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हाई ब्लड प्रेशर की वजह से होती हैं दिल से जुड़ी ये 7 बीमारियां, गलती से भी न करें इग्नोर Health Updates

हाई ब्लड प्रेशर की वजह से होती हैं दिल से जुड़ी ये 7 बीमारियां, गलती से भी न करें इग्नोर Health Updates

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हाई ब्लड प्रेशर की वजह से कोरोनरी आर्टरी डिजीज हो सकता है. लगातार हाई बीपी से दिल की धमनियों की दीवारें मोटी और सख्त हो जाती है. इनमें फैट और कोलेस्ट्रॉल का जमाव यानी प्लाक बनने लगता है, जिससे ब्लड फ्लो कम हो जाता है. इसके लक्षणों में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और थकान जैसे दिखते होने लगती है. वहीं समय रहते ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखकर इस बीमारी से बचा जा सकता है.

इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर से एंजाइना भी हो सकता है. जब धमनियां इतनी संकरी हो जाती है कि दिल को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती तो, छाती में दर्द या जलन होने लगती है, जिसे एंजाइना कहते हैं. हाई बीपी के कारण दिल को ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत होती है, लेकिन सप्लाई कम हो जाती है. ऐसे में अगर दर्द आराम करने पर भी ठीक न हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर से एंजाइना भी हो सकता है. जब धमनियां इतनी संकरी हो जाती है कि दिल को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती तो, छाती में दर्द या जलन होने लगती है, जिसे एंजाइना कहते हैं. हाई बीपी के कारण दिल को ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत होती है, लेकिन सप्लाई कम हो जाती है. ऐसे में अगर दर्द आराम करने पर भी ठीक न हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

हाई ब्लड प्रेशर के कारण हार्ट अटैक भी आ सकता है. दरअसल हाई ब्लड प्रेशर से बनी प्लाक अचानक फटने पर खून का थक्का बन सकता है, जो ब्लड फ्लो रोक देता है. इससे दिल की मांसपेशियों में ऑक्सीजन की कमी होती है और कुछ ही मिनट में हार्ट अटैक हो सकता है.

हाई ब्लड प्रेशर के कारण हार्ट अटैक भी आ सकता है. दरअसल हाई ब्लड प्रेशर से बनी प्लाक अचानक फटने पर खून का थक्का बन सकता है, जो ब्लड फ्लो रोक देता है. इससे दिल की मांसपेशियों में ऑक्सीजन की कमी होती है और कुछ ही मिनट में हार्ट अटैक हो सकता है.

हाई ब्लड प्रेशर की वजह से लेफ्ट वेंट्रिकुलर हाइपरट्रॉफी भी हो सकता है. इसमें जब दिल को लगातार ज्यादा मेहनत करनी पड़े तो इसका बायां हिस्सा मोटा और सख्त होने लगता है. इसे लेफ्ट वेंट्रिकुलर हाइपरट्रॉफी कहते हैं. शुरुआत में इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं, लेकिन धीरे-धीरे थकान, सांस फूलना और सूजन जैसी समस्याएं शुरू हो जाती है. वहीं अगर इसे कंट्रोल न किया जाए तो यह हार्ट फेल्योर में बदल सकता है.

हाई ब्लड प्रेशर की वजह से लेफ्ट वेंट्रिकुलर हाइपरट्रॉफी भी हो सकता है. इसमें जब दिल को लगातार ज्यादा मेहनत करनी पड़े तो इसका बायां हिस्सा मोटा और सख्त होने लगता है. इसे लेफ्ट वेंट्रिकुलर हाइपरट्रॉफी कहते हैं. शुरुआत में इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं, लेकिन धीरे-धीरे थकान, सांस फूलना और सूजन जैसी समस्याएं शुरू हो जाती है. वहीं अगर इसे कंट्रोल न किया जाए तो यह हार्ट फेल्योर में बदल सकता है.

हाई ब्लड प्रेशर की वजह से हार्ट फेल्योर होना भी एक आम बीमारी माना जाता है. कई बार दिल की पंपिंग सामान्य दिखती है, लेकिन वह सही तरीके से भर नहीं पता है. हाई बीपी से दिल की दीवारें सख्त हो जाती है और ब्लड फ्लो कम हो जाता है. इस कंडीशन को HFpEF कहा जाता है.

हाई ब्लड प्रेशर की वजह से हार्ट फेल्योर होना भी एक आम बीमारी माना जाता है. कई बार दिल की पंपिंग सामान्य दिखती है, लेकिन वह सही तरीके से भर नहीं पता है. हाई बीपी से दिल की दीवारें सख्त हो जाती है और ब्लड फ्लो कम हो जाता है. इस कंडीशन को HFpEF कहा जाता है.

हाई ब्लड प्रेशर की वजह से अनियमित धड़कनों से जुड़ी बीमारियां भी हो सकती है. दरअसल लंबे समय तक हाई बीपी रहने से दिल का स्ट्रक्चर और इलेक्ट्रिकल सिस्टम बिगड़ जाता है. इससे धड़कने अनियमित और तेज हो जाती है, जिससे एट्रियल फिब्रिलेशन कहा जाता है. इसके लक्षणों में दिल की तेज धड़कन महसूस होना, चक्कर या थकावट शामिल है.

हाई ब्लड प्रेशर की वजह से अनियमित धड़कनों से जुड़ी बीमारियां भी हो सकती है. दरअसल लंबे समय तक हाई बीपी रहने से दिल का स्ट्रक्चर और इलेक्ट्रिकल सिस्टम बिगड़ जाता है. इससे धड़कने अनियमित और तेज हो जाती है, जिससे एट्रियल फिब्रिलेशन कहा जाता है. इसके लक्षणों में दिल की तेज धड़कन महसूस होना, चक्कर या थकावट शामिल है.

वहीं हाई ब्लड प्रेशर की वजह से माइक्रो वैस्कुलर एंजाइम भी हो सकता है. यह बीमारी दिल की छोटी ब्लड सेल्स को प्रभावित करती है, जिनमें ब्लड फ्लो कम हो जाता है. हाई बीपी से यह सेल सख्त हो जाती है और फैल नहीं पाती है, जिससे ऑक्सीजन की कमी होती है. इसमें भी छाती में दर्द और थकान जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.

वहीं हाई ब्लड प्रेशर की वजह से माइक्रो वैस्कुलर एंजाइम भी हो सकता है. यह बीमारी दिल की छोटी ब्लड सेल्स को प्रभावित करती है, जिनमें ब्लड फ्लो कम हो जाता है. हाई बीपी से यह सेल सख्त हो जाती है और फैल नहीं पाती है, जिससे ऑक्सीजन की कमी होती है. इसमें भी छाती में दर्द और थकान जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.

Published at : 29 Oct 2025 10:00 AM (IST)

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