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भामाशाह नगर निवासी रमी गुप्ता ने समाजसेवा को जीवन का उद्देश्य बना लिया है। अग्रोहा विकास ट्रस्ट महिला समिति की प्रधान रमी गुप्ता 1999 से इस संस्था से जुड़ी हुई हैं और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए लगातार कार्य कर रही हैं। यह समिति 1978 में बनाई गई थी, जिसका मकसद था महिलाओं को एक मंच पर लाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना। रमी गुप्ता ने बताया कि उन्हें बचपन से ही समाजसेवा का जुनून था। कॉलेज के समय विश्वविद्यालय स्तर पर एनएसएस और एनसीसी की सर्वश्रेष्ठ कैडेट रह चुकी हैं। मुझे समाज के लिए कुछ करना था, इसलिए मैंने ऐसी संस्था से जुड़ने का निश्चय किया जो महिलाओं और युवतियों के लिए काम करे। उनके पति ने भी हर कदम पर उनका साथ दिया। 1999 में समिति से जुड़ने के बाद उन्होंने छोटे स्तर पर काम शुरू किया। 2005 में उन्हें समिति का प्रधान बनाया गया। उस समय समिति में लगभग 30 महिलाएं थीं और किसी प्रकार की धनराशि नहीं थी। रमी गुप्ता ने बताया कि उन्होंने छोटे-छोटे कीर्तन कर फंड इकट्ठा करना शुरू किया। कीर्तन के जरिए ही नई महिलाएं उनसे जुड़ती गईं और धीरे-धीरे समिति का दायरा बढ़ता गया। रमी ने महिलाओं की छिपी हुई प्रतिभा को सामने लाने के लिए कार्यशालाओं की शुरुआत की। उन्होंने कहा हर महिला में कोई न कोई कला होती है, कोई स्वादिष्ट अचार बनाती है, कोई पापड़, तो कोई अच्छा खाना। हमारी समिति ने उन्हें मंच देकर आत्मविश्वास दिलाया। इसके साथ ही समिति ने सामाजिक कार्यों की दिशा में भी कदम बढ़ाए। वर्ष 2007 में समिति ने उन लड़कियों की शिक्षा का जिम्मा उठाया जो पढ़ना चाहती थीं लेकिन आर्थिक कारणों से पढ़ नहीं पा रही थीं। रमी गुप्ता ने कहा कि शुरुआत में उन्होंने सदस्यों से केवल एक रुपये प्रतिदिन का सहयोग मांगा। धीरे-धीरे महिलाएं 365 रुपये सालाना देने लगीं और समाज के अन्य लोगों ने भी सहयोग किया। आज समिति ने लगभग 75 से 80 लड़कियों को शिक्षा दिलाई है। इनमें से एक ने तो हिसार में प्रथम स्थान प्राप्त कर संस्था का नाम रोशन किया। समिति ने जरूरतमंदों की शादियों में भी सहायता की और जिन परिवारों को स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयां थीं, उनके इलाज के लिए आर्थिक मदद दी।रमी गुप्ता कहती हैं हमारा उद्देश्य है कि हर लड़की शिक्षित हो, क्योंकि जब एक लड़की पढ़ती है तो दो घरों में रोशनी फैलती है।
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हिसार: अग्रोहा विकास ट्रस्ट की पहल, एक रुपया रोज के अभियान ने बदली कई बेटियों की जिंदगी