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गांव सागवान में करीब 6 से 8 फुट तक पानी भरा है, जिस पर काई जम गई है। लोग एकदूसरे के पास जाने के लिए नाव का सहारा ले रहे हैं। भास्कर रिपोर्ट ने भी नाव में बैठकर हालात का जायजा लिया।
हरियाणा के भिवानी जिले का 12 हजार का आबादी वाला गांव सागवान। यहां पहली बार गलियों में नावें चल रही हैं। डेढ़ महीने से 6 से 8 फीट तक पानी भरा है। एक बार तो यहां 10 से 11 फीट तक पहुंच गया था। एक नजर में ऐसा लगता है, जैसे पूरे गांव में हरा कारपेट बिछा द
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करीब एक हजार घर खाली पड़े हैं। इनके मालिक रिश्तेदारों या दूसरे सुरक्षित इलाकों में जा चुके हैं। करीब 500 बच्चों का स्कूल छूट चुका है। अब 8 सितंबर को गांव को एक मोटर बोट और दो पैडल बोट मिलीं। क्योंकि अगले दिन सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी को गांव का दौरा करना था। ये गांव मंत्री श्रुति चौधरी के गृहक्षेत्र तोशाम हलके में आता है।
घर-बार छोड़ने को मजबूर लोग कहते हैं-
भ्याणी ने तीन-तीन सीएम दिए। बंसी, बनारसी, अर हुकम। इब हालत यो सै कि बंसी की पोती के राज म्ह गाम में नावें चलने की नौबत आगी।
यानि भिवानी जिले ने प्रदेश को 3 सीएम दिए, चौधरी बंसी लाल, बनारसी दास गुप्ता और हुकम सिंह। अब हालात ये बन गए हैं कि बंसी की पोती (श्रुति चौधरी) के राज में नावें चलने की नौबत आ गई है।
दैनिक भास्कर एप की टीम ने गांव का जायजा लिया तो हालात ज्यादा बुरे मिले। लोगों ने बताया कि उनकी जिंदगी नरक जैसी बन गई है। पीने का पानी तक टैंकरों से सप्लाई हो रहा है। मकानों में दरारें आ गई हैं, जिनके कभी भी ढहने का खतरा मंडरा रहा है। कई परिवार तो ऐसे हैं, जिनको भरपेट खाना तक नहीं मिल रहा है। गांव के हालात बताती पूरी रिपोर्ट पढ़िए…
पहले देखिए गांव सागवान में क्या हालात बने…

गांव में भरा पानी और उस पर जमी काई। यहां रहने वाले लोग अपनी रिश्तेदारों के पास चले गए हैं।

गांव सागवान में घरों में जलभराव ना हो, इसके लिए मकानों के सामने मिट्टी और पन्नी डालकर इंतजाम किया गया है।

ग्रामीणों ने बताया, किस हालात में जी रहे जिंदगी…
- पानी में गाय-भैंसे मरने लगीं, तो रिश्तेदारों के पास छोड़े मवेशी: दैनिक भास्कर एप की टीम गांव में पहुंची तो पूरे गांव में यूं लगा जैसे हरा कारपेट बिछा रखा है। गांव की सरपंच विद्या देवी के प्रतिनिधि बलजीत कहते हैं- जब ये काई हटेगी और पानी उतरेगा, तब पता चलेगा नुकसान कितना है। पानी में बलियानी गांव के 35 वर्षीय हरिकेश रेढू का शव मिला, जो बहकर आया होगा। गांव के अत्तर सिंह और विष्णु की भैंसों-गायों की मौत हो चुकी है। काफी कुत्ते भी मरे हैं। ग्रामीणों ने अपने दो ढाई हजार मवेशी रिश्तेदारों के पास भेज दिए हैं या ऊंचे टीलों पर बांध रखे हैं।
- श्मशान डूबा, खेतों में दाह संस्कार: बलजीत ने बताया कि गांव का श्मशान घाट डूबा हुआ है। जलभराव के दौरान दयानंद और ईश्वरी देवी की मौत हुई, तो उनका अंतिम संस्कार खेतों में करना पड़ा। गांव के 2 जलघर हैं, दोनों ही डूब चुके हैं। इसके कारण पानी सप्लाई भी ठप है। गांव में पानी की सप्लाई वाटर टैंकरों से हो रही है। कुछ प्राइवेट टैंकर हैं तो कुछ पब्लिक हेल्थ ने ट्रैक्टर लगाए हुए हैं। स्टेडियम और बिजली घर भी डूबे हैं।

गांव के हालात की जानकारी देते ग्रामीण।
- डेढ़ महीने से डूबे 3 स्कूल, बच्चों की छुट्टी: गांव में 2 भवनों में तीन सरकारी स्कूल हैं, जिनमें 500 बच्चे पढ़ते हैं। 3 अगस्त को पानी भरने के बाद से स्कूल डूबे हुए हैं। ज्यादातर बच्चे रिश्तेदारों के पास जा चुके हैं।
- टीचर भी स्कूल नहीं जा पा रहे: जिला शिक्षा अधिकारी निर्मल दहिया ने बताया कि स्कूल में पानी भरने से कक्षाएं नहीं लग पाई। टीचर भी स्कूल में नहीं गए। टीचर घर से ही जो संभव हो पा रहा है, बच्चों को ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं। बच्चों और अध्यापकों की सुरक्षा को देखते हुए सभी घर पर ही हैं।
- 1200 घरों में एक हजार खाली हो चुके: ग्रामीण अशोक कुमार ने बताया कि उनकी गली में करीब 11 फीट तक पानी भरा। घर के 6 सदस्यों को रिश्तेदारों के पास भेज रखा है। वहीं मामन ने बताया कि घर डूबा हुआ है। परिवार के 6 जनों को रिश्तेदारों के पास भेजा है। खुद गांव में हैं, ताकि घर की रखवाली हो सके। गांव संडवा के सुखबीर ने बताया कि वे सागवान में स्थिति का जायजा लेने आए हैं। गांव में करीब 1200 घर हैं, जिनमें से 800 से 1000 घर खाली हो चुके हैं।

