हिसार: पुलिस पर तीन युवकों को 5 दिन तक हिरासत में रख मारपीट और 10 लाख रुपये मांगने का आरोप


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हरियाणा के हिसार जिले की वाहन चोरी निरोधक टीम पर तीन युवकों को पांच दिन तक अवैध रूप से हिरासत में रखने और मारपीट करने के आरोप लगे हैं। परिजनों का कहना है कि वे हाईकोर्ट जाकर वारंट ऑफिसर लेकर आए और सुरेवाला में वाहन चोरी निरोधक के कार्यालय पहुंचे तो तीनों अंदर मिले। अदालत के कागजात दिखाने के बाद पुलिस ने तीनों को छोड़ा और उन्हें मेडिकल जांच के लिए नागरिक अस्पताल लेकर आए। उधर, पुलिस का कहना है कि जो आरोप लगाए जा रहे हैं वह निराधार है। उनके परिचित खुद चौकी में लेकर आए थे।  

नशे की तस्करी का आरोप 
नागरिक अस्पताल पहुंचे आदमपुर निवासी कुलदीप, जाखोद खेड़ा निवासी बिजेंद्र और चूली कलां निवासी कुलदीप का कहना है कि वाहन चोरी निरोधक टीम ने 15 जून को अलग-अलग स्थान से हम तीनों को हिरासत में लिया था। नशे के कारोबार की तस्करी के आरोप में पूछताछ के लिए सीआईए लेकर आए थे।

आरोप है कि यहां पर हमें दो दिन तक हवालात में बंद रखा और यातनाएं दी। इसके बाद पुलिस तीनों को लेकर सुरेवाला चौक के पास बने वाहन चोरी निरोधक के कार्यालय में लेकर आई वहां पर तीनों को अवैध रूप से रखा और मारपीट करते रहे। खाने-पीने के लिए भी कुछ नहीं दिया।

पुलिस वालों ने छोड़ने के नाम पर 10 लाख रुपये की डिमांड की। पुलिस से मिली जानकारी अनुसार कुलदीप, बिजेंद्र और कुलदीप पर नशा तस्करी करने के केस दर्ज हैं। बिजेंद्र उर्फ धोलू पर तीन केस दर्ज हैं। चूला कलां के कुलदीप पर एनडीपीएस का एक केस दर्ज है। कुलदीप उर्फ गोलू पर शराब और नशा तस्करी के दो केस दर्ज हैं। 

रात को ही हाईकोर्ट में लगाई न्याय की गुहार 
कुलदीप की मां भंनती देवी ने बताया कि वाहन चोरी निरोधक के कार्यालय में बच्चों को छुड़वाने के लिए गए थे, लेकिन पुलिस ने छोड़ने से इनकार कर दिया। इसके बाद सोमवार रात को चंडीगढ़ में हाईकोर्ट पहुंचे। वहां एक जज के सामने गुहार लगाई उन्होंने एक वारंट ऑफिसर को हमारे साथ भेजा। तड़के करीब साढ़े तीन बजे सुरेवाला में वाहन चोरी निरोधक के कार्यालय पहुंचे। पहले तो पुलिस वालों ने तीनों को वाहन चोरी निरोधक के कार्यालय के अंदर नहीं होने की बात कहीं। जब वारंट ऑफिसर ने बात की तो तीनों को छोड़ दिया। तीनों को अंदर बांधकर रखा हुआ था। 

नशा तस्करी के एक मामले में पूछताछ के लिए बुलाए थे। इनका एक परिचित खुद इन्हें लेकर आया था। मैं वहां पर नहीं था। चिट्टा बेचने का वीडियो है। इनकी पहले से कोई चाल थी। जिस समय इनका परिचित इन्हें लेकर आया था, तीनों चिट्टे के नशे में थे। उसने कहा था कि नशा उतरने के बाद इनसे पूछताछ कर लेना, उसके बाद मैं ले जाऊंगा। जो आरोप लगाए जा रहे हैं वे सरासर झूठ हैं। – एसआई महेंद्र सिंह, इंचार्ज, वाहन चोरी निरोधक टीम

