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पंजाब और हरियाणा बार काउंसिल ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से उन प्रक्रियाओं की पूरी जानकारी मांगी है, जिनके तहत हाल ही में 76 वकीलों को सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया। यह कदम उस समय उठाया गया जब काउंसिल को बड़ी संख्या में शिकायतें मिलीं कि चयन
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बार काउंसिल ने 23 अक्टूबर को प्रस्ताव पारित किया। जिसमें कहा कि कानूनी बिरादरी से कई शिकायतें मिली हैं कि सूची को अंतिम रूप देने से पहले सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। कई योग्य उम्मीदवारों को छोड़ दिया गया, जबकि कुछ अयोग्य लोगों को तरजीह दी गई।
काउंसिल ने इस मामले में बढ़ती असंतोष की भावना को गंभीरता से लेते हुए कहा कि यह मामला 31 अक्टूबर तक स्थगित रखा गया है और तब तक हाईकोर्ट से पूरी रिपोर्ट मांगी गई है।
हाईकोर्ट से मांगी गई सात मुख्य जानकारियां
1. चयन की पूरी प्रक्रिया: यह बताने को कहा गया है कि सीनियर एडवोकेट चुनने की प्रक्रिया क्या अपनाई गई।
2. पुराने या नए नियम: चयन पुराने नियमों के तहत हुआ या नए नियमों के अनुसार, और क्या यह सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा जयसिंग केस में दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुरूप था।
3. अंक और मूल्यांकन डेटा: क्या प्रत्येक उम्मीदवार को अंक दिए गए थे और मूल्यांकन के लिए कौन-से मानक अपनाए गए।
4. अंक वेबसाइट पर प्रकाशित हुए या नहीं: यह पूछा गया है कि क्या उम्मीदवारों को दिए गए अंक हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड या प्रकाशित किए गए थे, इससे पहले कि मामला फुल कोर्ट के समक्ष अंतिम निर्णय के लिए रखा गया।
5. निष्क्रिय उम्मीदवारों का चयन: क्या ऐसे उम्मीदवारों को भी नामित किया गया जिन्होंने बीते कुछ वर्षों में कोई मामला दायर या पेश नहीं किया है या जो पिछले दो सालों में मुश्किल से अदालत में दिखाई दिए हों।
6. आवेदन आमंत्रण की सूचना: क्या सीनियर एडवोकेट बनने के लिए आवेदन आमंत्रण की अधिसूचना को जिला और सब-डिवीजन बार एसोसिएशनों तक विधिवत पहुंचाया गया था।
7. आरक्षण या विशेष मापदंड: क्या अनुसूचित जाति/जनजाति और महिला उम्मीदवारों के लिए कोई विशेष मापदंड तय किए गए थे।
जानें क्या है मामला
हाईकोर्ट ने 20 अक्टूबर को 76 वकीलों को सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया था, जिनमें सिर्फ 5 महिलाएं शामिल हैं। इस बार कुल 210 वकीलों ने आवेदन किया था। लेकिन चयन सूची जारी होने के बाद से ही कई वकीलों और बार एसोसिएशनों के सदस्यों ने आपत्ति जताई कि प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं रही और कई योग्य उम्मीदवारों को नजरअंदाज किया गया।
कई अधिवक्ताओं का आरोप है कि हाईकोर्ट की चयन सूची में कई “फेवरेट” नाम शामिल किए गए, जबकि लंबे समय से अभ्यास करने वाले, योग्य वकीलों को नजरअंदाज कर दिया गया। इसीलिए बार काउंसिल ने पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए पूरी प्रक्रिया की समीक्षा का फैसला किया है।
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हाईकोर्ट से ‘सीनियर एडवोकेट’ चयन प्रक्रिया की जानकारी मांगी: बार काउंसिल को मिली थी शिकायतें; 76 वकीलों को सीनियर एडवोकेट बनाने पर उठे थे सवाल – Amritsar News

