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हरियाणा पुलिस अब हुई और भी हाईटेक: बनाई एसओपी,आंदोलनों में ड्रोन टेक्नोलॉजी से निपटेगी, नजदीक गए बिना करेंगे भीड़ को कंट्रोल – Karnal News Chandigarh News Updates

हरियाणा पुलिस अब हुई और भी हाईटेक:  बनाई एसओपी,आंदोलनों में ड्रोन टेक्नोलॉजी से निपटेगी, नजदीक गए बिना करेंगे भीड़ को कंट्रोल – Karnal News Chandigarh News Updates

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ड्रोन से मैदान में छोड़े गए आशु गैस के गोले।

हरियाणा पुलिस अब बड़े आंदोलनों और भीड़-प्रबंधन में पूरी तरह हाईटेक नजर आने लगी है। शनिवार को हरियाणा पुलिस अकादमी में इसका डेमो हुआ, जहां यह दिखाया गया कि अगर कोई बड़ा आंदोलन होता है तो पुलिसकर्मी सीधे भीड़ के नजदीक जाने की बजाय ड्रोन टेक्नोलॉजी का इ

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मधुबन अकादमी में ड्रोन के प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहुंचे डीजीपी।

तकनीक से बदल रहा है पुलिसिंग का तरीका हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने बताया कि पुलिस ने एक नई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार की है, जो ड्रोन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इसका मकसद हेजिटेशन यानी बड़े आंदोलनों में न्यूनतम बल प्रयोग करना है। उन्होंने कहा कि बीते वर्ष अंबाला और खनौरी बार्डर पर बड़ा आंदोलन हुआ था, जिसमें ड्रोन का प्रयोग किया गया था। उसी अनुभव को आधार बनाकर दृष्या नामक संस्था के सहयोग से यह नई एसओपी बनाई गई है। शनिवार को इसका डेमो किया गया और यह बेहद प्रभावी साबित हुई।

आसमान से आंसू गैस के गोले गिराते ड्रोन।

आसमान से आंसू गैस के गोले गिराते ड्रोन।

भीड़ पर काबू पाने का नया तरीका ड्रोन टेक्नोलॉजी से पुलिस को कई फायदे मिलते हैं। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पहले लाठीचार्ज या बल प्रयोग करना पड़ता था, लेकिन अब ड्रोन से बिना नजदीक गए भी हालात को काबू में किया जा सकेगा। ड्रोन पर लगे साउंड स्पीकर से आंदोलनकारियों को चेतावनी दी जा सकती है, जिससे वे खुद जगह छोड़ दें।

इसके अलावा ड्रोन से छोड़ा गया टियर गैस ग्रेनेड भीड़ को नियंत्रित करने में मदद करेगा। वहीं, इंक स्प्रे का इस्तेमाल करके उन लोगों को चिह्नित किया जा सकेगा, जिन्होंने हंगामा किया हो। यह इंक लंबे समय तक नहीं हटती है, जिससे उनकी पहचान बाद में भी आसान हो जाती है।

ड्रोन के नीचे लगाए गए आंसू गैस के गोले।

ड्रोन के नीचे लगाए गए आंसू गैस के गोले।

ऑपरेशन सिंदूर में भी हुई थी टेक्नोलॉजी की मदद डीजीपी ने बताया कि ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सिर्फ आंदोलनों में ही नहीं, बल्कि बड़े ऑपरेशनों में भी किया जा रहा है। हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी इसका सफल उपयोग किया गया था। ड्रोन से पुलिस को ऊंचाई से पूरे इलाके की निगरानी करने का फायदा मिलता है। इससे मौके पर क्या स्थिति है, कितनी भीड़ है और कहां ज्यादा तनाव है, इसकी सटीक जानकारी मिलती है। इससे रणनीति बनाने और ऑपरेशन को सफल बनाने में आसानी होती है।

आंसू गैस के गोले छोड़ने के लिए तैयार किया गया ड्रोन।

आंसू गैस के गोले छोड़ने के लिए तैयार किया गया ड्रोन।

कम बल प्रयोग, ज्यादा असर पुलिस का मानना है कि टेक्नोलॉजी अपनाने से काम आसान और सुरक्षित हो गया है। पहले आंदोलन की स्थिति में पुलिस बल को भीड़ के बीच उतरना पड़ता था, जिससे झड़प और चोट लगने का खतरा बढ़ जाता था। लेकिन ड्रोन से न सिर्फ पुलिस सुरक्षित दूरी से हालात पर नजर रख सकेगी, बल्कि कम से कम बल प्रयोग करके भीड़ को नियंत्रित कर पाएगी। इससे पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच टकराव की नौबत भी कम होगी।

मॉक ड्रिल के दौरान मैदान में तैनात पुलिस कर्मी।

मॉक ड्रिल के दौरान मैदान में तैनात पुलिस कर्मी।

हरियाणा पुलिस लगातार हो रही हाईटेक हरियाणा पुलिस ने बीते कुछ सालों में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ा दिया है। चाहे वह ट्रैफिक मैनेजमेंट हो, अपराधियों की लोकेशन ट्रैकिंग हो या फिर ऑपरेशन में ड्रोन का इस्तेमाल – हर जगह नई तकनीक से पुलिस की ताकत दोगुनी हुई है। ड्रोन टेक्नोलॉजी के जुड़ने से अब पुलिस और ज्यादा आधुनिक और सक्षम हो गई है।

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