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हरियाणा के हिसार जिले की वाहन चोरी निरोधक टीम पर तीन युवकों को पांच दिन तक अवैध रूप से हिरासत में रखने और मारपीट करने के आरोप लगे हैं। परिजनों का कहना है कि वे हाईकोर्ट जाकर वारंट ऑफिसर लेकर आए और सुरेवाला में वाहन चोरी निरोधक के कार्यालय पहुंचे तो तीनों अंदर मिले। अदालत के कागजात दिखाने के बाद पुलिस ने तीनों को छोड़ा और उन्हें मेडिकल जांच के लिए नागरिक अस्पताल लेकर आए। उधर, पुलिस का कहना है कि जो आरोप लगाए जा रहे हैं वह निराधार है। उनके परिचित खुद चौकी में लेकर आए थे।  

नशे की तस्करी का आरोप 

नागरिक अस्पताल पहुंचे आदमपुर निवासी कुलदीप, जाखोद खेड़ा निवासी बिजेंद्र और चूली कलां निवासी कुलदीप का कहना है कि वाहन चोरी निरोधक टीम ने 15 जून को अलग-अलग स्थान से हम तीनों को हिरासत में लिया था। नशे के कारोबार की तस्करी के आरोप में पूछताछ के लिए सीआईए लेकर आए थे।

आरोप है कि यहां पर हमें दो दिन तक हवालात में बंद रखा और यातनाएं दी। इसके बाद पुलिस तीनों को लेकर सुरेवाला चौक के पास बने वाहन चोरी निरोधक के कार्यालय में लेकर आई वहां पर तीनों को अवैध रूप से रखा और मारपीट करते रहे। खाने-पीने के लिए भी कुछ नहीं दिया।

पुलिस वालों ने छोड़ने के नाम पर 10 लाख रुपये की डिमांड की। पुलिस से मिली जानकारी अनुसार कुलदीप, बिजेंद्र और कुलदीप पर नशा तस्करी करने के केस दर्ज हैं। बिजेंद्र उर्फ धोलू पर तीन केस दर्ज हैं। चूला कलां के कुलदीप पर एनडीपीएस का एक केस दर्ज है। कुलदीप उर्फ गोलू पर शराब और नशा तस्करी के दो केस दर्ज हैं। 

रात को ही हाईकोर्ट में लगाई न्याय की गुहार 

कुलदीप की मां भंनती देवी ने बताया कि वाहन चोरी निरोधक के कार्यालय में बच्चों को छुड़वाने के लिए गए थे, लेकिन पुलिस ने छोड़ने से इनकार कर दिया। इसके बाद सोमवार रात को चंडीगढ़ में हाईकोर्ट पहुंचे। वहां एक जज के सामने गुहार लगाई उन्होंने एक वारंट ऑफिसर को हमारे साथ भेजा। तड़के करीब साढ़े तीन बजे सुरेवाला में वाहन चोरी निरोधक के कार्यालय पहुंचे। पहले तो पुलिस वालों ने तीनों को वाहन चोरी निरोधक के कार्यालय के अंदर नहीं होने की बात कहीं। जब वारंट ऑफिसर ने बात की तो तीनों को छोड़ दिया। तीनों को अंदर बांधकर रखा हुआ था। 

नशा तस्करी के एक मामले में पूछताछ के लिए बुलाए थे। इनका एक परिचित खुद इन्हें लेकर आया था। मैं वहां पर नहीं था। चिट्टा बेचने का वीडियो है। इनकी पहले से कोई चाल थी। जिस समय इनका परिचित इन्हें लेकर आया था, तीनों चिट्टे के नशे में थे। उसने कहा था कि नशा उतरने के बाद इनसे पूछताछ कर लेना, उसके बाद मैं ले जाऊंगा। जो आरोप लगाए जा रहे हैं वे सरासर झूठ हैं। – एसआई महेंद्र सिंह, इंचार्ज, वाहन चोरी निरोधक टीम

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