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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट यहां से आदेश जारी किए गए हैं।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने 1947 में अमृतसर जिले में मुस्लिम प्रवासियों द्वारा छोड़ी गई जमीनों के अवैध निजी अधिग्रहण के आरोपों की जांच सेंट्रल ब्यूरो आफ इनवेस्टीगेशन (CBI) को करने के आदेश दिए हैं। आदेश में कहा गया है कि CBI इसकी जांच 29 जनवरी
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न्यायमूर्ति हरसिमरन सिंह सेठी और न्यायमूर्ति विकास सूरी की खंडपीठ ने सीबीआई को आदेश दिया कि वह इस बात की जाँच करे कि क्या निजी व्यक्ति सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर सरकारी ज़मीन हड़प रहे हैं। एजेंसी को अब तक के सभी राजस्व रिकॉर्ड की जाँच करने को कहा है।
अदालत को बताया गया कि निजी व्यक्तियों ने दो गावों में लगभग 1,400 कनाल ज़मीन पर स्वामित्व का दावा किया है, जबकि सात अन्य गावों में भी इसी तरह के दावे किए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह ज़मीन मूल रूप से विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए मुसलमानों की खाली पड़ी संपत्ति थी।
प्वाइंट में देखिए दायर याचिका में क्या
- याचिका में कहा गया है कि पंजाब सरकार ने पहले ही ये जमीनें अपने नाम कर ली थीं, क्योंकि 20 साल से ज़्यादा पुरानी गिरवी रखी गई संपत्तियां सरकारी संपत्ति मानी जाती हैं।
- जब निजी पक्षों ने मालिकाना हक़ का दावा करते हुए दीवानी मुक़दमा दायर किया, तो पंजाब सरकार ने न तो कोई लिखित बयान दिया और न ही मामले का विरोध किया। नतीजतन, सरकार को गैरमौजूद पक्ष घोषित कर दिया गया।
- सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि सरकारी वकील ने मामले से हटने की अनुमति मांगी थी, जिसके परिणामस्वरूप सरकारी ज़मीन निजी पक्षों को हस्तांतरित कर दी गई।
- निचली अदालत ने 12 मार्च, 1984 के अपने आदेश में यह माना था कि वादी ज़मीन के मालिक नहीं, बल्कि गिरवीदार थे। हालाँकि, अपील पर, 6 सितंबर, 1984 को सरकार की अनुपस्थिति के कारण इस आदेश को पलट दिया गया और निजी पक्षों को ज़मीन का मालिक घोषित कर दिया गया।
जानिए अदालत ने क्या दिए आदेश
- अदालत ने कहा कि यह मामला केंद्र सरकार के हित में है, क्योंकि केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि जमीन की कस्टडी पंजाब सरकार को हस्तांतरित कर दी गई है। इसलिए, विस्तृत जांच जरूरी है।
- उच्च न्यायालय ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह इस बात की जांच करे कि क्या निजी पक्षों के दावे, जो इस तथ्य पर आधारित हैं कि उनके पूर्वजों ने मुसलमानों को जमीन गिरवी रखी थी, वास्तविक राजस्व रिकॉर्ड पर आधारित थे, क्या सरकारी अधिकारियों की निजी पक्षों के साथ मिलीभगत थी, और क्या इन दावों के पीछे कोई वास्तविक लोग थे।
- अदालत ने कहा कि इसमें सरकार का हित जुड़ा है क्योंकि ज़मीन का इस्तेमाल विकास परियोजनाओं के लिए किया जा सकता है, इसलिए जाँच जरूरी है। सीबीआई ने पुराने रिकॉर्ड की जाँच के लिए समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार करते हुए तीन महीने का समय दिया।
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1947 बंटवारे दौरान मुस्लिमों की जमीनों पर कब्जा: हाईकोर्ट ने दिए CBI को जांच के आदेश, अगले वर्ष रिपोर्ट देने को कहा – Chandigarh News
