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भूजल – फोटो : iStock
विस्तार
मालवा क्षेत्र के पानी में यूरेनियम होने व उससे फैलने वाले कैंसर के खिलाफ जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले में हरियाणा व चंडीगढ़ को भी भू-जल के सैंपलों की जांच का आदेश दिया है।
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हाईकोर्ट ने कहा कि केवल यूरेनियम ही नहीं बल्कि आर्सेनिक व अन्य विषैले तत्वों की भी जांच की जाए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय मानकों से समझौते पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि मानकों का ध्यान रखा जाए, हम विदेशियों से कम इंसान नहीं हैं।
2010 में मोहाली निवासी बृजेंदर सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए मालवा क्षेत्र के भू-जल में यूरेनियम होने और इससे बढ़ते कैंसर के मामलों का मुद्दा उठाया था। हाईकोर्ट के आदेश पर मालवा क्षेत्र के पानी में यूरेनियम की जांच के लिए भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी) ने बठिंडा, फिरोजपुर, फरीदकोट एवं मानसा में 1500 पानी के नमूने लिए थे। इन नमूनों में से 35 प्रतिशत नमूनों में यूरेनियम तय मानकों से अधिक पाया गया जिसमें बठिंडा जिला सबसे अधिक प्रभावित पाया गया है।
एटामिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड के अनुसार पीने के पानी में यूरेनियम की मात्रा 60 पीपीबी से अधिक नहीं होनी चाहिए। परंतु बठिंडा जिले के पानी में यह मात्रा 10 गुना से अधिक 684 पीपीबी आंकी गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने मालवा और खास तौर पर बठिंडा के भूजल में यूरेनियम होने व बढ़ते कैंसर के मामलों को लेकर 14 साल से लंबित याचिका पर मुख्य सचिव को एहतियातन पूरे प्रदेश के भूजल की नए सिरे से जांच का भी आदेश दिया था।
सोमवार को सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने बताया कि पूरे पंजाब से 4406 सैंपल लिए गए थे, इनमें से 108 में यूरेनियम की मात्रा तय मानकों से अधिक पाई गई है। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार पानी में यूरेनियम को लेकर मानक बदले गए हैं। अब तय मात्रा 30 पीपीबी है। पंजाब सरकार ने बताया कि केंद्र सरकार का पत्र है कि 60 पीपीबी को उचित माना जा सकता है। हाईकोर्ट ने कहा कि मानक तो विश्व स्तर के ही माने जाएंगे, हम विदेशियों से कम इंसान नहीं हैं। हाईकोर्ट ने अब इस मामले में हरियाणा व चंडीगढ़ को भी सैंपल लेकर जांच का आदेश दिया है।
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हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी: भूजल की जांच में मानकों से समझौता स्वीकार नहीं, हम विदेशियों से कम इंसान नहीं