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बदलती लाइफस्टाइल में हर किसी का ज्यादा से ज्यादा वक्त स्मार्टफोन और सोशल मीडिया पर बीतता है, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं. दरअसल, बच्चे भी अपना काफी ज्यादा वक्त मोबाइल, टैबलेट और कंप्यूटर पर बिता रहे हैं. इसकी वजह से सोशल मीडिया, वीडियो और ऑनलाइन गेमिंग की लत बढ़ रही है. यह खुलासा लोकल सर्किल्स के लेटेस्ट सर्वे (2024) में हुआ है.
सर्वे में क्या आया सामने?
इस सर्वे में खुलासा हुआ कि शहरों में रहने वाले 66 पर्सेंट पैरेंट्स मानते हैं कि उनके 9 से 17 साल के बच्चे सोशल मीडिया, ओटीटी और गेमिंग के आदी हो गए हैं. इससे बच्चों में अधीरता (impatience), गुस्सा और सुस्ती जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं. इस सर्वे में 70 हजार से ज्यादा पैरेंट्स शामिल हुए, जिनमें 368 जिलों से जवाब आए. इसमें पाया गया कि 47% बच्चों का रोजाना स्क्रीन टाइम 3 घंटे या इससे ज्यादा है. वहीं, 10 पर्सेंट बच्चे 6 घंटे से ज्यादा समय स्क्रीन पर बिताते हैं. माना जा रहा है कि कोरोना महामारी के बाद ऑनलाइन क्लास से यह लत शुरू हुई और अब भी जारी है. बच्चे वीडियो देखने, गेम खेलने और सोशल मीडिया पर ज्यादा समय देते हैं. इससे ध्यान लगाने की क्षमता कम हो रही है.
सर्वे में क्या निकला?
- 58% माता-पिता ने कहा कि बच्चे ज्यादा गुस्सैल हो गए हैं.
- 49% ने बताया कि बच्चे अधीर (impatient) हो रहे हैं.
- 49% बच्चों में सुस्ती (lethargy) बढ़ी.
- 42% में डिप्रेशन के लक्षण मिले.
- 30% बच्चे हाइपरएक्टिव हो गए.
क्या कहते हैं डॉक्टर?
डॉक्टरों के अनुसार, ज्यादा स्क्रीन टाइम से ब्रेन पर बुरा असर पड़ता है. इससे ध्यान की कमी, अधीरता और ADHD जैसे लक्षण बढ़ते हैं. नई दिल्ली स्थित मैक्स हॉस्पिटल में हेड ऑफ साइकियाट्री डॉ. समीर मल्होत्रा के मुताबिक, स्क्रीन से डोपामाइन हॉर्मोन ज्यादा निकलता है, जो लत लगाता है. इससे बच्चे रियल लाइफ में अधीर हो जाते हैं. उनका ध्यान नहीं लगता है और गुस्सा आता है. इसके अलावा 9-17 साल के बच्चों में स्क्रीन एडिक्शन से इमोशनल प्रॉब्लम्स बढ़ रही हैं. अधीरता से पढ़ाई और रिश्तों पर असर पड़ता है. साथ ही, ज्यादा स्क्रीन से नींद खराब होती है, जो अधीरता बढ़ाती है.
इन तरीकों से होगा बचाव
- रोजाना स्क्रीन टाइम 1-2 घंटे तक सीमित करें.
- बाहर खेलने, पढ़ने और फैमिली टाइम बढ़ाएं.
- माता-पिता खुद कम स्क्रीन इस्तेमाल करें.
- अच्छी नींद और हेल्दी डाइट दें.
- अगर समस्या ज्यादा हो तो डॉक्टर या साइकोलॉजिस्ट से मिलें.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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सोशल मीडिया से उग्र हो रहे बच्चे, पैरेंट्स की टेंशन बढ़ा देगा यह सर्वे

