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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट – फोटो : अमर उजाला
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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के चुनाव के लिए अयोग्य करार देने को चुनौती देने वाली शिरोमणि अकाली दल व अन्य कई याचिका खारिज कर दी हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि धर्म और राजनीति के संभावित खतरनाक मिश्रण को रोकना जरूरी है।
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अकाली दल के प्रतिनिधि जालंधर निवासी दलजीत सिंह चीमा ने याचिका में सवाल उठाया कि क्या चुनाव आयोग से पंजीकृत राजनीतिक दल को केवल राजनीतिक पार्टी के रूप में मान्यता के आधार पर धार्मिक निकाय के चुनाव में भाग लेने से अयोग्य ठहराया जा सकता है। याचिका में 18 सितंबर, 2023 के आदेश को रद्द करने की मांग की गई है, जिसके तहत चुनाव आयोग के साथ पंजीकृत राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था।
याची ने कहा कि यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 29-30 का उल्लंघन है। साथ ही आदेश राजनीतिक दलों और अन्य सिख संगठनों के बीच भेदभाव पैदा करता है। हरियाणा गुरुद्वारा आयोग ने अपनी शक्तियों का गलत प्रयोग किया है और 2014 के हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन अधिनियम की धारा-10 में निर्धारित योग्यता मानदंड में संशोधन किया है। यह केवल राज्य विधानसभा के अधिकार क्षेत्र में आता है।
अकाली दल ने यह भी मांग की है कि चुनाव आयोग पार्टी या उसके प्रतिनिधियों को चुनावी प्रतीक आवंटित करे और उन्हें चुनाव में भाग लेने की अनुमति दी जाए, भले ही वह राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत हो। याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि सिख गुरुद्वारा एक पवित्र धार्मिक स्थान है और हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (एचएसजीएमसी) के चुनावों में राजनीतिक दलों के भाग लेने पर रोक लगाने का उद्देश्य धर्म और राजनीति के संभावित खतरनाक मिश्रण को रोकना है। कोर्ट ने कहा कि सिख धार्मिक संस्थानों के चुनाव के लिए जाति और लिंग आधारित आरक्षण की मांग सिख धर्म के उच्च आदर्शों के खिलाफ है।
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हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी: धर्म और राजनीति के संभावित खतरनाक मिश्रण को रोकना जरूरी, ये है मामला