15 साल से ज्‍यादा उम्र की मुस्लिम लड़की अपनी पसंद के पुरुष से कर सकती है शादी, पंजाब हर‍ियाणा कोर्ट का बड़ा फैसला


चंडीगढ़: पंजाब और हरि‍याणा पंजाब हाई कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा क‍ि अबर मुस्लिम लड़की की उम्र 15 साल से ऊपर है तो वह अपनी पसंद के पुरुष से शादी कर सकती है। वैसे मुस्लिम लड़कियों की शादी के मामले मुस्लिम पर्सनल लॉ देखता है। हाई कोर्ट एक मुस्लिम जोड़े को सुरक्षा देने के आदेश दिए। इसके पीछे कोर्ट ने इस्लामिक कानून का हवाला दिया है, जिसमें लड़का लड़की में किशोरावस्था में यौन लक्षण उभरने के साथ ही उनको वयस्क मन लिया जाता है।

जिस मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने यह कहा, उस मामले में लड़की की उम्र 16 साल है जबकि उसके पति की उम्र 21 साल है। जोड़े ने य‍ह कहते हुए सुरक्षा की मांग की थी क‍ि उन्‍हें उनके पर‍िजन से खतरा है। 2014 में आए एक फैसले को आधार मानते हुए काई कोर्ट ने कहा क‍ि 15 साल से ऊपर की मुस्‍लिम लड़की कानूनन अपनी मर्जी से शादी कर सकती है।

उस आदेश का हवाला देते हुए, हाई कोर्ट ने कहा, ‘यूनुस खान के मामले में यह नोट किया गया है कि एक मुस्लिम लड़की की शादी मुसलमानों के पर्सनल लॉ द्वारा शासित होती है।’

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कोर्ट ने एक किताब में लिखे एक लेख का भी हवाला दिया। सर दिनशाह फरदुनजी मुल्ला की पुस्तक ‘प्रिंसिपल्स ऑफ मोहम्मडन लॉ’ के अनुच्छेद 195 को भी इस फैसले के समय (2014 हाई कोर्ट के फैसले) दोबारा प्रस्तुत किया गया। उस लेख के अनुसार हर मुसलमान जो स्वस्थ है और यौन लक्षण उभर रहा है, तो वह शादी कर सकता है।

अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी भी घटना में हाथ में मुद्दा शादी की वैधता के संबंध में नहीं है, बल्कि याचिकाकर्ताओं द्वारा उनके जीवन और स्वतंत्रता के लिए खतरे की आशंका को दूर करने के लिए है। संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने माना कि संविधान जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान करता है।

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