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पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और सीएम नायब सैनी।
हरियाणा और पंजाब के बीच पानी को लेकर विवाद चल रहा है। ये कोई पहला मौका नहीं है, जब 2 पड़ोसी राज्य आमने-सामने हैं। इससे पहले किसान आंदोलन और चंडीगढ़ को लेकर दोनों राज्य आपस में भिड़ चुके हैं। तकरार को लेकर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार को भी हस्तक्षेप कर
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कभी एक समय था, जब दोनों राज्य एक संयुक्त पंजाब हुआ करते थे। भाषा के आधार पर 1 नवंबर 1966 को दोनों राज्य विभाजित कर दिए गए। तभी से दोनों राज्यों की राजधानी चंडीगढ़ ही है। अब पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने हरियाणा का पानी रोकने का फैसला किया है।
भगवंत सिंह मान ने कहा-
पंजाब के पास हरियाणा को देने के लिए एक बूंद भी ज्यादा पानी नहीं है। हरियाणा सरकार 2 महीने पहले ही अपने कोटे का सारा पानी इस्तेमाल कर चुकी है।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने वीडियो जारी कर हरियाणा का पानी रोकने की बात कही थी।
अब हरियाणा और पंजाब के बीच हुए 3 विवाद जानिए…
1. किसान आंदोलन में खट्टर-अमरिंदर आमने-सामने आए 30 अगस्त 2021 को किसान आंदोलन को लेकर हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और पंजाब के पूर्व CM कैप्टन अमरिंदर सिंह आमने-सामने हो गए थे। हरियाणा के करनाल में किसानों पर लाठीचार्ज के बाद खट्टर और कैप्टन अमरिंदर आपस में भिड़े। कैप्टन ने किसानों पर लाठीचार्ज पर हरियाणा के CM से इस्तीफा मांग लिया था। इस पर खट्टर भड़क गए थे। खट्टर ने कहा था कि कैप्टन कौन होते हैं इस्तीफा मांगने वाले? खट्टर ने हरियाणा में किसान आंदोलन के पीछे पंजाब सरकार का हाथ बताया था।

ये तस्वीर 4 साल पहले की है। करनाल में किसानों के प्रदर्शन के बीच एक वीडियो सामने आया था जिसमें SDM ने नाका तोड़ने वालों के सिर फोड़ने को कहा था। इसके बाद अमरिंदर सिंह ने खट्टर पर निशाना साधा था।
2. SYL पर दोनों राज्यों में कई बार घमासान हुआ SYL को लेकर भी पंजाब और हरियाणा सरकार कई बार आमने-सामने हो चुकी है। 1976 में SYL नहर के निर्माण को लेकर दोनों राज्यों में सहमति बनी थी। पंजाब ने हरियाणा से 18 नवंबर,1976 को 1 करोड़ रुपए लिए और 1977 को SYL निर्माण मंजूरी दी। मगर, आज तक इस विवाद का हल नहीं निकला। 4 अक्टूबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के हक में फैसला सुनाया था और पंजाब सरकार को आदेश दिए थे कि हरियाणा को उसके हक का पानी दिया जाना चाहिए।
3. चंडीगढ़ पर दोनों राज्य जताते हैं अपना हक हरियाणा-पंजाब चंडीगढ़ को लेकर भी कई बार आपस में टकरा चुके हैं। दोनों राज्य चंडीगढ़ पर अपना बराबरी का हक जताते हैं। पंजाब की मान सरकार ने 1 अप्रैल 2022 को चंडीगढ़ पर पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर दिया था। इसके बाद पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने भी इसको लेकर 5 अप्रैल 2022 को विधानसभा सत्र बुलाकर चंडीगढ़ पर अपना हक जताया था। दोनों राज्यों के बीच राजधानी का विवाद तब से है, जब हरियाणा 1966 में अलग राज्य बना।
पंजाब व हरियाणा के अधिकतर सरकारी कार्यालय चंडीगढ़ में हैं। हरियाणा का सचिवालय, मिनी सचिवालय, चुनाव आयोग व खाद एवं आपूर्ति विभाग समेत अन्य मुख्य कार्यालय चंडीगढ़ में ही हैं, जिनको लेकर कभी विवाद नहीं हुआ लेकिन जब भी चंडीगढ़ में केंद्र व हरियाणा के किसी नई परियोजना की सुगबुगाहट होती है तो उस पर सियासी विवाद शुरू हो जाता है।

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विधानसभा में प्रस्ताव पास कर हरियाणा पर अपना हक जताया था।
पंजाब और हरियाणा के टकराव से हरियाणा पर क्या असर पड़ा…
- किसान आंदोलन : 2020 में किसान आंदोलन के कारण दोनों राज्यों के बीच टकराव रहा। पंजाब सरकार ने पंजाब से आने वाले किसानों को अपने यहां रोकने के बजाय आगे जाने दिया। नतीजा यह हुआ कि हरियाणा और दिल्ली के बॉर्डर पर किसान लंबे समय तक बैठे रहे। इससे हरियाणा के उद्योगों पर असर पड़ा। बॉर्डर एरिया के लोगों को परेशानी उठानी पड़ी। हरियाणा के लोगों का दिल्ली के साथ होने वाला व्यापार प्रभावित रहा।
- SYL विवाद : SYL नहर में पानी नहीं आने से हरियाणा के दक्षिण-पश्चिम इलाकों में फसलों तक पूरा पानी पहुंच पाता। नतीजतन हरियाणा के आधे से ज्यादा किसानों को पूरा सिंचाई का पानी नहीं मिल पा रहा। हालात ये हैं कि गर्मियों में जल संकट और गहरा जाता है। शहरों में भी टैंकरों से पानी की आपूर्ति करनी पड़ती है। किसानों को बारिश के पानी पर फसलों के लिए निर्भर रहना पड़ता है। SYL के आने से हरियाणा में पूरी तरह से जल संकट खत्म हो सकता है।
- चंडीगढ़ विवाद : दोनों राज्य चंडीगढ़ पर अपना हक जताते हैं। इसके कारण आज तक हरियाणा की खुद की अलग से विधानसभा और हाईकोर्ट नहीं है। चंडीगढ़ में हरियाणा 60-40 अनुपात चाहता है। दोनों राज्यों की तरफ से चंडीगढ़ में प्रतिनियुक्ति पर अपने अधिकारियों को भेजा जाता है। मगर, अब केंद्र से सीधे केंद्रीय कैडर के अधिकारियों की नियुक्ति भी शुरू कर दी गई है। इस कारण यहां पंजाब व हरियाणा के अधिकारियों का अनुपात कम होता जा रहा है। इसे लेकर दोनों राज्यों की तरफ से समय-समय पर एतराज भी जताया जाता है।
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पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने अचानक हरियाणा को मिल रहे पानी को रोकने का फैसला कर दिया। पंजाब CM भगवंत मान ने खुद वीडियो जारी कर इसकी जानकारी दी। जिसमें सीएम भगवंत मान ने कहा कि अब हमारे पास एक भी बूंद अतिरिक्त पानी नहीं है, जिसे हरियाणा को दे सकें। पढ़ें पूरी खबर
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