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शहर से 17 किलोमीटर की दूरी पर बसा गांव मंगाली का इतिहास क्रांतिकारी व गौरवपूर्ण रहा है। इस गांव के लोगों ने अपनी जान की परवाह किए बिना अंग्रेजी हुकूमत से टक्कर ली और देश को आजाद करवाने में अहम भूमिका निभाई। आज की बात करें तो यह गांव फुटबाल के खेल व मनकों की माला के लिए जाना जाता है।
गांव की बेटियों ने फुटबाल में गांव का नाम देश व विदेश में चमकाया है। वहीं, मनकों की माला के व्यवसाय के दम पर ग्रामीण स्वावलंबी बने। गांव में बनने वाली मनकों की माला की न सिर्फ देश, बल्कि विदेशों में भी मांग है। गांव के इतिहास पर नजर डालें तो इसे वर्ष 1488 में राजा ठाकुर ने बसाया था। वे अपनी पत्नी के साथ गांव चौधरीवास में रहते थे। राजा को गांव दाहिमा की मंगो नाम की युवती पसंद आ गई और उससे शादी कर ली। शादी के बाद चौधरीवास लौट रहे थे तो रास्ते में गांव मंगाल पड़ा, जहां पहले जंगल होता था।
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हिसार: मनकों ने बदली गांव की तस्वीर, ग्रामीणों को बनाया स्वावलंबी