जलभराव के कारण मकान में आई दरार।
- जहां पानी कम हो रहा, वहां मकानों में दिखने लगी दरारें: गांव के मनोहर बताते हैं कि उनके मकान में दरारें आ गई हैं। इसके ढहने का खतरा है। कुछ परिजन रिश्तेदारी में भेज रखे हैं, तो कुछ तोशाम में किराए पर रह रहे हैं। गांव के जर्मन बताते हैं- परिवार को तोशाम में शिफ्ट किया है और खुद मंदिर में रहकर पानी उतरने का इंतजार कर रहे हैं। संदीप ने बताया कि पानी का स्तर कुछ कम होने पर घर देखने लौटे तो दरारें नजर आईं। कितनी मेहनत से घर बनाया था, अब आगे पता नहीं क्या होगा।
- नावें मिलने के बाद अब घरों से बचा सामान निकाल रहे: 8 सितंबर से गांव को पीडब्ल्यूडी की ओर से मोटर बोट मिली है। जिस पर रोहित, नितिन और राहुल की ड्यूटी है। राहुल बताते हैं को रोज सूरज उगने से लेकर दिन ढलने तक नाव लगातार चल रही है। लोग घरों से बचा सामान निकाल रहे हैं। नाव में सवार गांव के विजय बताते हैं- घर में डेढ़ माह से पानी भरा है। अब रिस्क लेकर घर से सामान निकाल रहे हैं। खाने-पीने की भी दिक्कत है। घर के 10 जन इधर-उधर बिखरे हैं। पत्नी को गांव की महिलाएं ही राशन दे रही हैं। प्रशासन ने कोई मदद नहीं की। जगमाल बताते हैं- खाना आ जाता है, तो खा लेते हैं।
- गांव वालों ने खुद पैसे जुटाकर बंध बनाया, जो बह गया: संतोष कुमार शिकायती लहजे में कहते हैं- प्रशासन ने कोई इंतजाम नहीं किया। गांव वालों ने खुद पैसे जुटाकर मिट्टी का बांध बनाया था, लेकिन बारिश में बह गया और गांव में पानी भरा। सरपंच प्रतिनिधि बलजीत सिंह के मुताबिक गांव में थोड़ा सा एरिया ऊंचाई पर है, जहां कुछ लोगों ने आसरा लिया है। पानी में डूबे सभी मकान लगभग खत्म हो चुके हैं। दरारें आई हुई हैं। गांव में एक ही रास्ता बचा है। बीमारियों का खतरा है। एक दिन तो घरों में बीमार पड़े लोगों को तोशाम पुलिस वालों ने पानी से बाहर निकाला।

ड्रेन टूटने से गांव में ही पानी नहीं भरा, किसानों की फसलें भी डूबकर खराब हो गईं।
अब पढ़िए गांव सागवान में कैसे बने बाढ़ जैसे हालात…
भिवानी जिले में काेई नदी नहीं, ड्रेन में पानी छोड़ा: भिवानी जिले में कोई नदी नहीं है। पानी निकासी पहुंचाने के लिए घग्गर ड्रेन बनी है, जिसकी क्षमता करीब 160 क्यूसेक है। गांव के बलजीत सिंह ने बताया कि ड्रेन की सफाई नहीं की गई। उसका 17 फीट चौड़ा बरम नहीं बांधा गया। धान बेल्ट के गांवों में पानी भरा तो वहां से ड्रेन में पानी छोड़ दिया। करीब 700 क्यूसेक पानी छोड़ा गया।
3 अगस्त को घग्गर ड्रेन टूटने से पानी आया: बलजीत सिंह ने आगे बताया कि 3 अगस्त को क्षमता से अधिक पानी छोड़ने के कारण ड्रेन टूट गई। यह ड्रेन आगे से बंद है और उसका सारा पानी निचाई पर बसे गांवों में भर गया। इनमें सागवान भी है। इसके अलावा धान बेल्ट के कई गांवों में ये हालात हैं। सांसद धर्मबीर सिंह का गांव तालू भी प्रभावित है।
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हरियाणा के सिरसा में घग्गर नदी का प्रकोप जारी है। लगातार बढ़ रहे पानी से बाढ़ का खतरा बना हुआ है। सिरसा के पनिहारी में तटबंध टूटने के बाद इसका पानी गांव नेजाडेला कलां के पास पहुंच चुका है। हालांकि, गांव के चारों ओर बने रिंग बांध ने फिलहाल इसे रोक रखा है, लेकिन जल्द ही पानी इस रिंग बांध को पार कर गांव में घुस सकता है। पूरी खबर पढ़ें…
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