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डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के राष्ट्रपति।
वाशिंगटनः अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन में 2 आतंकवादियों की नियुक्ति ने पूरी दुनिया में सनसनी फैला दी है। इन्हें ह्वाइट हाउस के ले लीडर्स एडवाइजरी बोर्ड में रखा गया है। इनमें से एक का संबंध खूंखार आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से रहा है। जो कि कश्मीर समेत भारत में कई जगह पर आतंकी हमले का जिम्मेदार रहा है। ह्वाइट हाउस की वेबसाइट पर दोनों जेहादियों की नियुक्ति की सूचना भी जारी की गई है।

बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक नई समिति Lay Leaders Advisory Board की घोषणा की। यह समिति धार्मिक स्वतंत्रता और विश्वास आधारित नीतियों पर सलाह देने का काम करेगी। इसी समिति में दो ऐसे मुस्लिमों को तथाकथित विद्वान बताकर शामिल किया गया है, जिनमें से एक का सीधा संबंध लश्कर-ए-तैयबा (LeT) जैसे आतंकवादी संगठन से रहा है, जबकि दूसरे की नियुक्ति भी विवाद का विषय बन गई है।
ह्वाइट हाउस की वेबसाइट से ली गई रिलीज।
नियुक्त किए गए दो विवादास्पद नाम
1.इस्माइल रॉयर (Ismail Royer)
मौजूदा समय में इस्माइल रॉयर अमेरिकी नागरिक है। वह 1990 के दशक के अंत और 2000 की शुरुआत में मुस्लिम युवाओं को चरमपंथी गतिविधियों में शामिल करने के लिए कुख्यात था। वर्ष 2000 में वह पाकिस्तान गया, जहां लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर में प्रशिक्षण लिया। इस दौरान उसने कश्मीर में भारतीय सेना के ठिकानों पर आतंकवादी हमलों में भी शामिल रहा।
गिरफ्तारी और सजा
साल 2003 में रॉयर को अमेरिका में आतंकवाद से जुड़े अपराधों में दोषी पाया गया। उसको 20 साल की सजा सुनाई गई थी, जिसमें से उसने लगभग 13 साल जेल में बिताए हैं। जेल से छूटने के बाद इस्माइल ने खुद को सुधारने का दावा किया। वर्तमान में वह सेंटर फॉर इस्लाम एंड रिलीजियस फ्रीडम में निदेशक के तौर पर काम कर रहा है। धार्मिक सहिष्णुता और मुस्लिम समुदाय के अंदर सुधार और संवाद को बढ़ावा देने की दिशा में सक्रिय होने का दावा करता है।
2. शेख हमजा यूसुफ (Shaykh Hamza Yusuf)
हमजा यूसुफ अमेरिका के एक प्रमुख इस्लामी विद्वान के तौर पर होने का दावा किया गया है, वह कैलिफोर्निया में जेतुना कॉलेज का सह-संस्थापक है। यह अमेरिका का पहला मान्यता प्राप्त इस्लामी लिबरल आर्ट्स कॉलेज है।
हमजा की पृष्ठभूमि
अमेरिका हमजा यूसुफ की छवि एक उदारवादी मुस्लिम चिंतक के रूप में पेश करता है, लेकिन उसके कुछ पुराने बयान, जिसमें उसने अमेरिका की विदेश नीति या इस्लामिक कट्टरपंथ पर तीखी टिप्पणी की थी, विवादों में रहे हैं। उसे भी जेहादी प्रवृत्ति का माना जाता है। वह विवादित चेहरा रहा है।
भारत की चिंता
लश्कर-ए-तैयबा को भारत में कई बड़े आतंकवादी हमलों, जैसे 2001 का संसद हमला और 2008 का मुंबई हमले के लिए जिम्मेदार माना जाता है। भारत में कई सुरक्षा विश्लेषकों और विदेश नीति विशेषज्ञों ने ट्रंप प्रशासन की इस नियुक्ति को “कूटनीतिक असंवेदनशीलता” करार दिया है।
अमेरिका में प्रतिक्रिया
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा समुदाय और ट्रंप के राजनीतिक विरोधियों ने भी उनके इस कदम की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि पूर्व जिहादियों को व्हाइट हाउस स्तर की सलाहकार भूमिका देना “राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी” हो सकता है।
ट्रंप प्रशासन का बचाव
इस विवाद के सामने आने के बाद ट्रंप कैंपेन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह समिति “धार्मिक स्वतंत्रता को मजबूत करने” और “समुदायों के बीच संवाद” को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है। दावा किया गया है कि इस्माइल रॉयर और यूसुफ जैसे व्यक्तियों की नियुक्ति यह दर्शाती है कि “पुनर्वास और परिवर्तन संभव है” और ऐसे व्यक्ति, जो अतीत में भटके रहे हों, अब समाज की भलाई के लिए काम कर सकते हैं।
अमेरिका की नीति पर सवाल
यह प्रकरण केवल अमेरिका की आंतरिक राजनीति या ट्रंप की नीतियों तक सीमित नहीं है। यह वैश्विक बहस को जन्म देता है। सवाल यह भी है कि क्या एक पूर्व आतंकवादी अपने अतीत से मुक्त होकर सार्वजनिक जिम्मेदारी निभा सकता है? क्या पुनर्वास की प्रक्रिया समाज के लिए लाभकारी हो सकती है, या इससे कट्टरपंथ को वैधता मिलती है? ट्रंप प्रशासन इस मुद्दे पर “माफी और परिवर्तन” की बात करता है। इससे साबित होता है कि ट्रंप प्रशासन का रवैया आतंकवाद को लेकर दिखाने के लिए कुछ और एवं करने के लिए कुछ और है। (इनपुट ह्वाइट हाउस की वेबसाइट व एजेंसियां)
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2 जेहादी बने ट्रंप प्रशासन में ह्वाइट हाउस के सलाहकार, एक है लश्कर का आतंकवादी