स्वास्थ्य से खिलवाड़: सैंपल फेल फिर भी पीजीआई चंडीगढ़ में जारी है दवा की आपूर्ति, कहा- अभी तक नहीं मिली रिपोर्ट


पीजीआई चंडीगढ़

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चंडीगढ़ पीजीआई में बेहोशी के दवा प्रकरण में अब तक स्थिति साफ नहीं हो सकी है। इसका कारण है पीजीआई प्रशासन की क्लीनिकल रिपोर्ट सामने नहीं आना। इन सबके बीच पीजीआई प्रशासन दवाओं की जांच रिपोर्ट को लेकर भी अनदेखी का रवैया अपनाए है। पिछले दिनों ड्रग इंस्पेक्टर ने पीजीआई से जिन दो दवाओं के नमूने लिए थे, उन दोनों को फेल कर दिया गया है। उसमें से एक दवा उस कंपनी की है जिससे पीजीआई का दवाओं की आपूर्ति के लिए अनुबंध है। 

महाराष्ट्र की नियॉन कंपनी की दवा जांच में गलत साबित होने के बावजूद संस्थान में अब भी उससे दवाओं की आपूर्ति जारी है। चौंकाने वाली बात यह है कि पीजीआई प्रशासन का कहना है कि उन्हें अब तक उसकी रिपोर्ट नहीं मिली है। डॉक्टरों व कर्मचारियों का कहना है कि नियम कानून जब खुद पर लागू करने होते हैं तो सब दरकिनार कर दिया जाता है जबकि मानक के अनुसार अनुबंध के दौरान दवाओं की गुणवत्ता को लेकर किसी भी तरह की गड़बड़ी को नजरअंदाज न करते हुए कार्रवाई की बात शामिल की गई है। 

बता दें कि घटना के बाद ड्रग इंस्पेक्टर ने पीजीआई से नियॉन कंपनी के दवा का नमूना लिया था। इसमें उस दवा का नमूना फेल हो गया है। उसे क्वालिटी का न होने की बात कही गई है। मगर पीजीआई प्रशासन इस रिपोर्ट को ही नहीं मान रहा। अब भी पहले की ही तरह नियॉन कंपनी की सैकड़ों दवाओं की आपूर्ति हो रही है जिसका उपयोग हजारों भर्ती मरीजों पर किया जा रहा है। 

खुद के नियम लागू करने में कतरा रहा पीजीआई 
बता दें पीजीआई प्रशासन ने पिछले दिनों बेहोशी की दवा से हुए मौत प्रकरण में निक्सी कंपनी की दवा के बारे में संबंधित दवा के दुकान संचालक को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। उसमें कहा गया था कि दुकान पर बिकने वाली दवाओं की गुणवत्ता ठीक न मिलने पर टेंडर समाप्त किया जा सकता है। इसके जवाब में दुकान संचालक ने सभी आवश्यक प्रमाण पत्र पीजीआई को सौंपे थे लेकिन अब पीजीआई अपने ही नियम को खुद को लागू करने से कतरा रहा है। नियॉन कंपनी की दवा का नमूना फेल होने के बाद भी उसके साथ हुआ अनुबंध अब भी बरकरार है। 

नियॉन लैब की इस दवा का नमूना हुआ है फेल 

  • प्रोपोफॉल आईपी  10 एमजी
  • पंजीकरण नंबर- एलएसडी/आरडीटीएल/393/22-23
  • बैच नंबर- 340160
  • निमार्ण तिथि- जनवरी 2022 
  • समाप्ति तिथि- दिसंबर 2023
  • मैन्युफैक्चर- नियॉन लैब्रोटरीज लिमिटेड
  • पीएच- 5.62 (लिमिट 6.0 से 8.5)

पीएच का मानक क्यों जरूरी 
विशेषज्ञों के अनुसार बेहोशी की दवा में पीएच स्तर अनियमित होने पर झुनझुनी, मांसपेशियों में ऐंठन, कमजोरी, दौरे, दिल की अनियमित धड़कन, हाइपो या हाइपरवेंटिलेशन, मानसिक स्थिति पर प्रभाव और कोमा की स्थिति हो सकती है। 
 

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चंडीगढ़ पीजीआई में बेहोशी के दवा प्रकरण में अब तक स्थिति साफ नहीं हो सकी है। इसका कारण है पीजीआई प्रशासन की क्लीनिकल रिपोर्ट सामने नहीं आना। इन सबके बीच पीजीआई प्रशासन दवाओं की जांच रिपोर्ट को लेकर भी अनदेखी का रवैया अपनाए है। पिछले दिनों ड्रग इंस्पेक्टर ने पीजीआई से जिन दो दवाओं के नमूने लिए थे, उन दोनों को फेल कर दिया गया है। उसमें से एक दवा उस कंपनी की है जिससे पीजीआई का दवाओं की आपूर्ति के लिए अनुबंध है। 

महाराष्ट्र की नियॉन कंपनी की दवा जांच में गलत साबित होने के बावजूद संस्थान में अब भी उससे दवाओं की आपूर्ति जारी है। चौंकाने वाली बात यह है कि पीजीआई प्रशासन का कहना है कि उन्हें अब तक उसकी रिपोर्ट नहीं मिली है। डॉक्टरों व कर्मचारियों का कहना है कि नियम कानून जब खुद पर लागू करने होते हैं तो सब दरकिनार कर दिया जाता है जबकि मानक के अनुसार अनुबंध के दौरान दवाओं की गुणवत्ता को लेकर किसी भी तरह की गड़बड़ी को नजरअंदाज न करते हुए कार्रवाई की बात शामिल की गई है। 

बता दें कि घटना के बाद ड्रग इंस्पेक्टर ने पीजीआई से नियॉन कंपनी के दवा का नमूना लिया था। इसमें उस दवा का नमूना फेल हो गया है। उसे क्वालिटी का न होने की बात कही गई है। मगर पीजीआई प्रशासन इस रिपोर्ट को ही नहीं मान रहा। अब भी पहले की ही तरह नियॉन कंपनी की सैकड़ों दवाओं की आपूर्ति हो रही है जिसका उपयोग हजारों भर्ती मरीजों पर किया जा रहा है। 

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