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भारत में समृद्धि, सुरक्षा और लक्ष्मी का प्रतीक माने जाने वाला सोना नया कीर्तिमान रच रहा है। भले ही यह कीमत वृद्धि विवाह के जेवर खरीदने वाले परिवारों की चिंता बढ़ा रही हो, लेकिन पिछले 25 वर्ष में इसने निवेशकों को 1700% का रिटर्न दिया है। इस दौरान चार
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इस ढाई दशक में सोना निवेश पोर्टफोलियो का सबसे भरोसेमंद और संकटमोचक एसेट साबित हुआ है। 2000 से 2006 के बीच सोने की बढ़ने की रफ्तार धीमी रही। साल 2007-2012 के बीच वैश्विक संकट ने सोने की तेजी को हवा दी, जो 2020 से 2025 के दौर में तूफानी तेजी में बदल गई।
वर्ष 2000 में ~4450 का 10 ग्राम था; 2025 में 1.50 लाख हो गया…
- 2000 से 2006 तक छह वर्ष में सोने के बढ़ने रफ्तार धीमी थी। इस दौर में यह आभूषण था। इस दौरान कीमत 4,450 से 8,200 रुपए प्रति दस ग्राम तक पहुंची।
- 2007 से 2012 तक समय सोने का स्वर्णिम काल रहा। वैश्विक अर्थव्यवस्था में संकट से निवेशक इक्विटी और रियल एस्टेट से हटकर सोने की ओर मुड़े। 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट सोने में उछाल का कारण रहा। पहली बार सोना 10,000 के पार हुआ।
- 2013 से 2015 का एक छोटा दौर ऐसा आया जब सोने में लगातार तीन साल गिरावट रही। अमेरिकी फेडरल रिजर्व का ब्याज दर को लेकर सख्त रुख और वैश्विक आर्थिक सुधार की उम्मीद के कारण 2012 में 31,000 के भाव बिकने वाला 26,500 रुपए प्रति दस ग्राम रह गया।
- 2016 से 2023 के बीच कोविड-19 महामारी के कारण सरकारों द्वारा बड़े पैमाने पर नकदी डालने और कम ब्याज दर ने सोने को 33,500 से सीधे 50,000 तक पहुंचा दिया। यूक्रेन युद्ध के कारण 2023 में 61,000 रुपए प्रति दस ग्राम हो गया।
- 2024 से 2025 के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता और उच्च मुद्रास्फीति से 2024 में सोना का भाव 80,000 के पार तो 2025 में 1,20,500 के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया। *डाटा सोर्स- विश्व स्वर्ण परिषद
साल औसत भाव वार्षिक वृद्धि या गिरावट प्रतिशत में
बुलियन बाजार के विशेषज्ञ कैलाश मित्तल और मनीष खूंटेटा के मुताबिक सोना अभी और चमकेगा। अमेरिकी राजनीति में अनिश्चितता से सोने तेजी आई है। डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन के बीच सहमति नहीं बनने से सरकारी शटडाउन की आशंका से सुरक्षित निवेश के लिए सोने की मांग बढ़ रही है। डॉलर इंडेक्स में गिरावट और ट्रेजरी बॉन्ड यील्ड में कमी ने भी सोने को चमकाया है।
सितंबर में गोल्ड ईटीएफ में पिछले तीन वर्ष का सबसे बड़ा मासिक निवेश आया है। डॉयचे बैंक और गोल्डमैन सैक्स ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 4,000 प्रति आउंस के पार होने की भविष्यवाणी की है। जब मुद्रा का अवमूल्यन या महंगाई बढ़ती है, तो सोने की मांग बढ़ती है। बड़ा युद्ध या वैश्विक महामारी के दौर में निवेशक पूंजी को सुरक्षित रखने के लिए सोने का रुख करते हैं।
राजस्थान में हर साल 42 हजार किलो सोने के गहने बिकने का अनुमान
विश्व स्वर्ण परिषद के मुताबिक, भारत में हर साल करीब 600 टन सोने के आभूषण बिकते हैं। इसका करीब 7 फीसदी कारोबार राजस्थान में होता है। इस लिहाज से राजस्थान में हर साल करीब 42 हजार किलो सोने के आभूषण बिकते का अनुमान है। वहीं, विभिन्न सर्राफा संघों की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में हर साल, आभूषण, निवेश और निर्यात के लिए 60 से 80 टन सोने की खपत होने का अनुमान है।
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स्वर्णिम आंधी: 25 साल में 1700 प्रतिशत उछला सोना, वर्ष 2000 बाद सिर्फ 4 बार गिरावट – Bikaner News

