बीते 10 साल भारतीय कंपनियों का प्रदर्शन दिलचस्प रहा है। इस दौरान हर साल इनका प्रॉफिट ग्रोथ सेल के मुकाबले डेढ़ गुना से भी ज्यादा बढ़ा। 2020 से ये अंतर और बढ़ गया।

इनके मुनाफे में सालाना बढ़ोतरी बिक्री के मुकाबले दोगुनी 26% के करीब पहुंच गई। यानी कोविड महामारी के बाद से भारतीय कॉरपोरेट सेक्टर ने जोरदार प्रदर्शन किया है।

इसकी सबसे बड़ी वजह यह रही कि वित्त वर्ष 2024-25 के बीच इनका प्रॉफिट मार्जिन बढ़कर 12% तक पहुंच गया, जो 2014-15 में 8% से भी कम 7.8% था।

शुद्ध मुनाफा हर साल औसतन 16% बढ़ा

31 मार्च 2025 तक 10 साल में भारतीय कंपनियों की सेल सालाना 9.7% कम्पाउंडेड रेट (CAGR) से बढ़ी। इस बीच इनका शुद्ध मुनाफा हर साल औसतन 16% बढ़ा।

वित्त वर्ष 2019-20 से 2024-25 के बीच कंपनियों की बिक्री तो हर साल औसतन 12.7% बढ़ी, लेकिन इनके शुद्ध मुनाफे में सालना 25.7% की औसत बढ़ोतरी हुई।

10 साल में कंपनियों की प्री-टैक्स मार्जिन 3% बढ़ा

10 साल में लिस्टेड कंपनियों का नेट प्रॉफिट मार्जिन 5% से बढ़कर 8.8% हो गया। लेकिन इनमें बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज, इंश्योरेंस, ऑयल-गैस और IT कंपनियां शामिल नहीं है। इसका मतलब है कि इन सेक्टरों की कंपनियों का प्रदर्शन बेहतर रहा है। इन्हें शामिल करने पर भारतीय कॉरपोरेट सेक्टर का औसत मार्जिन 12% तक पहुंच जाता है।

25 साल में पीक पर पहुंचा प्रॉफिट मार्जिन

सिस्टमैटिक्स इंस्टिट्यूशनल इक्विटी के को-हेड (रिसर्च और इक्विटी रणनीति) धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘हमारे आंकड़े बताते हैं कि बीते 25 साल के दौरान ज्यादातर सेक्टरों में प्रॉफिट मार्जिन सबसे ऊंचे स्तर (पीक) पर पहुंच गया है।’

छोटी कंपनियों के बंद होने से बड़ी कंपनियों की ताकत बढ़ी; मनमर्जी कीमतें बढ़ाईं, इससे मुनाफा बढ़ा

सिन्हा के मुताबिक, बाजार में बड़ी कंपनियों की बादशाहत बढ़ी क्योंकि इन्होंने कई छोटी कंपनियों का अधिग्रहण किया। साथ ही कुछ छोटी-मझोली कंपनियां खुद ही बंद हो गईं।

इसके चलते बड़ी कंपनियां जरूरत और मर्जी के हिसाब से प्रोडक्ट्स और सर्विसेज के दाम बढ़ाने में सक्षम हो गईं। इसके तीन प्रमुख कारण रहे…

  1. जीएसटी के फ्रेमवर्क में बड़े पैमाने पर छोटी-मझोली कंपनियां खुद को नहीं ढाल पाईं।
  2. आईबीसी यानी दिवालिया संहिता ने संघर्षरत कंपनियों का अधिग्रहण आसान कर दिया।
  3. कोविड में सख्त तालाबंदी की वजह से कम पूंजी वाली ढेर सारी छोटी कंपनियों के लिए बाजार में टिके रहना मुश्किल हो गया।

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1. रिटेल महंगाई 6.5 साल के निचले स्तर पर आई: जून में ये 2.10% रही, खाने-पीने का सामान सस्ता होने से घटी महंगाई

जून महीने के रिटेल महंगाई घटकर 2.10% पर आ गई है। ये 77 महीने का निचला स्तर है। इससे पहले जनवरी 2019 में ये 2.05% रही थी। वहीं मई 2025 में ये 2.82% और अप्रैल 2025 में रिटेल महंगाई 3.16% पर थी।

खाने-पीने के सामान की कीमतों में लगातार नरमी के कारण रिटेल महंगाई घटी है। आज यानी 14 जुलाई को रिटेल महंगाई के आंकड़े जारी किए हैं। रिटेल महंगाई फरवरी से RBI के लक्ष्य 4% से नीचे है।

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2. थोक महंगाई 20 महीने के निचले स्तर पर: जून में ये माइनस 0.13% रही, खाने-पीने के सामान की कीमतों में कमी आई

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Source: https://www.bhaskar.com/business/news/indian-company-post-covid-profit-analysis-cagr-sales-margins-135473545.html

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