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सूचना का अधिकार (सांकेतिक) – फोटो : अमर उजाला
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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में यह स्पष्ट कर दिया कि आरटीआई के लिए लिखित आवेदन और हस्ताक्षर के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। ई-मेल के जरिये फीस भर कर सूचना का अधिकार कानून के तहत जानकारी मांगी जा सकती है। हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी को आदेश दिया है कि 30 दिन के भीतर मांगी गई जानकारी उपलब्ध करवाएं।
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याचिका दाखिल करते हुए हाईकोर्ट को बताया गया कि संदीप कुमार गुप्ता ने ईमेल के माध्यम से आवश्यक शुल्क जमा कर यूनिवर्सिटी से जानकारी मांगी थी। हिसार स्थित विश्वविद्यालय ने लिखित हस्ताक्षरित आवेदन की मांग करते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया था। जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी की अध्यक्षता में सुनवाई के दौरान अदालत ने स्पष्ट किया कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 6 के तहत ईमेल के माध्यम से सूचना मांगने का प्रावधान है। जब आवेदक अपनी पहचान सत्यापित कर चुका है, तो लिखित हस्ताक्षरित आवेदन की मांग गैर-जरूरी है। अदालत ने विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को उनकी मांगी गई जानकारी 30 दिनों के भीतर उपलब्ध कराई जाए। यह फैसला पारदर्शिता और सूचना के अधिकार के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
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हाईकोर्ट का अहम आदेश: आरटीआई के लिए हस्ताक्षर अनिवार्य नहीं, केवल पहचान साबित करना जरूरी