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‘हाफिज सईद का दर्दनाक अंत देखना चाहता हूं’, लश्कर के पूर्व आतंकी ने खोला खौफना राज Politics & News

‘हाफिज सईद का दर्दनाक अंत देखना चाहता हूं’, लश्कर के पूर्व आतंकी ने खोला खौफना राज Politics & News

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नूर दाहरी को हाफिज सईद की सुरक्षा का काम सौंपा गया था।

पहलगाम हमले के बाद आतंकवाद के मामले पर पाकिस्तान दुनिया के सामने बेनकाब हो गया है। अब पाकिस्तान में पल रहे आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के एक पूर्व आतंकी ने इसके खौफनाक राज खोले हैं। लश्कर का यह पूर्व आतंकी नूर दाहरी अब खुलकर हाफिज सईद के काले राज उजागर कर रहा है। लश्कर-ए-तैयबा (LeT) आतंकी संगठन के एक पूर्व सदस्य ने हजारों पाकिस्तानियों की मौत के लिए आतंकी समूह के प्रमुख हाफिज सईद को जिम्मेदार ठहराया है और उस पर राज्य के राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए युवाओं को मौत के रास्ते धकेलने का आरोप लगाया है। उसने बताया कि वह कभी डॉक्टर बनने की ख्वाहिश रखता था, लेकिन कैसे हाफिज सईद से प्रभावित होकर लश्कर में शामिल होने के उसके फैसले ने सुनहरे भविष्य को पटरी से उतार दिया।

पूर्व आतंकी ने सुनाई अपने डरावने सफर की दास्तां

लश्कर के इस पूर्व सदस्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक लंबी पोस्ट में संगठन में अपनी भर्ती, वहां के अनुभवों और इससे हुए मोहभंग के बारे में पूरी कहानी साझा की है। ब्रिटेन स्थित थिंक टैंक इस्लामिक थियोलॉजी ऑफ काउंटर टेररिज्म (ITCT) के संस्थापक और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नूर दाहरी ने कहा कि उनकी दिवंगत मां की इच्छा थी कि वह डॉक्टर बनें लेकिन इसके बावजूद वह प्रतिबंधित समूह के संस्थापक हाफिज सईद के प्रभाव में आकर यूनिवर्सिटी की पढ़ाई छोड़कर एलईटी में शामिल हो गए।

हाफिज सईद की सुरक्षा में था तैनात

उसने याद किया कि कैसे उसे मुरीदके में हाफिज सईद की सुरक्षा का काम सौंपा गया था, जहां आतंकी सरगना आराम से रहता था और मॉडिफाइड टोयोटा विगो में यात्रा करता था जिस सोने के लिए आरामदायक जगह थी। उसने बताया कि सईद के उग्र उपदेशों से प्रभावित होकर, अनगिनत युवाओं को लश्कर में भर्ती किया गया और उन्हें अफगानिस्तान व कश्मीर भेजा गया।

क्यों छोड़ा लश्कर-ए-तैयबा?

आगे नूर ने बताया कि हर गुरुवार को पाकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों से 500 लोगों को अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में स्थित मआसकर तैयबा नाम के ट्रेनिंग कैंप में भेजा जाता था लेकिन उनमें से अधिकतर कभी लौटकर नहीं आते थे। नूर ने बताया कि जब वह अफगानिस्तान और पाकिस्तानी कश्मीर में गया तर इस संगठन का ”असली चेहरा” देखा। इसके बाद उसने लश्कर-ए-तैयबा छोड़ने का फैसला किया। नूर दहरी ने याद किया कि जब उसने जाने की इच्छा व्यक्त की तो लश्कर-ए-तैयबा के कमांडरों ने उसे “कायर” करार दिया था। पूर्व लश्कर सदस्य ने कहा, “मुझे याद है कि जब लश्कर कमांडरों ने डेथ कल्ट से अलग होने के मेरे फैसले के बारे में सुना तो उन्होंने मुझे कायर कहा था।”

लश्कर के पास हैं 10 लाख ट्रेंड आतंकी

दाहरी ने बताया कि लश्कर के पास अब लगभग 10 लाख प्रशिक्षित आतंकवादी हैं और यह राज्य के भीतर एक महत्वपूर्ण इकाई के रूप में काम करता है। उसने कहा, “हाफिज सईद राज्य के राजनीतिक लक्ष्यों (Political Goals) को प्राप्त करने के लिए युवाओं को मौत के रास्ते पर धकेलता है। लश्कर पाकिस्तान की सत्ता के इशारों पर एक ‘राख की जंग’ लड़ रहा है जिसमें केवल मासूमों की जान जा रही है। मैं अपने जीवन में अपनी आंखों से हाफिज सईद का दर्दनाक अंत देखना चाहता हूं।”

‘जहां हाफिज सईद ले जाना चाहता था, उससे बेहतर स्थिति में हूं’

नूर दाहरी ने अपनी पोस्ट लिखा कि आज वह उस जिंदगी से कहीं बेहतर स्थिति में है जहां हाफिज सईद उसे ले जाना चाहता था। उसका कहना है कि अल्लाह ने उसे इस्लाम के नाम पर हो रहे इस धोखे को उजागर करने के लिए चुना है। उसने कहा, ”मैं अब हाफिज सईद की अपेक्षा से बेहतर स्थिति में हूं क्योंकि अल्लाह ने मुझे इस्लामवादियों के काले चेहरों को उजागर करने के लिए चुना है। इंशा अल्लाह।”

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