in

स्कूल जाने में आनाकानी तो नहीं करता आपका भी बच्चा? कहीं… Health Updates

स्कूल जाने में आनाकानी तो नहीं करता आपका भी बच्चा? कहीं… Health Updates


Scolionophobia : ज्यादातर बच्चे स्कूल जाने में आनाकानी करते हैं. कुछ बच्चे पेट दर्द का बहाना बनाते तो कुछ सिरदर्द की जिद करके बैठ जाते हैं. बचपन में यह सामान्य आदत होती है. कभी-कभी ऐसा चलता भी है लेकिन अगर कोई बच्चा हर दिन या अक्सर ही ऐसा कर रहा है तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि स्कूल जाने डर एक तरह का साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर या फोबिया हो सकता है.

मेडिकल साइंस में इसे ‘स्कोलियोनोफोबिया’ (Scolionophobia) कहते हैं. इससे बच्चे के मन में स्कूल जाने को लेकर खौफ बैठ जाता है. इसमें बच्चे फिजिकली बीमारी भी पड़ जाते हैं और स्कूल का समय खत्म होने के बाद खुद ही ठीक भी हो जाते हैं. अगर आपके बच्चे का बिहैवियर भी इसी तरह का है तो सावधान हो जाइए.

स्कोलियोनोफोबिया कितना खतरनाक

जब बच्चे के मन में स्कूल जाने का डर बैठ जाता है तो उसका असर शारीरिक और मानसिक तौर पर लंबे समय तक बना रह सकता है। हर बच्चे का मन कभी-कभी स्कूल जाने का नहीं होता है लेकिन स्कोलियोनोफोबिया वाले बच्चे अक्सर ऐसा करते हैं, उनके दिमाग में यही विचार चलता रहता है, जिससे वे असुरक्षित और चिंता महसूस कर सकते हैं. इस वजह से उनमें शारीरिक बीमारी आ जाती है. डॉक्टर्स का कहना है कि ऐसी समस्या उन बच्चों में ज्यादा देखने को मिलती है, जिनके माता पिता ओवरप्रोटेक्टिव होते हैं.

यह भी पढ़ें: लंबे समय तक कुर्सी पर बैठकर करते हैं काम तो हो जाएं सावधान, इन अंगों को नुकसान पहुंचा रहा है Sedentary Job

स्कोलियोनोफोबिया में क्या-क्या समस्याएं

आंकड़े बताते हैं कि करीब 2-5% बच्चों को स्कूल फोबिया प्रभावित करता है. हर 20 में से एक बच्चे में ये समस्या हो सकती है. 5 से 8 साल के छोटे बच्चों में ये समस्या आम होती है. कई बच्चों में स्कोलियोनोफोबिया के शुरुआती लक्षण दस्त, सिरदर्द, मतली और उल्टी, पेटदर्द, कंपकंपी हो सकती है. कुछ बच्चे माता-पिता को चिपक जाते हैं और उन्हें नहीं छोड़ते हैं. कुछ को अंधेरे का डर, बुरे सपने आ सकते हैं. अगर ऐसी समस्याएं लंबे समय तक बनी रहे तो सतर्क होने की जरूरत होती है.

यह भी पढ़ें :लोग क्यों करते हैं सुसाइड? इन संकेतों से समझ सकते हैं अपने करीबी के दिल का हाल

स्कोलियोनोफोबिया का कारण

इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं होता है. स्कूल-घर में होने वाली कुछ चीजें उनमें इस फोबिया का कारण बन सकती है. घर में हिंसा का डर, बेघर होना, माता-पिता का पूरा ध्यान न मिलना, फैमिली में बदलाव, तलाक या किसी की मौत, स्कूल में धमकी मिलना, अन्य बच्चों की ओर से चिढ़ाना, मारपीट की धमकी, किसी टीचर का डर, बच्चे को डिस्लेक्सिया यानी पढ़ने में कठिनाई या डिस्कैलकुलिया यानी मैथ्य को समझने में परेशानी होने पर बच्चों में स्कोलियोनोफोबिया हो सकती है.

स्कोलियोनोफोबिया का इलाज क्या है

स्कोलियोनोफोबिया होने पर बच्चों को किसी मनोचिकित्सक के पास ले जाना चाहिए.

बच्चों के मन में बैठे डर को दूर करने के लिए पैरेंट्स को काम करना चाहिए.

स्कूल में टीचर को भी बच्चों की मदद करनी चाहिए.

अगर लक्षण गंभीर हैं तो डॉक्टर बच्चे को इलाज, थेरेपी या दवाईयां दे सकते हैं.

बच्चों की आदतों में बदलाव लाएं.

यह भी पढ़ें :कोरोना वायरस से बचाएगी चीन की नैनो-वैक्सीन, इन वैरिएंट्स से होगी सेफ्टी, जानें कितनी कारगर

Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )

Calculate The Age Through Age Calculator


स्कूल जाने में आनाकानी तो नहीं करता आपका भी बच्चा? कहीं…

Sonipat: व्हाट्सएप पर लिंक भेजकर कर 2.91 लाख रुपये निकाले, क्लिक करने पर दो बैंक खातों से कट गए रुपये Latest Haryana News

Sonipat: व्हाट्सएप पर लिंक भेजकर कर 2.91 लाख रुपये निकाले, क्लिक करने पर दो बैंक खातों से कट गए रुपये Latest Haryana News

अनूप धानक बोले: मैं गरीब दलित परिवार से, इसलिए बोलने से रोका जा रहा है, नैना चौटाला के बयान पर भावुक हुए  Latest Haryana News

अनूप धानक बोले: मैं गरीब दलित परिवार से, इसलिए बोलने से रोका जा रहा है, नैना चौटाला के बयान पर भावुक हुए Latest Haryana News