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पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला
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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि आपराधिक मामले में आरोपी को बचाव का पूरा अधिकार है, इसके लिए उसे उसी भाषा में दस्तावेज उपलब्ध करवाए जाने चाहिए, जो वह समझता हो। हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार की यह दलील भी खारिज कर दी कि आरोपी के वकील को पंजाबी भाषा की समझ थी।
याचिका दाखिल करते हुए झज्जर निवासी गौरव ने हाईकोर्ट को बताया कि उसके खिलाफ संगरूर में मामला विचाराधीन है। झज्जर में बातचीत के लिए केवल हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में वह गुरुमुखी लिपि या पंजाबी भाषा का जानकार नहीं है। याची ने ट्रायल कोर्ट से मांग की थी कि उसे आरोप पत्र की प्रति हिंदी भाषा में उपलब्ध करवाई जाए, जिससे ट्रायल कोर्ट ने इन्कार कर दिया था।
हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी को आरोपपत्र की प्रति देने का उद्देश्य उसे आरोपों से अवगत कराना है। आरोपी तथ्यों को समझे बिना अपने बचाव के बारे में अपने वकील को निर्देश देने में असमर्थ होगा। आरोपी को संविधान बचाव का अधिकार देता है। ऐसे में याचिकाकर्ता को चालान की हिंदी में अनुवादित प्रति प्रदान की जानी चाहिए। जिस भाषा की आरोपी को जानकारी नहीं, उसमें दस्तावेज उसे देने से इसका पूरा उद्देश्य विफल हो जाएगा।
हाईकोर्ट ने सरकार की उस दलील को भी खारिज कर दिया कि याची के वकील को पंजाबी की जानकारी है। हाईकोर्ट ने कहा कि मुकदमे का नतीजा याची को भुगतान होगा, उसके वकील को नहीं। हाईकोर्ट ने अब ट्रायल कोर्ट को दो सप्ताह के भीतर हिंदी भाषा में याची को चालान उपलब्ध करवाने का आदेश दिया है।
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हाईकोर्ट का अहम फैसला: आरोपी को आरोप से जुड़े दस्तावेज उसी भाषा में मिले, जिसे वह समझता हो