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देश की सेवा करते हुए अरुणाचल प्रदेश में बलिदान 43 वर्षीय सैनिक पवन सिंधु का शव रविवार को उनके पैतृक गांव खांडा खेड़ी में पहुंचा। वहां सैन्य सम्मान के साथ शव का अंतिम संस्कार किया गया। उनका पार्थिव शरीर गांव में पहुंचते ही पूरा इलाका भारत माता की जय और पवन सिंधु अमर रहें के नारों से गूंज उठा। हर किसी की आंखें नम थीं, लेकिन दिल में गर्व था कि गांव का बेटा देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देकर अमर हो गया।
चीन सीमा पर शनिवार को गश्त के दौरान पहाड़ी से गिरने से 13 राजपुताना राइफल्स के जवान पवन सिंधु की मौत हो गई थी। उनका पार्थिव शरीर रविवार दोपहर सेना के वाहन से दिल्ली एयरपोर्ट के जरिए गांव खांडा खेड़ी पहुंचा। गांव के प्रवेश द्वार से लेकर शहीद के घर तक सैकड़ों वाहनों का काफिला वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारों से गूंजता रहा। घर पर पार्थिव शरीर के पहुंचते ही माहौल गमगीन हो गया। मां, पत्नी और दोनों बेटों का रो-रोकर बुरा हाल था।
ग्रामीणों और रिश्तेदारों समेत तमाम ग्रामीणों की भीड़ शहीद के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़ी। इसके बाद पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम यात्रा निकाली गई। रास्ते में लोग फूल बरसाकर शहीद को श्रद्धांजलि दे रहे थे। पवन सिंधु अमर रहें के नारों के बीच जब सौम्य ने पिता को मुखाग्नि दी, तो पूरा गांव गूंज उठा। भारत माता के सपूत की विदाई पर हजारों लोगों ने नम आंखों से दी अंतिम सलामी।
गांव के श्मशान घाट पर 13 राजपुताना राइफल्स की बटालियन के अधिकारियों और जवानों ने सलामी देकर अपने साथी को अंतिम विदाई दी। पवन सिंधु के बड़े बेटे सौम्य ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान नारनौंद के विधायक जस्सी पेटवाड़, हरियाणा बॉक्सिंग संघ के अध्यक्ष मेजर सत्यपाल सिंधु, समाजसेवी रणबीर लोहान, सरपंच बलजीत सिंह, एसडीएम विकास यादव, नायब तहसीलदार बास कृष्ण कुमार, नारनौंद के थाना प्रभारी रमेश कुमार समेत सेना के अधिकारी और हजारों लोग मौजूद रहे।
पेट्रोलिंग के अंतिम दिन हुआ हादसा
मेजर सत्यपाल सिंधु ने कहा कि पवन एक सच्चे देशभक्त थे। उन्होंने देश की सेवा में अपने प्राण न्योछावर किए, यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। वह बेहद सरल और शांत स्वभाव के थे। गांव और परिवार को उन पर हमेशा गर्व रहेगा। इस बटालियन के मेजर सोमी ने बताया कि पवन सिंधु की ड्यूटी चीन सीमा के पास बड़ा रूपक क्षेत्र में थी। वह ऊंची पहाड़ी पर 13 दिनों की गश्त पर थे। ड्यूटी के आखिरी दिन जब वह पहाड़ी किनारे खड़े थे, तो अचानक पैर फिसलने से नीचे गिर गए। उनके सिर पर गंभीर चोट आई और इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
वर्ष 2003 में हुई थी भर्ती, परिवार में पत्नी और दो बेटे:
गांव खांडा खेड़ी निवासी पवन वर्ष 2003 में सेना में भर्ती हुए थे। वर्ष 2006 में उनकी शादी झमोला निवासी रितु से हुई। परिवार में 17 वर्षीय बड़ा बेटा सौम्य और 16 वर्षीय छोटा बेटा विनय शोकाकुल है। पवन के बलिदान की सूचना मिलते ही गांव में मातम छा गया। हर घर में शोक, हर आंख नम लेकिन जब सेना की सलामी के बीच अंतिम यात्रा निकली, तो हर चेहरे पर गर्व की चमक थी। ग्रामीणों ने कहा कि हमारा बेटा भले चला गया, लेकिन वह देश के दिल में हमेशा जिंदा रहेगा।
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हिसार: सैनिक सम्मान के साथ पवन सिंधु का गांव खांडा खेड़ी में हुआ अंतिम संस्कार